रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 अप्रैल। सामान्य प्रशासन विभाग ने बिना उसकी सहमति से अन्य विभागों द्वारा भर्ती नियमों में संशोधन करने पर रोक लगा दी है। सभी विभागों के सचिवों को भेजे पत्र में सचिव जीएडी मुकेश बंसल ने कहा है कि प्रशासकीय विभाग भर्ती नियमों में संशोधन कर भर्ती कर लेते हैं यह अनुचित है और कार्य आबंटन नियमों के विपरीत है। ऐसा न किया जाए।
बंसल ने अपने आदेश में कहा है कि कतिपय विभागों सामान्य प्रशासन विभाग (नियम शाखा) से अभिमत प्राप्त किये बिना उनके भरती नियमों में संशोधन कर भरती की कार्यवाही करने लगे हैं। जो कि शासन के कार्य (आबंटन) नियम के अनुसार उचित नहीं है। प्रशासकीय विभागों द्वारा उक्तानुसार कार्यवाही किये जाने से न्यायालयीन प्रकरण बनने की संभावना हो जाती है। अतएव सभी प्रशासकीय विभाग, उनके भरती नियमों में अगर कोई नया संशोधन किया जाना हो, तो सर्वप्रथम प्रस्तावित संशोधन के संबंध में विभाग के मंत्री से प्रशासकीय अनुमोदन लें। फिर अभिमत के लिए सामान्य प्रशासन विभाग (नियम शाखा ) को भेज़ें।सामान्य प्रशासन विभाग के अभिमत और अनुमोदित संशोधन अधिसूचना प्रारूप का (आवश्यकतानुसार छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की सहमति भी प्राप्त किया जाये। विधि विभाग से परिमार्जित अधिसूचना का छत्तीसगढ़ के राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित कराकर जाकर राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना की एक प्रति सामान्य प्रशासन विभाग को भेजी जाए। तत्पश्चात भर्ती की जाए।
यह आदेश इनको भी सचिव मुख्यमंत्री, राज्यपाल उप सचिव, मुख्य सचिव कार्यालय,रजिस्ट्रार उच्च न्यायालय बिलासपुर,सचिव, छत्तीसगढ़ विधानसभा,निज सचिव समस्त मंत्री,महानिदेशक, प्रशारान अकादमी निमोरा , सचिव छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग,मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी,सचिव राज्य निर्वाचन आयोग, महालेखाकार समेत सभी निगम मंडल और आयोगों को भी निर्देशित किया है।
कुलसचिव नियुक्ति नियम ही गलत हैं
इधर बताया जा रहा है कि प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों में कुलसचिव और अन्य वरिष्ठ पदों की भर्ती के नियम शुरू से ही त्रुटिपूर्ण है। से नियम मप्र के समय से ही चल रहे हैं। जिन्हें राज्य गठन के वक्त छत्तीसगढ़ ने भी अनुकूलन कर लिया। इसके मुताबिक विवि, सरकार से अनुदान प्राप्त स्ववित्तीय संस्थान है। और इनके स्टाफ को कोषालय से वेतन भत्ते नहीं दिए जाते। शासकीय नियमानुसार ट्रेजरी विथड्राल वाले पदों पर ही शासकीय नियमों से भर्ती होती है वे ही राजपत्रित कहलाते हैं। लेकिन इन विवि के कुलसचिव भी राजपत्रित अधिकारी लिखे जाते हैं। यह पद राजपत्रित न होने से ही प्रतिनियुक्ति पर प्राध्यापक,प्राचार्यों की नियुक्ति की जाती है।