बस्तर
बस्तर के लोक साहित्यकार जोगेंद्र महापात्र ने ओडिशा में आयोजित अमृत महोत्सव में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करते दी कई जानकारियाँ
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 9 अगस्त। आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर ओडिशा के कोरापुट जिले के दामन जोड़ी नाल्को ऑडिटोरियम में विगत दिनों तीन दिवसीय जनजातीय साहित्य महोत्सव गरिमामय ढंग से आयोजित की गई। जिसमें पड़ोसी देशों के साहित्यकारों के साथ देश के विभिन्न राज्यों से मूर्धन्य साहित्यकार शामिल होकर अपने-अपने विचार रखे और हिंदी, अंग्रेजी, लोकभाषा साहित्य को उत्कृष्ट स्थान पर बिठाया।
बस्तर के लोक साहित्यकार जोगेंद्र महापात्र जोगी ने छत्तीसगढ़ प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। प्राकृतिक मंच स्थल में उनके द्वारा 45 वर्ष पूर्व रखे गए पानी मारी गला झाँई हल्बी रचना को लेकर उनका साक्षात्कार लिया गया। 25 मिनट तक निरंतर चले साक्षात्कार के दौरान करोड़ों लोगों की पसंद वाली रचना पानी मरी गला झांई के संबंध में बताया कि बस्तर के तत्कालीन कलापथक के प्रमुख कलाकार रघुनाथ महापात्र ने 1959 में ओडिशा के जयपुर आकाशवाणी से संपूर्ण उड़ीसा में अपनी लोक गायकी से बस्तर का नाम उज्जवल किया था।
वरिष्ठ उद्घोषक एमए रहीम और आकाशवाणी के महानिदेशक अभय पारीक की उपस्थिति में पानी मरी गला झांई रचना से ही 22 जनवरी 1977 को जबलपुर आकाशवाणी का उद्घाटन हुआ था और इसी रचना से दूरदर्शन केंद्र जगदलपुर बस्तर का भी उद्घाटन हुआ था अब यह रचना लोकगीत के रूप में परिणित हो चुका है जिससे वे अपने रचना धार्मिकता से पूर्ण संतुष्ट हैं।
इंटरव्यू के दौरान जब वे इस रचना को झूमते हुए मंच पर अपनी लोक गायकी से प्रस्तुत किया दर्शक श्रोता वृंद तालियां बजाते हुए झंकृत होकर थिरकते रहे। उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम का प्रसारण पूरे ओडिशा और सीमाई प्रांतों में लाइव होता रहा।