रायपुर
उइके ने सरकार से पूछा-विधि विभाग की राय क्या है बताएं
जवाब से संतुष्ट होने के बाद ही मंजूरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 दिसंबर। 15 दिनों से 76त्न आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक को लेकर जारी राजनीतिक द्वंद अब नये मोड़ पर जाता नजर आ रहा है। सीएम भूपेश बघेल समेत तीन मंत्रियों ने राजभवन की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्यपाल अनुसुइया उईके इन सबसे अलग सरकार से यही कहती रही है कि वह आंखें बंद कर संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी। अपने संशयों को दूर करने राज्यपाल मुख्य सचिव, सचिव जीएडी और एक अन्य सचिव के डी कुंजाम, से भी प्रावधानों के असर को समझने का प्रयास करते रहीं। उइके एक ही बात पर जोर देते रहीं कि उनकी मंजूरी के बाद नये आरक्षण को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दिया जा सके। अब तक के मंथन में उइके को अपने इन प्रश्नों का जवाब नहीं मिल पाया है। अंतत: उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर 10 प्रश्नों का जवाब मांगा है।
क्या अनुसूचित जाति और जनजाति के संबंध में मात्रात्मक विवरण (डाटा) संग्रहित किया गया है।
इंदिरा साहनी केस में उल्लेखित विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियां कौन सी हैं ?
हाईकोर्ट के आदेश के ढाई महीने बाद ऐसी कौन सी परिस्थितियां बनीं, जिसके आधार पर आरक्षण में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई ?
अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्ति किस प्रकार राज्य में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं?
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति और जनजाति के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन को ज्ञात करने के लिए कौन सी कमेटी बनाई गई?
क्वांटिफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन में प्रस्तुत करें।
अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का क्या अभिमत है।
क्वांटिफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन में प्रस्तुत करें।
अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का क्या अभिमत है?
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए संविधान के अनुच्छेद 16 (6) के तहत पृथक अधिनियम लाना चाहिए था? अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य राज्य की सेवाओं में क्या चयनित नहीं हो रहे हैं? क्या 76 प्रतिशत आरक्षण लागू करने से प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया है। इस संबंध में क्या कोई सर्वेक्षण किया गया है?