रायपुर

डायबिटीज का दायरा बढ़ रहा, गंभीर स्थिति से बचने के लिए त्वरित उपचार जरूरी
16-Nov-2021 8:01 PM
डायबिटीज का दायरा बढ़ रहा, गंभीर स्थिति से बचने के लिए त्वरित उपचार जरूरी

अब शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रही है डायबिटीज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 16 नवम्बर। देश में और विशेषकर छत्तीसगढ़ में डायबिटीज के बढ़ते रोगियों की संख्या पर चिकित्सकों ने चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि भारत को डायबिटीज की राजधानी के रूप में बनने से रोकना होगा। इसके लिए समाज को दैनिक दिनचर्या में बदलाव करने होंगे, साथ ही डायबिटीज के रोगियों के लिए अत्याधुनिक उपचार की सुविधा उपलब्ध करानी होगी। डायबिटीज के रोगियों को अन्य गंभीर बीमारियां जैसे कोविड-19 आदि होने की संभावना अधिक होती है अत: डायबिटीज पर नियंत्रण की आवश्यकता है।

विश्व मुधमेह दिवस पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के एंडोक्रीनोलॉजी और सामान्य चिकित्सा विभाग के तत्वावधान में हाइब्रिड सीएमई एंडोमेड का आयोजन किया गया। सीएमई का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि कोविड के दौरान सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण स्थिति डायबिटीज के रोगियों की वजह से हुई। ऐसे में अभी से डायबिटीज के प्रति सभी को जागरूक बनाने की जरूरत है। सरकार इस दिशा में कार्यरत है परंतु समाज के सभी वर्गों को इस दिशा में मिलकर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि डायबिटीज की शीघ्र पहचान और उपचार से रोगियों को गंभीर परिस्थितियों से बचाया जा सकता है। इस दिशा में एम्स पहल कर रहा है और विभिन्न विभागों में डायबिटीज के रोगियों के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान की गई हैं।

प्रो. विनय पंडित का कहना था कि अब शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बदलती दिनचर्या की वजह से डायबिटीज बढ़ती जा रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों में डायबिटीज पिछले दो दशकों में तीन गुना बढ़ी है जबकि शहरी क्षेत्रों में डेढ़ गुना बढ़ी है। डायबिटीज के लिए नई दवाइयां बाजार में उपलब्ध हैं मगर महंगी हैं। ऐसे में दवाइयों की उपलब्धता पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

जिपमर पुदुचेरी के डॉ. डी.बी. नायक का कहना था कि भारत डायबिटीज की राजधानी बन गया है। युवा वर्ग में डायबिटीज तेजी के साथ बढ़ रही है। इसका स्वास्थ्य के साथ आर्थिक प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। एम्स भुवनेश्वर के डॉ. किशोर के. बेहरा ने बताया कि स्वास्थ्य सर्वे में 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों में डायबिटीज रोगियों की संख्या 42 प्रतिशत तक है। लगभग 10 प्रतिशत भारतीयों को डायबिटीज है।

डॉ. अभिरूचि गल्होत्रा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की 9.3 प्रतिशत आबादी को डायबिटीज है। स्क्रिनिंग कार्यक्रम की मदद से ऐसे रोगियों की पहचान कर उन्हें समय पर उपचार उपलब्ध करवाया जा सकता है। कार्यक्रम में आयोजक डॉ. अमृताव घोष, प्रो. आलोक अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में विशेषज्ञों ने डायबिटीज पर अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर एम्स परिसर पर नीले प्रकाश की व्यवस्था कर डायबिटीज के बारे में लोगों को जागरूक भी बनाया गया।

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