रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 15 जून। जूटमिल क्षेत्र में स्थित अमलीभौना में दो भाईयों के बीच हुए झगड़े के बाद छोटे भाई ने अपने बड़े भाई के परिवार को घर से निकाल दिया है। पीडि़त परिवार पिछले 24 घंटे से भूख प्यासे पुलिस की शरण में हैं, इसके बावजूद अभी तक उन्हें राहत नहीं मिल सकी है।
इस संबंध में और जानकारी देते हुए परिवार के मुखिया निरंजन चंद्रा (45) मूल निवासी कोसीर हाल मुकाम अमलीभौना ने बताया कि उनका कुम्हारी क्षेत्र में करीब 40 एकड़ जमीन है, जिसमें वह और उनका पूरा परिवार खेती किसानी का काम करने के साथ-साथ इसी गांव में और 12 एकड़ जमीन पर अधिया में काम करता है। करीब पांच साल पहले उन्होंने अमलीभौना में एक जमीन लेकर वहां मकान निर्माण का काम शुरू कराया था। उनके परिवार में एक बुजुर्ग महिला गिरजाबाई (60) सहित दो महिलाएं धनेश्वरी तथा कमला एवं तीन बच्चे राज (17), मयंत चंद्रा (12), जयवंत (4) रायगढ़ में ही आकर अमलीभौना में मकान निर्माण के काम में लगे थे। इनका एक छोटा भाई प्रवीण कुमार चंद्रा (40) जो पेशे से अधिवक्ता है। उसने कल अपने भाई से विवाद के बाद पूरे परिवार को घर से यह कहकर निकाल दिया कि यह मकान उसके नाम पर है और किसी को भी वहां रहने का अधिकार नहीं है। तब से यह पूरा परिवार बेघर होकर जूटमिल थाने में न्याय की गुहार लगाते हुए भूख प्यासे पड़ा हुआ है। पीडि़त निरंजन चंद्रा ने हमारे संवाददाता को बताया कि उसका छोटा भाई श्रीराम फायनेंस में काम करता है और पिछले दो माह से सस्पेंड है। उसे मासिक वेतन 25 हजार रूपये मिलता रहा है। ऐसे में उसके भाई ने डेढ़ करोड़ लागत का मकान कैसे बना लिया यह जांच का विषय होना चाहिए।
निरंजन ने यह भी बताया कि जूटमिल चौकी में उनकी शिकायत पर प्रवीण के खिलाफ जुर्म दर्ज किया गया है और आज मंगलवार दोपहर वे पुलिस के साथ अपने मकान पर भी गए थे, जहां उनके भाई ने पुलिस के सामने उनसे मारपीट और गाली गलौज की है तथा उन्हें धक्के देते हुए घर से बाहर निकाल दिया, जिसका वीडियो फुटेज भी पुलिस के पास है, मगर पुलिस इतना सब कुछ होने के बावजूद उसके भाई पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाई है जिसके कारण पिछले 24 घंटे से वे और उनका पूरा परिवार बेघर बार हैं और भूखे प्यासे थाने के बाहर बैठा हुआ है।
इस संबंध में जब जूटमिल चौकी प्रभारी से चर्चा की तो उनका कहना था कि दोनों भाईयों का आपसी विवाद है और दोनों पक्ष को समझाईश देकर मनाने का प्रयास किया गया। मगर दोनों ही पक्ष मानने को तैयार नहीं। ऐसी स्थिति में पुलिस के पास आशिंक राहत देने के अलावा और कोई उपाय नहीं बचा है।