रायगढ़
पुलिस ने 20 हजार पन्नों का पेश किया चालान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 14 जून। रायगढ़ नगर निगम में बीते सात साल पहले हुए निमार्ण कार्य, खरीदी सहित अन्य घोटाले में शामिल पूर्व निगम आयुक्त सहित 11 कर्मचारियों को पुलिस ने गिरिफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां सभी को देर शाम तक जमानत मिल गई। निगम में हुए घोटाले की फाइल सात साल बाद अचानक खुलने से आरोपियों में हडक़ंप मच गया है।
मंगलवार को पुलिस पूर्व आयुक्त प्रमोद शुक्ला सहित 11 लोगों को गिरफ्तार कर न्यायालय लेकर गई और करीब 20 हजार पन्नों का चालान पेश किया। हालांकि मुचलके पर सभी रिहा भी हो गए चुकी सभी ने पहले से हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली थीं, लेकिन इस दौरान कोर्ट में काफी गहमा-गहमी का माहौल नजर आया।
दरअसल 2016 में तत्कालीन भाजपा विधायक रोशन लाल अग्रवाल ने कलेक्टर के साथ ही कलेक्टर सहित नगरीय प्रशासन विभाग को रायगढ़ नगर निगम में हो रही धांधली की शिकायत की थी। जिसमें कंटेनर घोटाला, सीमेंट पोल की खरीदी, पाइप खरीदी, वाहन सामग्री एवं सफाई सामग्री की खरीदी में गड़बड़ी की बात कही गई थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने एक संयुक्त जांच टीम बनाकर निगम के पुराने रिकार्ड खंगालते हुए रिपोर्ट शासन को पेश की थी। जांच सही पाए जाने पर पूर्व आयुक्त प्रमोद शुक्ला सहित करीब दर्जनभर लोगों के खिलाफ कोतवाली में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया था।
अपराध दर्ज होने के बाद सभी आरोपी कई महीनों तक फरार हो गए थे। इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत के साथ स्टे ले लिया था। स्टे हटने के बाद कोतवाली पुलिस ने सभी आरोपियों को मंगलवार को तलब कर थाने बुलाया और प्रक्रिया के तहत उनकी गिरफ्तारी की। इसके बाद उन्हें जमानत मुचलका पर रिहा किया गया और न्यायालय ले जाया गया। जहां पुलिस ने करीब 20 हजार पन्नों का चालान पेश किया, जिसकी स्क्रूटनी की गई। देर शाम आरोपी कोर्ट से रिहा हुए।
करोड़ों रुपए के घोटाले के ये हैं आरोपी
प्रमोद शुक्ला (66), अनिल कुमार वैद्य (60), प्रभा टोप्पो (25), सत्यनारायण अघरिया (57), दिनेश कुमार शर्मा (55), हरिकेश्वर लकड़ा (45), प्रतुल कुमार श्रीवास्तव (57), अनिल कुमार बाजपेयी (45), गंगादीन सारथी (64), अशोक कुमार कुंभकार (38) इस मामले के आरोपी हैं।
भयभीत नजर आए आरोपी लगाते रहे फोन
कोर्ट में पेश होने के दौरान आरोपियों के चेहरे की रौनक गायब हो गई थी, वो काफी भयभीत और सहमे नजर आ रहे थे। जज उन्हें कहीं रिमांड पर न भेज दें, इस डर से वो बार-बार अपने वकीलों और जान पहचान वाले नेताओं को फोन लगा रहे थे। इधर नगर निगम के बाकी कर्मचारी भी कोर्ट पहुंच कर उन्हें जमानत दिलाने की जुगत लगा रहे थे। आखिरकार देर शाम तक सभी को जमानत मिल गई।