सूरजपुर
45 एकड़ भूमि का फर्जी पट्टा बनाने की शिकायत पर जांच
भैयाथान, 29 मई। खाड़ापारा के ग्रामीणों की 45 एकड़ भूमि का फर्जी पट्टा बनाने की शिकायत पर टीम ने जांच की। जांच के बाद तहसील न्यायालय के आदेश से नौ लोगों के नाम रिकार्ड में दर्ज किया गया था, उन्हें विलोपित करते हुए उक्त भूमि को पूर्ववत कर दिया गया।
ज्ञात हो कि बीते दिनों ग्राम पंचायत खाड़ापारा के ग्रामीणों के साथ जनपद सदस्य सुनील साहू ने नौ लोगों का दो खसरा नंबर पर लगभग 45 एकड़ भूमि का फर्जी पट्टा बनाने का आरोप लगाते हुये एसडीएम सागर सिंह के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा था और जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की थी। जिस पर एसडीएम ने मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए तत्काल जांच टीम गठित की थी। जांच टीम में शामिल तहसीलदार एवं राजस्व निरीक्षक ने ग्राम खाड़ा पारा जाकर ग्रामीणों के समक्ष मौका जांच की थी।
इस सबंध में सोमवार को तहसीलदार ने पत्रकारों को बताया कि एसडीएम के निर्देशन में मौके पर जाकर जांच किया गया, जहां ग्रामीणों से पूछताछ की और जिन नौ लोगों का खसरा बी वन में नाम दिख रहा है, उनका मौके पर कभी भी कब्जा नहीं रहा है। जिसका विधिवत पंचनामा तैयार किया गया। वहीं खसरा नंबर 81 रकबा 29.88 हे. व खसरा नंबर 123 रकबा 11. 46 हे. का कलेक्टर द्वारा सामुदायिक वन अधिकार पत्र वर्ष 2011-12 में ग्राम पंचायत को दिया जा चुका है। एसडीएम से अनुमति लेकर नौ लोगों का नाम पुनर्विलोपित करते खसरा बी वन में उक्त भूमि को पूर्ववत करने की बात तहसीलदार ने कही। तहसीलदार ने आगे बताया कि जिन नौ लोगों का रिकार्ड दुरुस्त किया गया था, उनका प्रकरण तहसील न्यायालय में चलाया गया था, उन आवेदकों के पूर्वजों का नाम राजस्व अभिलेख 1954-55 में नाम दर्ज होना पाया गया था।
जिसके आधार पर उत्तराधिकारियों का नाम रिकार्ड में दुरुस्त करने का आदेश न्यायालय द्वारा दिया गया था।
रिकार्ड दुरुस्ती आदेश के दौरान अगर इस बात की जानकारी होती कि वर्ष 2011-12 में सामुदायिक अधिकार पत्र ग्राम पंचायत को दिया जा चुका है, लेकिन इश्तिहार प्रकाशन के बाद भी किसी प्रकार की आपत्ति दर्ज नहीं हुई थी, यही कारण है कि 9 लोगों का रिकार्ड दुरुस्त कराया गया था, पर ग्रामीणों की शिकायत में यह बात सामने आई कि 2011-12 में ग्राम पंचायत को अधिकार पत्र प्राप्त हो चुका है, इसलिए तहसील न्यायालय के आदेश से नौ लोगों के नाम रिकार्ड में दर्ज किया गया था, उन्हें विलोपित करते हुए उक्त भूमि को पूर्ववत कर दिया गया।
इस मामले में शिकायत भले ही नौ लोगों का किया गया था, पर इसी खसरा नंबर 81 व 123 को वर्ष 2011-12 में सामुदायिक अधिकार पत्र ग्राम पंचायत को दिया जा चुका है, उसी दोनों खसरे पर वर्ष 2012-13 में लगभग 22 लोगों को वन अधिकार पत्र भी दिया गया है। जब दोनों खसरों के संपूर्ण रकबे का अधिकार ग्राम पंचायत के पास है तो एक वर्ष बाद उस रकबे में 22 लोगों का वन अधिकार पट्टा मिलना कई सवालों को जन्म देता है हालांकि तहसीलदार ने इन सभी पट्टों की भी जांच करने की बात कही है।