रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम। श्री कुलेश्वर महादेव शासकीय महाविद्यालय गोबरा नवापारा में आंतरिक गुणवत्ता एवं मूल्यांकन समिति एवं हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में 17 सितम्बर को एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय गोबरा नवापारा के हिंदी सहायक प्राध्यापक डॉ सरोज चक्रधर उपस्थित थी। कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत ‘‘अरपा पैरी के धार’’ के साथ हुआ। डॉ. सरोज चक्रधर ने ‘‘देवनागरी लिपि एवं हिंदी वर्तनी का मानकीकरण’’ विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि लिपि का विकास चित्र लिपि, प्रतीक लिपि, भाव लिपि से होते हुए ध्वनि लिपि के रूप में हुआ। ध्वनि चिन्हों का परिचय देते हुए कंठ्य, तालव्य, मूर्धन्य, दंत्य एवं ओष्ठम् आदि वर्गों में विभाजित स्पर्श व्यंजनों का उल्लेख किया। इसी को देवनागरी में क्रमश: कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग और पवर्ग रखे जाने के विषय मे बताते हुए उन्होंने देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता एवं हिंदी वर्तनी के मानकीकरण के विषय में जानकारी प्रदान की। देवनागरी लिपि नामकरण के विषय में उन्होंने बताया गुजरात के ‘नागर ब्राह्मणों’ द्वारा प्रचलित होने के कारण इसका नाम नागरी रखा गया है। उत्तरी शाखा नागरी का प्रयोग जब देव भाषा संस्कृत के लिए होने लगा तो इस लिपि को देवनागरी लिपि कहा जाने लगा। देवनागरी लिपि का विकास आठवीं सदी में हुआ। डॉ. सरोज चक्रधर ने बताया कि वर्तनी की एकरूपता भी भाषा की शुद्धता के लिए परम आवश्यक है साथ ही उन्होंने संयुक्ताक्षर, पूर्वकालिक प्रत्यय, विभक्ति चिह्न,अव्यय, हायफन, श्रुति रूप,संस्कृत मूलक तत्सम शब्द, अनुस्वार, अनुनासिक, पंचम वर्ण के शुद्ध लेखन एवं शुद्ध उच्चारण के संबंध में उदाहरण सहित विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने हिंदी अंको के शुद्ध उच्चारण का अभ्यास भी विद्यार्थियों को कराया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य एसआर वड्डे, सहायक प्राध्यापकगण जितेंद्र सिन्हा, प्रकाश जांगड़े, पीयूष कांत भारद्वाज, श्रीमती मोनिका साहू, सुश्री साक्षी मेश्राम, श्रीमती नंदनी साहू, सुश्री पुष्पलता कंवर, पुरुषोत्तम काबरा, अजय पटेल, यशवंत पटेल, एसआर साहू सहित बड़ी संख्या में महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे। हिंदी के विभागाध्यक्ष पुरुषोत्तम काबरा ने रोचक एवं उत्कृष्ट व्याख्यान के लिए डॉ. सरोज चक्रधर का आभार व्यक्त किया।