बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 6 जनवरी। हाल ही में नारायणपुर में हुए घटना के विरोध स्वरूप सर्व आदिवासी समाज ने 5 तारीख को बस्तर बंद का आह्वान किया था, जिसे संभाग के सभी व्यापारिक संस्थानों के साथ सामाजिक संगठनों और बस्तर चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ने समर्थन देने की घोषणा थी।
5 तारीख सुबह से सडक़ों में सन्नाटा पसर गया और बंद समर्थक लगातार नगर में घूम-घूम कर लोगों से उन प्रतिष्ठानों को बंद करने की अपील कर रहे थे, जो सूचना के अभाव खुले हुए थे।
दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में सर्व आदिवासी समाज ने आम सभा का आयोजन किया था, जहां उपस्थित आदिवासी नेताओं ने जमकर मिशनरियों और राज्य सरकार को कोसा।
बंद को लेकर दो धड़ों में बंटा नजर आया आदिवासी
समाज, बंद के एक पूर्व सर्व आदिवासी समाज के एक पदाधिकारी ने प्रेस कांफ्रेंस कर बस्तर बंद से आदिवासी समाज का कोई लेना देना नहीं है कहकर बंद से किनारा कर लिया, और 5 जनवरी को नगर के गुण्डाधुर पार्क में सभा का आयोजन कर, आरक्षण, नौकरी जैसी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठा था, पर धर्मांतरण रोकने की मांग उनके मांगों का हिस्सा नहीं थी, जबकि संगठन के बस्तर अध्यक्ष दशरथ कश्यप के नेतृत्व में दूसरा धड़ा दंतेश्वरी मंदिर के सामने धरने पर बैठा था, जिसकी मांग केवल धर्मांतरण रोकने की थी।
डॉ. सुभाऊ कश्यप ने आदिवासियों को मूल हिंदू बताते हुए कहा कि बारसूर के मंदिर, ढोलकल की पहाड़ी में स्थापित श्री गणेश की मूर्ति किसी बाहरी ने नहीं अपितु आदिवासियों द्वारा ही स्थापित की गई हैं, आदिवासी आदि काल से हिंदू है और जो व्यक्ति आदिवासियों को हिंदू नहीं मानता वो मूर्ख है।
डॉ. सुभाऊ ने कहा की आदिवासी समाज नहाने से पहले जल को पेड़ में चढऩे से पहले पेड़ को यहां तक की हर कार्य से पहले वो उसे देव मानकर उसी पूजा करता है, आह्वान करता है। आदिवासियों से बड़ा हिंदू दूसरा कोई नहीं हो सकता है।
वहीं सर्व आदिवासी समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप ने नारायणपुर की घटना का विवरण देते हुए कहा कि 21 दिसंबर को ग्राम एडका में सर्व आदिवासी समाज की बैठक पर ईसाई मिशनरियों द्वारा मतांतरित लोगों के द्वारा हमला किया गया, जिसकी एफआईआर हमने पुलिस प्रशासन के समक्ष दर्ज करानी चाही, जिस पर पुलिस प्रशासन ने हमारे समाज का सहयोग नहीं किया, और प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने आदिवासी समाज के लोगों से बदसलूकी की जिसकी वजह से स्थिति बिगड़ी।
बस्तर बंद के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मिशनरियों द्वारा भोलेभाले आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्मांतरित करने और हिंसक हमले के विरोध में ये प्रदर्शन है।
बंद का विरोध करने वाले हैं मिशनरियों का एजेंट सर्व आदिवासी समाज के एक धड़े द्वारा बंद का विरोध किए जाने के संबंध में सर्व आदिवासी समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष ने बताया कि जो पदाधिकारी इस बंद का विरोध कर दे हैं वो मिशनरियों के एजेंट है ,और मिशनरियों के हित में इस बंद को असफल करना चाहते हैं।
समर्थन न देने वाले दलों को चेतावनी
सर्व आदिवासी समाज के धरने में पार्टी विशेष के लोगों की बहुलता पर दशरथ कश्यप ने कहा कि हमने समाज और सभी राजनीतिक दलों से समर्थन का आह्वान किया था, हमें भी ये आभास है कि एक पार्टी विशेष ने इस प्रदर्शन से दूरी बनाई है हम उन्हें चेतावनी देते हैं कि यदि आदिवासी रहेगा तभी उनकी पार्टी भी रहेगी, ये बात उन्हें भूलना नहीं चाहिए।
केदार ने हल्बी में दिया भाषण
केदार कश्यप ने स्थानीय बोली हल्बी में भाषण देते हुए कहा कि अब समाज को जागना होगा और अपनी संस्कृति की रक्षा करनी होगी क्योंकि जिन मिशनरियों से हमारी लड़ाई है, वो 50 आगे के मिशन पर काम कर रहे हैं। उन्होंने अफ्रीका के डेसमंड टूटू का उल्लेख करते हुए कहा कि जब मिशनरी अफ्रीका में गई तो मिशनरियों के हाथों में बाइबिल थी और अफ्रीकियों के पास जमीने, मिशनरियों ने कहा, आखें बंद कर प्रार्थना करो, जब आंखे खोली तो हमारे हाथ में बाइबिल थी और उनके पास जमीन।
केदार कश्यप ने कहा यदि आज हम अपनी संस्कृति को लेकर सजग नहीं हुए तो यही स्थिति आगामी 20 वर्षों बाद हमारे साथ भी वही होगा।
पुलिस प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
भाषण और धरने के उपरांत सर्व आदिवासी समाज ने अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें आदिवासी समाज के हितों और सुरक्षा के संरक्षित रखने की मांग सरकार से की गई। इसके अतिरिक्त अनुसूचित क्षेत्रों में धर्मांतरण रोकने के मांग भी ज्ञापन में की गई।