दुर्ग
अब मिलेगा दाऊ मंदराजी सम्मान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 1 नवंबर। कंठ कोकिला छत्तीसगढ़ी लोक गायिका जयंती यादव को लोककला के क्षेत्र में इस साल का दाऊ मंदराजी सम्मान प्रदान किया जाएगा। उन्होंने दाऊ मंदराजी के सानिध्य में ही मात्र 12 साल की उम्र में उनकी हवेली से अपनी कला यात्रा प्रारंभ की थी।
जयंती की माने तो मुंबई में हिंदी फिल्मों की प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर एवं गायक मोहम्मद रफी ने भी उनके गायन की सराहना की थी। जयंती यादव के मुताबिक उन्होंने पहले दाऊ मंदराजी के रवेली नाच पार्टी में काम करते हुए ही गायन की शुरुआत की, फिर दाऊ रामचंद्र देशमुख से जुडक़र उन्होंने लोक कलामंच में गायन प्रारंभ की, जहां से उन्हें लोक गायिका के रूप में एक अलग पहचान मिली।
उन्होंने बताया कि हबीब तनवीर के साथ भी उन्हें काम करने का अवसर मिला। इसी दौरान कही देबे संदेश के निर्देशक मलय चक्रवर्ती उन्हें बाम्बे लेकर गए, जहां लता मंगेशकर एवं मोहम्मद रफी से मुलाकात हुई, जिन्होंने उनके गायन की सराहना की थी।
जयंती यादव का दावा है कि छत्तीसगढ़ के राज्य गीत अरपा पैरी के धार को उन्होंने ही पहले स्वर दिया था, उनके मधुर गायन की राज्य में लाखों प्रशंसक है।
दाऊ रामचंद्र देशमुख कहते थे कि जयंती का सम्मान लोक कला का सम्मान है यही कारण है कि उन्हें सैकड़ों सम्मान भी मिले हैं। उन्होंने अचरा ल रो-रो के भिंगोवत हंव... तोला कोन बताही रद्दा जैसे सैकड़ों लोकप्रिय गीतों को स्वर दिया है। छत्तीसगढ़ के गीतकार हरि सिंह ठाकुर, बद्री विशाल, परमानंद यदु, हेमनाथ वर्मा, सुशील यदु, गन्नू यादव, शेख मन्नान, मुरली चंद्राकर के अनेक प्रसिद्ध गीतों को अपने स्वरों से सजाया है। जयंती यादव को इतनी उपलब्धियों के बावजूद भी काफी मुफलिसी में जीवन गुजारना पड़ा है।