बस्तर
पारंपरिक खेलों में दमखम दिखा रही हैं आदिवासी महिलाएं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 18 नवम्बर। शहर के लालबाग मैदान में 2 दिवसीय जिला स्तरीय छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक का आयोजन हुआ। इन खेलों में विजेता प्रतिभागी अब संभाग स्तरीय खेलों में अपना दमखम दिखाएंगे। पारंपरिक खेलों जैसे गुल्ली-डंडा, भौंरा, बिल्लस, पि_ुल, कबड्डी और रस्साकसी को खिलाडिय़ों ने जीवंत किया है। नई और पुरानी पीढिय़ों के बीच पुल बनाने का काम करता यह खेल आयोजन कई मायनों में खास है।
जैसे पुराने खेलों का लोगों के बीच फिर से जीवंत होना, युवा पीढ़ी को पारंपरिक खेलों से अवगत करवाना और सबसे खास उन आत्मविश्वासी महिलाओं को एक बार फिर से मंच देना जो वाकई कुछ करना चाहती हैं। लालबाग के मैदान में आयोजित इस जिला स्तरीय प्रतियोगिता में कुछ ऐसी ही महिलाओं ने अपना हुनर दिखाया। आत्मविश्वास से भरी बस्तर की ये महिलाएं जमकर सभी प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं।
बस्तर विकासखंड की मालती अपने एक वर्षीय बच्चे के साथ जिला स्तरीय प्रतियोगिता में पहुंची थी। अपनी बारी का इंतजार कर रही मालती आत्मविश्वास से भरी नजर आयीं। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वे कबड्डी की खिलाड़ी हैं औरअपने बच्चे के साथ प्रतियोगिता में भाग लेने पहुंची हैं।
मालती ने कहा -मैंने कभी सोचा नहीं था कि फिर से खेलने का मौका मिल पाएगा। पर अब खेलने मिल रहा है जो काफी अच्छा अनुभव है। मैं अपने एक साल के बेटे के साथ आई हूं लेकिन मुझे इससे परेशानी नहीं होती है। क्योंकि खेलने के दौरान हमारे यहां से आए खिलाड़ी दोस्तों में से कोई न कोई सदस्य बच्चे को संभाल लेता है। घर वालों ने भी काफी सपोर्ट किया तो मैं खेल रही हूं।
टीम की ही भारती का कहना है कि शादी के बाद खेलने मिलेगा ये तो नहीं सोचा था। पर इस खेल आयोजन से महिलाएं भी आगे बढ़ रही है। ये हम लोग के लिए अच्छी बात है। मैं सरकार को सच में धन्यवाद देना चाहती हूं कि उन्होंने ऐसी योजना की शुरूआत की है।
टीम की एक और सदस्य नीलमणि ने बताया-मैं साड़ी पहनकर खेलती हूं और मुझे कोई दिक्कत नहीं होती है। यहां खेलकर बचपन का याद आ गया।
बस्तर के जगदलपुर में आयोजित इस जिला स्तरीय छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक में खेल रहे सभी वर्ग के खिलाडिय़ों में काफी उत्साह नजर आया। साथ ही अलग-अलग आयुवर्ग के खिलाड़ी खेल भावना से एक साथ खेलते नजर आए।