बस्तर
इनवेसिव वेंटिलेटर सपोर्ट के चलते ठीक हुए 38 प्रतिशत बच्चे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 6 जनवरी। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल से एक राहत भरी खबर सामने आई है, जहां शिशु विभाग के चिकित्सकों द्वारा किए गए सघन इलाज के चलते एक वर्ष के अंदर 105 शिशुओं को नई जिंदगी मिली है, शिशुओं के लगातार इलाज व यहां उपलब्ध उपकरण के साथ ही दवाइयों की किसी भी प्रकार से कोई कमी नहीं देखी गई है, शिशुओं के मृत्यु दर में काफी कमी देखी गई है, जिसका कारण डॉक्टरों, नर्स, स्टाफ द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयास सफल हो रहे है।
अधीक्षक डॉक्टर अनुरूप साहू ने बताया कि जनवरी 2022 से दिसम्बर 2022 (1 वर्ष) में शहीद महेन्द्र कर्मा स्मृति चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में 105 नवजात शिशुओं की वेंटिलेटर मशीन में गहन ईलाज के दौरान उनकी जान बचाई गई है। जिसमे इनवेंसीव वेंटिलेटर सर्पोट के पश्चात् ठीक होने वाले शिशुओं का प्रतिशत भी लगभग 38 प्रतिशत रहा है, जो काफी खुशी की बात है, देखा जाए तो मेकाज में एसएनसीयू 36 बेड का है। जिसमें एसएनसीयू वार्ड में वेंटिलेटर, सीपेप, फोटोथेरेपी, सेंट्रल आक्सीजन, सेंट्रल सक्सन, मल्टीपैरामॉनिटर, रेडिएन्ट वार्मर व अन्य आवश्यक उपकरण के साथ ही दवाईयाँ भी है। मेकाज में होने वाले सभी ईलाज व जाँच निशुल्क किया जाता है।
इस सफलता के लिए बस्तर सांसद दीपक बैज के द्वारा सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजनांतर्गत प्रदत्त वेंटिलेटर, रेडिएन्ट वार्मर, सीपेप मशीन, मल्टीपैरामॉनिटर, एक्सरे मशीन, नियोनेटल वेंटिलेटर सर्किट व अन्य उपकरणों से नवजात शिशुओं के गहन ईलाज में सहयोग मिल रहा है। वहीं प्रि-मेच्योरिटी एक्सफेक्सीया, निमोनिया व अन्य गंभीर स्थिति में फेफड़ा काम करना बंद कर देने से वेंटिलेटर सर्पोट की जरूरत पड़ती है। सबसे ज्यादा प्रि-मेच्योर, लोबर्थ वेट शिशुओं को दिक्कत रहती है। सितम्बर को स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव द्वारा एसएनसीयू के निरीक्षण के दौरान नवजात शिशुओं के बेहतर ईलाज के लिए दिशा-निर्देश देते हुए ईलाज की नि:शुल्क सम्पूर्ण व्यवस्था करने आदेश भी दिया गया था।