रायगढ़

आरटीआई कानून की अवहेलना
16-Jun-2022 4:51 PM
आरटीआई कानून की अवहेलना

तीन जनसूचना अफसरों को 25-25 हजार का जुर्माना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 16 जून। 
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का पालन नहीं करने और समय पर आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के कारण तत्कालीन तीन जनसूचना अधिकारियों को 25-25 रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए अधिरोपित राशि तत्काल जमा कर चालान की प्रति आयोग को प्रेषित करने निर्देश दिए हैं। यह कार्यवाही छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने की है। उपरोक्त तीनों मामलों के शिकायतकर्ता रायगढ़ जिले से हैं।

शिकायकर्ता शरद देवांगन रायगढ़ ने जनसूचना अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत करतला जिला कोरबा को 22 जनवरी 2018 को आवेदन देकर एक जून 2012 से 31 दिसंबर 2017 के मध्य ग्राम पंचायतों के लेखा संधारण अभिलेख एवं अन्य पंजियों के संधारित तथा अद्यतन होने का प्रमाणपत्रों छायाप्रति की मांग की। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 (1) के तहत आवेदन प्राप्ति के 30 दिवस के भीतर जानकारी आवेदक को देना होता है, किन्तु जनसूचना अधिकारी ने समय सीमा में जानकारी आवेदक को नहीं उपलब्ध कराया। जानकारी प्राप्त न होने के कारण आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदन किया, किन्तु प्रथम अपीलीय अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा द्वारा निर्णय नहीं देने से क्षुब्ध होकर आयोग में द्वितीय अपील प्रस्तुत किया।

राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने प्रकरण का बारिकी से परीक्षण किया और आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के लिए आयोग में जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर अवसर दि या गया, किन्तु जनसूचना अधिकारी ने आयोग के आदेशों की अवहेलना कर जवाब प्रस्तुत नहीं किया, जिसके लिए कलेक्टर कोरबा को निर्देशित किया गया कि जनसूचना अधिकारी जनपद पंचायत करतला को आयोग के समक्ष दस्तावेजों के साथ उपस्थित कराएं। तत्कालीन जनसूचना अधिकारी जनपद पंचायत करतला, जिला कोरबा के द्वारा आयोग में जवाब उपलब्ध नहीं कराने के कारण आयुक्त श्री जायसवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत तत्कालीन जनसूचना अधिकारी को 25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा को निर्देश दिए हैं कि अर्थदण्ड की राशि की वसूली संबंधित जनसूचना अधिकारी के वेतन से काटकर शासकीय कोष में जमा कराकर आयोग को पालन प्रतिवेदन प्रेषित करें।

एक अन्य प्रकरण में अपीलार्थी जितेन्द्र सिंह ठाकुर लैलूंगा जिला रायगढ़ ने जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत सकालो जनपद पंचायत अंबिकापुर को 27 दिसंबर 2017 को आवेदन देकर एक अपै्रल 2007 से 31 मई 2017 तक समस्त चेक रजिस्टर, पासबुक, पंचायत प्रस्ताव की सत्यापित छायाप्रति की मांग की। जनसूचना अधिकारी द्वारा समय सीमा में जानकारी प्राप्त न होने के कारण आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदन किया, किन्तु प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा जानकारी नहीं देने पर आयोग में 4 जून 2018 को द्वितीय अपील प्रस्तुत किया।

आयुक्त श्री जायसवाल ने आवेदन का परीक्षण कर जनसूचना अधिकारी को दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत होने निर्देश दिया गया। आयोग के आदेशों की अवहेलना कर जनसूचना अधिकारी ने जवाब प्रस्तुत नहीं किया, जिसके लिए कलेक्टर सरगुजा और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सयरगुजा को निर्देशित किया कि जनसूचना अधिकारी सकालो को आयोग के समक्ष दस्तावेजों के साथ उपस्थित कराएं। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की जनसूचना अधिकारी सकालो द्वारा की गई अवहेलना घोर लापरवाही एवं अज्ञानता का प्रतीक माना गया।

इस लापरवाही को राज्य सूचना आयुक्त ने गंभीरता से लेते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत तत्कालीन जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत सकालो को 25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सरगुजा को निर्देश दिए कि अर्थदण्ड की राशि की वसूली संबंधित जनसूचना अधिकारी के वेतन से काटकर शासकीय कोष में जमा कराएं और विभागीय जांच कराकर अनुशासनात्मक कार्यवाही कर आयोग को पालन प्रतिवेदन प्रेषित करें।

एक अन्य प्रकरण में शिकायकर्ता शरद देवांगन रायगढ़ ने जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत हरदीडीह जनपद पंचायत जैजैपुर को आयोग के द्वितीय अपील प्रकरण क्रमांक 614-2018 के पारित आदेश का पालन नहीं करने के कारण 2 जनवरी 2020 को आयोग में शिकायत की।

आयुक्त श्री जायसवाल ने शिकायत का गहन परीक्षण में पाया कि आयोग से आदेश होने के बाद भी जनसूचना अधिकारी ने आवेदक को किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं किया। राज्य सूचना आयोग से नाटिस जारी होने पर अत्यधिक विलंब से आवेदक को जानकारी प्रदाय किया। आयुक्त ने आयोग में जनसूचना अधिकारी द्वारा कोई जवाब नहीं प्रस्तुत करने और आयोग के आदेश की अवहेलना को लापरवाही मानते हुए जनसूचना अधिकारी हरदीडीह जनपद पंचायत जैजैपुर 20(1) के तहत 25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत जैजैपुर को निर्देश दिए कि अर्थदण्ड की राशि की वसूली संबंधित जनसूचना अधिकारी के वेतन से काटकर शासकीय कोष में जमा कराएं ओर आयोग को सूचित करें।

क्या है आरटीआई कानून
सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए साल 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाया था। इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान किया गया कि जनसूचना अधिकारी, आवेदक के द्वारा मांग की गई सूचना को 30 दिन के भीतर आवेदक को उपलब्ध कराएगा, जो उसके कार्यालय में संधारित किया गया है। कोई जनसूचना अधिकारी जानकारी देने से मना करता है, तो उसको इसका वास्तविक कारण बताना होगा, साथ ही इस संबंध में किसे अपील की जाए इसकी भी जानकारी देगा। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 के तहत अगर कोई जनसूचना अधिकारी निर्धारित समय पर आवेदक को जानकारी नहीं देता है, तो उस पर 250 रुपये प्रति दिवस की दर से जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की यह राशि 25 हजार से ज्यादा नहीं होगी। इसके अलावा राज्य सूचना आयोग ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा कर सकते हैं।  
 

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