रायगढ़

देव स्नान पूर्णिमा पर जगन्नाथ मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
15-Jun-2022 4:57 PM
देव स्नान पूर्णिमा पर जगन्नाथ मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़

27 कुंडों के पवित्र जल से महाप्रभु को कराया स्नान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 15 जून। 
शहर के रियासत कालीन, ऐतिहासिक व प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में आज सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति में देव स्नान पूर्णिमा का आयोजन किया गया। महाप्रभु जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा को घंट, शंख ध्वनि व हरि बोल के जयकारे व मंत्रोच्चार के बीच गर्भ गृह से निकालकर मंदिर के बाहरी परिसर में लाया गया और 27 कुंडों के पवित्र जल से स्नान कराने के बाद कई गज लंबे नवीन वस्त्र धारण कराए गए तथा विधि विधान से पूजा अर्चना पश्चात दोपहर को छप्पन भोग लगाकर श्रद्धालु भक्तों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया।

शहर के उत्कल भाषी परिवारों के लिए इस वर्ष का देव स्नान पूर्णिमा उत्सव इसलिए खास हो गया है, क्योंकि इसी वर्ष उत्कल समाज के द्वारा मंदिर के बाहर भव्य सिंह द्वार का निर्माण कराया जा रहा है, जो पूर्णता की ओर से यही नही पिछले दो सालों से कोरोनाकाल के कारण विभिन्न आयोजनों को सिमित रखा गया था और दो वर्ष पश्चात इस वर्ष सभी कार्यक्रमों को भव्यता से मनाने का निर्णय लिया गया है। इस वर्ष सिंह द्वार निर्माण में जहां डेढ माह से कारीगर निर्माण कार्य में लगे हुए हैं वहीं आज देव स्नान पूर्णिमा के लिए कल से तैयारी शुरू हो गई थी तथा आज सुबह से ही मंदिर परिसर में गहमा-गहमी का माहौल रहा। जहां सुबह के समय सैकड़ो भक्तों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की मूर्तियों को गर्भ गृह से निकालकर मंदिर परिसर में ही बनाए गए मंच पर विराजमान किया गया तथा पवित्र कुंडों के जल से शंख घंट ध्वनि के बीच उन्हें स्नान कराने के बाद नवीन वस्त्र धारण कराए गए।

विधि विधान से पूजा अर्चना की गई तथा भगवान श्री को छप्पन भोग का महाप्रसाद लगाने के बाद उपस्थिति श्रद्धालु भक्तों के बीच इस महाप्रसाद का वितरण किया गया। परंपरा अनुसार इस देव स्नान के बाद भगवान श्री 15 दिवस के लिए बीमार पड़ जाते हैं जिसके कारण उनके विगृहों को पुन: गर्भगृह में स्थानांतरित किया गया है। इस दौरान 15 दिनों तक शुभ कार्यो पर प्रतिबंद्ध रहता है। इसी तरह जिले के विभिन्न जगन्नाथ मंदिरों में भी धूमधाम से देव स्नान पूर्णिमा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। परंपरा अनुसार इस देव स्नान पूर्णिमा के साथ ही रथोत्सव की तैयारी शुरू हो जाती है। 

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