रायपुर

रक्तदान अमृत महोत्सव: प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस 17 से 1अक्टूबर तक राष्ट्रीय रक्तदान शिविर
19-Sep-2022 3:48 PM
रक्तदान अमृत महोत्सव: प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस 17 से 1अक्टूबर तक राष्ट्रीय रक्तदान शिविर

रायपुर, 19 सितंबर। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा  राष्ट्रीय स्तर पर स्वेच्छिक रक्तदान शिविर का शुभारंभ किया गया। यह एक दिवसीय वृहद एवं विशेष कोविड -19 टीकाकरण अभियान के समतुल्य है , एक दिन में 25 मिलियन लोगो को टीकाकरण किया गया था। रक्तदान आयोजन 1 अक्टूबर तक जारी रहेगा। इसे रक्तदान अमृत महोत्सव नाम दिया गया है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्व होने पर आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव के तर्ज पर होगा ।

इस कार्यक्रम में  केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई रक्तकोष पोर्टल विकसित किया है , जिसमें स्वेच्छिक रक्तदाता अपना पंजीयन करा सकते हैं । इसके अलावा आरोग्य सेतु ऐप से भी पंजीयन कराये जा सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत देश के विभीन्न क्षेत्रों के 4000 से अधिक सरकारी और निजी ब्लड बैंकों में 1.5 लाख से अधिक रक्त यूनिटस संग्रह करने की क्षमता है ।

15 दिवसीय इस मुहीम का मकसद है कि जन सामान्य में रक्तदान जागरूकता बढ़ाई जाये , इससे संबंधित भ्रांतियां दूर की जाये , संभावित रक्त दाताओं को प्रेरित किया जाये और इसे सामाजिक जिम्मेदारी और गतिविधि के रूप में प्रतिष्ठित किया जाय । ऐसा होने पर सुरक्षित रक्त समुचित मात्रा में आवश्यक्ता अनुसार यथास्थान उपलब्ध होना सुनिश्चित किया जा सके । हमारे शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त पर केवल हमारा ही हक नहीं है । यह खुदा की बेशकीमती अमानत है । कोई भी व्यक्ति , जो 18-65 वर्ष की उम्र का हो , चाहे महिला हो या पुरुष , यदि सामान्यत: स्वस्थ हो , तो बेझिझक रक्तदान कर सकता । एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में औसतन 5000 मि.ली. खून होता है ।

रक्तदान के समय इसमें से मात्र 350 मि.ली- ( यूनिट ) ही निकाला जाता है ।  रक्तदान में मात्र 5 से 10 मिनट का समय लगता है और इसके पश्चात् व्यक्ति अपने सभी नियमित कार्य यथावत कर सकता है । उसे न तो किसी तरह के अतिरिक्त पोष्टिक आहार की जरूरत होती है । न ही विशेष व्यायाम या आराम की । प्रतिक्रिया स्वरूप हमारा शरीर दिये गये रक्त का पुर्ननिर्माण मात्र 3 दिनों में ( अक्सर 24 घण्टों में ) ही कर लेता है ।

शरीर से थोड़ी मात्रा में रक्त निकालने से हमारे अस्थियों में स्थित लाल अस्थिमज्जा ( जहाँ सामान्यत: रक्त का निर्माण होता है ) को एक उत्प्रेरणा मिलती है । और वह शरीर से निकाले गये रक्त की क्षतिपूर्ति स्वयं ही कर लेता है । अत: जितना ख़ून रक्तदान में दिया जाता है , इसकी भरपाई नये ताजे ख़ून से अपने आप ही हो जाती है ।

दूसरे शब्दों में यूँ कहें कि बिना कुछ दिये हम किसी की जान बचा सकते हैं । सिर्फ रगों में बहने के कायल नहीं हैं हम , जो औरों के काम आये लहू उसे कहते हैं ।  जिस मरीज को रक्त की आवश्यकता है , उसके लिये आपका रक्त अमूल्य उपहार है । रक्त आपके हृदय का हिस्सा होता है , जिसे देकर आप इस बात की खुशी पा सकते हैं , जैसे आपके हृ का कोई हिस्सा मरीज का बनकर उसे नई ज़िंदगी दे रहा है ।
रक्त , आज भी ऐसी वस्तु है , जिसे किसी अन्य स्त्रोतों से नहीं प्राप्त किया जा सकता , इसे न तो कारखाने में बनाया जा सकता है और न ही खेतों में उगाया ।

आपका खून मात्र ही मरीज के खून का विकल्प हो सकता है । यकीन जानिये , रक्तदान से आपको वह ज़हनी सुकून मिलगा , जिसे आप कहीं और से प्राप्त नहीं कर सकते । ब एक सुई की चुभन का दर्द सहने की इच्छाशक्ति हो तो आप किसी की जान बचा सकते हैं । आईये संकल्प लें , कि किसी भी मरीज की मौत ख़ून ने मिलने के कारण नहीं होने देंगे।

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