गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 27 अगस्त। गरियाबंद स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आध्यात्मिक संस्था के द्वारा 100 से अधिक ब्रह्मा कुमार और कुमारियाँ द्वारा मेडिटेशन हॉल, शिव शक्ति भवन गरियाबंद में एकत्रित हुए और ब्रह्मा कुमारियों की द्वितीय मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि जी की 16वीं पुण्य स्मृति दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने दादी प्रकाशमणि द्वारा बोले गए दिव्य संस्करणों को साझा किया, जिसके बाद ब्रह्माकुमारीज गरियाबंद प्रमुख बी के बिंदु दीदी ने दादी के व्यक्तिगत अनुभव को साझा किए। दीदी ने कहा कि यज्ञ (संगठन) के मूल रत्नों में से दादी सबसे श्रेष्ठ रत्न हैं जो पवित्रता और निस्वार्थ प्रेम की मूर्ति थीं। उनके चेहरे पर मातृ-प्रेम झलकता था और वे सभी के प्रति उच्च दृष्टिकोण रखती थीं। दादी जी की स्वाभिमानीता, शुद्ध शक्तिशाली दृष्टि कई लोगों के दिलों को पिघला देती थी। उन्होंने कई लोगों को नई जिंदगी दी। उनकी दृष्टि से ही अनेकों को नई सतयुगी दुनिया का दिव्य साक्षात्कार हुआ। ब्रम्हाकुमार, कुमारियों से अटूट प्रेम के कारण उन्हें सब प्यार से कुमारिका दादी भी कहे जाते थे।
ब्रह्माकुमारीज के वरिष्ठ बीके भाई बहनों के सम्मुख दादी की दिवंगत आत्मा को भोग लगाया गया जो अब इस पुरानी दुनिया को नई दुनिया (सतयुग) में बदलने में गुप्त भूमिका निभा रहे हैं।
दादी जी के जीवन का मूल मंत्र सभी सुखी हो सबका कल्याण हो, सभी स्वस्थ रहें, सभी परमात्मा की शरण में आए और यह वसुंधरा शीघ्र ही स्वर्ग बन जाए।
दादी जी ज्ञान, समय, नियम मर्यादाओं का विशेष पालन करती थी। भगवान का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रभाग बनाए गए, जिनके द्वारा मीडिया, डॉक्टर, इंजीनियर युवाओं आदि सभी वर्गों की विशेष सेवाएं की जा रही हैं। इसके बाद सभी ब्रह्माकुमार भाई बहनों ने दादी जी को फूलमाला से श्रद्धांजलि अर्पित की। भ्राता डॉ. ओमप्रकाश ने दादी जी को माल्या अर्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कार्यक्रम में आमंत्रित ब्रह्माकुमारी बहनों एवं भाईयों का धन्यवाद किया।