रायगढ़
बुजुर्ग महिला का रीति-रिवाज से कराया अंतिम संस्कार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 18 जुलाई। जाति प्रथा और अंधविश्वास को दूर करने के लिये सरकार तथा स्वयंसेवी संगठन चाहे लाख प्रयास कर ले मगर कुछ समाज में आज भी ऐसी कुप्रथाएं प्रचलित है जो परिवार को ही निगल लेती है। ऐसा ही एक मामला भूपदेवपुर के लोढ़ाझर का सामने आया है। जहां अंतरजातीय विवाह से नाराज समाज के लोगों ने जब बुजुर्ग महिला के अंतिम संस्कार में शामिल होने से इंकार कर दिया तो खाकी वर्दी इस परिवार के अपने बनकर सामने आई और पुलिस ने इस महिला को कंधा देकर पूरे रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार संपन्न कराया।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ जिले के भूपदेवपुर थाने की पुलिस टीम ने मानवता का परिचय देते हुए बेसहारा परिवार की वृद्ध महिला भारती 58 साल का आज पूरे रीति-रिवाज के साथ ग्राम लोढ़ाझर में अंतिम संस्कार किया। मृत महिला का उसके पति मुन्ना दास वैष्णव 65 साल के अलावा कोई नहीं था।
थाना प्रभारी भूपदेवपुर उप निरीक्षक गिरधारी साव को जानकारी मिली कि मुन्ना दास वैष्णव की गांव और समाज के लोगों से बनती नहीं है, उसकी पत्नी भारती के लंबी बीमारी के बाद निधन होने से कफन दफन अंतिम संस्कार के लिए समाज से कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं हो रहा है। थाना प्रभारी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार एवं वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराते हुए उनके दिशा निर्देश में थाना प्रभारी भूपदेवपुर ने ग्राम लोढाझर के महिला सरपंच और उसके पति और गांव के प्रमुख व्यक्तियों से संपर्क कर अपने स्टाफ के साथ ग्राम लोढाझर पहुंचे।
महिला का शव उसके घर पर रखा हुआ था महिला का पति शव के पास रोता बेसुध मिला। थाना प्रभारी ने गांव की सरपंच राजकुमारी, सरपंच पति भुजबल राठिया और गांव के शोभाराम साहू, मनोज साहू, गौरी साहू, पीलालाल साहू, हरिशंकर साहू, नेत्रान्द साहू, कोटवार भोजराम चौहान से चर्चा कर उन्हें वृद्ध महिला के शव की आज ही अंत्योष्ठी के लिये सहमत किये और अपने थाने, सहायक उप निरीक्षक देवदास महंत, प्रधान आरक्षक जागेश्वर दिग्रस्कर, आरक्षक मनोज यादव के साथ मिलकर विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया।
इसलिये समाज ने बनाई दूरी
गांव के मुन्ना दास बैरागी ने समाज के विपरीत जाकर एक यादव समाज की महिला से विवाह कर लिया था। अंतरजातीय विवाह से ग्रामीण इस कदर नाराज हुए की उन्होंने मुन्ना और उसके परिवार से हमेशा के लिए नाता ही तोड़ दिया। समाज के इस रूष्ट व्यवहार से बैरागी परिवार ने गांव में रहना ही छोड़ दिया। लेकिन जब मुन्ना की पत्नी भारती की मौत हुई तो अंतिम संस्कार गांव में ही करने की अंतिम इच्छा पूरी करने महिला की लाश को गांव लाया गया। जहां मुन्ना को उम्मीद थी कि उसकी पत्नी की मौत के बाद उसे समाज और ग्रामीणों का साथ मिलेगा। लेकिन बुजुर्ग महिला की अंतिम संस्कार के लिये भी समाज से एक भी सदस्य आगे नहीं आया।