रायगढ़

आदिवासी युवती से रेप की कोशिश, 3 साल की सजा
10-Dec-2022 3:19 PM
आदिवासी युवती से रेप की कोशिश, 3 साल की सजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 10 दिसम्बर।
अनुसूचित जनजाति की युवती से अश्लील हरकत, रेप का प्रयास और टार्चर करने के मामले में एट्रोसिटी की विशेष अदालत ने आरोपी को अलग-अलग धाराओं में 3 वर्ष के सश्रम कारावास और अर्थदण्ड से दंडित किया है।
जानकारी अनुसार, 12 जनवरी को पीडि़ता के घर के लोग मजदूरी करने गए थे तथा वह घर पर अकेली थी तभी सुबह 9 बजे उसके गांव का आरोपी घर अंदर घुसकर उससे बात करना है कहा, पीडि़ता को आरोपी का स्वभाव अच्छा नहीं लगा और उसने बात करने से इंकार कर दिया। आरोपी उसकी बेइज्जती करने की नियत से दोनों हाथ को पीछे से दबाकर एक हाथ से उसका मुंह को दबा दिया और अश्लील हरकत करते हुए जमीन में गिरा दिया।

आरोपी ने साथ लाये बिजली के तार से जोडक़र उसे करंट देने की कोशिश किया तब वह आरोपी को धक्का देकर चिल्लाते हुए घर से बाहर निकली और अपनी बुआ के घर जाकर घटना के बारे में बताई। बुआ ने पीडि़ता के माता-पिता को बुलाया, तब पीडि़ता ने घटना के बारे में बताया सभी को बताया।

पीडि़ता द्वारा उक्त घटना के संबंध में पुलिस चौकी जूटमिल में लिखित शिकायत प्रस्तुत की, जिसके आधार पर आरोपी के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज किया गया। पीडिता का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया, घटना स्थल का नजरी नक्शा तैयार किया गया, घटना स्थल से एक बिजली का तार एवं एक चप्पल  जब्त किया गया। साक्षियों के बयान दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया। आरोपी के विरुद्ध धारा 454, 354, 354 (क) भादस एवं धारा 3 (2) (5) (क) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) के अंतर्गत अभियोगपत्र इस न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।

अदालत में सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटि जितेंद्र कुमार जैन ने उपरोक्त प्रकरण में आरोपी को दोष सिद्ध करार देते हुए  आरोपी योगेन्द्र महंत को धारा 452 भादंसं में 2 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 हजार अर्थदण्ड से, धारा 354 भादंसं में 2 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 हजार रुपए अर्थदण्ड से, धारा 354 (ख) भादंसं में 3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपये अर्थदण्ड से एवं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 के तहज 5 हजार रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है।

आरोपी द्वारा अर्थदण्ड की राशि अदा न करने पर उसे क्रमश: 15 दिन, 15 दिन, 1 माह एवं 15 दिन का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगताया जाए, आरोपी को दी गई कारावास की सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अनूप कुमार साहू ने पैरवी की।
 

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