बस्तर

क्रशर खदान में नियमों की उड़ रही धज्जियां
02-Jan-2023 9:08 PM
क्रशर खदान में नियमों की उड़ रही धज्जियां

 मजदूर-पास के गांवों के ग्रामीण हो रहे बीमार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 2 जनवरी। लोहंडीगुड़ा ब्लाक के अंतर्गत ग्राम टाकरागुड़ा में क्रशर खदान में खनिज नियमों, पर्यावरण नियमों की अवहेलना करने का मामला सामने आया है। खदान में काम करने वाले मजदूरों और पास के गांवों के ग्रामीण बीमार हो रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार काम कर रहे मजदूरों के पास सुरक्षा के कोई भी उपकरण नहीं दिया गया है, वहीं खदान में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे से  बिना कोई सुरक्षा उपकरण के लापरवाही पूर्वक काम करवाया जा रहा है। जिसे देख ऐसा लगता है कि खदान के संचालक नियम कायदों की धज्जियां उड़ाकर धड़ल्ले से स्टोन क्रशर चला रहे हैं, और संबंधित विभाग आँख मूंदे सब देख रहा है मानो किसी अप्रिय घटना का इंतजार कर रहा हो?

इस मामले में कानून के जानकारों का कहना है कि क्रशर/ खदान या किसी भी संस्थान में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे से काम करवाना कानूनन अपराध है।

नाम नहीं छापने की शर्त पर मजदूरों ने बताया कि मजदूरों के पास काम के वक्त जूता हेलमेट दस्ताना व मास्क जैसी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध ही नहीं है, जो काम के दौरान बेहद जरूरी है। मजदूरों ने यह भी बताया कि खदान से काफी मात्रा में डस्ट निकलता है जो हवा के माध्यम से हमारे शरीर में चला जाता है जिससे हम कई मजदूर बीमार हो रहे हैं। हमने कई बार खदान के मालिक से सुरक्षा उपकरण के लिए कहा पर वह एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं। खदान मालिक द्वारा अभी भी हम मजदूरों से ही विस्फोट का काम करवाते है हमारे मना करने पर हमें निकालने की बात कही जाती है। इसलिए जो खदान के मालिक कहते हैं, जैसा करवाते हैं वैसा करते हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि आगे कभी भी हो सकती है, दुर्घटना।

वहीं आसपास के ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त में  बताया कि क्रेशर पास होने के कारण वहां से निकलने वाली डस्ट सीधे हमारे घरों में पानी, खाना, कपड़े व शरीर में चला जाता है जिससे हम बीमार हो रहे हैं, और दमा व कई प्रकार की बीमारी की शिकायत हो रही है।

उन्होंने बताया, इसकी शिकायत हमने कई बार की पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई अभी भी खदान चल रहा है, और हमें परेशानी हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि खदान गांव से सटे होने के कारण जब खदान में विस्फोट किया जाता है विस्फोट की ध्वनि इतना ज्यादा होती है कि घर पर रखी सामान  कंपन की वजह से नीचे गिर जाता है, वहीं विस्फोट के धमाके से कुछ कच्चे मकान भी गिर गए।

विभाग के जानकारों का कहना है कि क्रशर संचालन के लिए डस्ट को बाहर जाने से रोकने के लिए डस्ट अरेस्टर होना चाहिए।

जहां पर क्रशर संचालित है उस क्षेत्र के तीन और बड़ी दीवार होनी चाहिए। पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से संघन वृक्षारोपण क्षेत्र में होना अनिवार्य है।  नियम के तहत स्टोन क्रशर में सुबह शाम सिंचाई होनी चाहिए। वहीं पर्यावरण संरक्षण मंडल के अनुरूप वायु प्रदूषण की रोकथाम नहीं होने के चलते इसका सबसे अधिक खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ेगा। जानकारी के मुताबिक जिले के कुछ खदानों में इन नियमों की अनदेखी के चलते कई मजदूर सिलिकोसिस जैसी खतरनाक बीमारी का भी खतरा उत्पन्न होने की संभावना जताई जा रही है।

इस मामले पर जब ‘छत्तीसगढ़’ ने खनिज प्रशासन विभाग के उपसंचालक एसएस नाग से बात की तो उनका कहना है कि खदानों में सेफ्टी के नॉम्र्स का पालन करते हुए काम किया जाना चाहिए, साथ ही खदान में लाइसेंसी ब्लास्टर से ब्लास्ट कराया जाता है, मेरे संज्ञान में आप के माध्यम से जानकारी आई हैं, खनिज निरीक्षक से इसकी जांच कराता हूं।

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