गरियाबंद

भगवान श्रीराजीव लोचन के प्राकट्य उत्सव पर भक्तों ने किया दिव्यरूप का दर्शन
17-Feb-2022 3:59 PM
भगवान श्रीराजीव लोचन के प्राकट्य उत्सव पर भक्तों ने किया दिव्यरूप का दर्शन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 17 फरवरी ।
छग की प्रसिद्ध तीर्थ नगरी राजिम में माघी पुन्नी मेला के प्रथम दिन भगवान श्री राजीव लोचन के प्राकट्य उत्सव पर मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया है। जिसकी भव्यता देखते ही बनती है। भगवान के दर्शन करने सुबह से भक्तों की भीड़ बनी हुई है।

भगवान श्री राजीव लोचन का विशेष श्रंृगार किया गया है। जिसका दर्शन पाने के लिए दूर-दराज से दर्शनार्थी सुबह से पंक्ति लगा कर खड़े थे और अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे कि हमें भी भगवान के आलौकिक रूप का दर्शन हो। मंदिर के सर्वाकार चन्द्रभान सिंह ठाकुर (राजू ठाकुर) ने जानकारी देते हुए बताया कि वैसे तो बारहो महीना ही भगवान का पूजन प्रात: स्नान ध्यान कर किया जाता है, लेकिन आज के दिन ब्रम्हमुहूर्त में पूरोहितों के द्वारा मंत्रउच्चारण कर प्रात: 3:30 बजे दर्शनार्थियों के लिए पट खुल जाता है। इसी समय भगवान श्री राजीव लोचन की बालरूप में आरती की जाती है।

महाभिषेक कर पीताम्बरी धारण कर स्वर्ण आभूषण से भगवान को सुसज्जित किया जाता है, जिसमें सोने के कमर पट्टा, कण्ठमाला, कर्णफूल और बाजूबंद प्रमुख होते है। दोपहर 12 बजे ध्वज पूजन किया जाता है फिर मुकूट के स्थान पर भगवान राजीव लोचन को पगडी पहनाया गया। उसके बाद बाल भोग के रूप में मावन, मिश्रि, मिठाई, अनर्षा, फल-फूल का भोग लगा। रात्रि 8 बजे दाल, चॉंवल, सब्जी का महाप्रसाद के रूप मे भोग किये। रात में दूध, अनर्षा, मिठाई का भोग चढ़ाया जाता है।

भगवान श्री राजीव लोचन मंदिर के गर्भगृह को कलकश्रा से मंगाए गेंदे और सेवंती के झालर लगाकर आकर्षित बनाया गया है। मंदिर परिषर में दूर-दराज से आये दर्शनार्थियों को प्रसाद के रूप में पीडिय़ा दिया, जो कि यहां निवासरत ठाकुरों के परिवारजनों के द्वारा बनाया जाता है। यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है और भगवान श्री राजीव लोचन का प्रिय भोग है। श्री राजीव लोचन ही भगवान विष्णु के अवतार है जो चतुर्भुज रूप में है। ऐसी मान्यता है की माघी पुन्नी मेला में पुन्य स्नान कर श्री राजीव लोचन के दर्शन से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। पैरी, सोढू और महानदी के संगम स्थल होने के कारण यहां पिण्ड़दान, तर्पण और श्राद्ध का कार्य किया जाता है। पिण्डदान के पश्चात श्री राजीव लोचन के बाद ही लोग अपने घर जाते है।
 

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