धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 12 सितंबर। विकासखण्ड मगरलोड के संकुल सिंगपुर, खड़मा तथा सोनझरी क्षेत्र के दस गांव की पांच सौ माताओं ने संकुल प्राचार्य डॉ व्ही. पी. चन्द्रा ,शिक्षक तथा बच्चों के आह्वान तथा आमंत्रण पर स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट विद्यालय सिंगपुर में उपस्थित होकर न केवल वर्तमान शिक्षा में आने वाली बाधाओं को जाना समझा बल्कि बच्चों की शिक्षा दीक्षा में मातृ शक्ति की भूमिका को प्रभावी बनाने हेतु रचनात्मक भागीदार बनने हेतु संकल्प भी लिया।
ज्ञात हो कि इस कार्यक्रम में दस-पन्द्रह किलोमीटर दूर से माताओं ने उपस्थिति दी। सिंगपर के अतिरिक्त, अंजोरा,मुडक़ेरा, रावतमुड़ा, गिरहोला, कमईपुर, घनोरा, केकराखोली ,कासवाही, सोनझरी, बासीखाई गांव की माताएं उपस्थित हुई। उपस्थित माताओं के चेहरे पर एक उत्साह का भाव था कि वे अपने बच्चों की शिक्षा हेतु जो भी सम्भव है जरूर करेंगी। ज्ञात हो कि माताओं की उपस्थिति हेतु एक सप्ताह से शिक्षक तथा बच्चों की टीम लगातार योजनाबद्ध तरीके से घर घर जाकर आमंत्रण देने का काम कर रही थी जिसके कारण इतनी सारी माताओं ने उपस्थिति दी।
समग्र शिक्षा जिला धमतरी से पधारे डी.एम.सी.देवेश सूर्यवंशी ने कहा कि शिक्षा में मातृ शक्ति की बड़ी भूमिका है। माताएं न केवल घर परिवार में संस्कार,नैतिकता की शिक्षा दे सकती है अपितु बच्चों को सामाजिक जीवन की भी शिक्षा दे सकती है। उन्होंने बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के साथ-साथ बच्चों के सीखने सिखाने पर विद्यालय के शिक्षकों से बातचीत पर जोर दिया।
बच्चों को पीने का साफ पानी,साफ शौचालय, खेलकूद की सामग्री,वाचनालय की सुविधा उपलब्ध कराने में माताएं बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। उमेश्वरी ध्रुव, मीना मरकाम, हेमा ध्रुव, सुनीता ध्रुव, पद्मिनी कौशल, विमला यादव, यामिनी यादव, दीप्ति ग्वाल, बिंदा कुंजाम, सुरेखा,देवली साहू ने चर्चा में माताओं की निष्क्रिय भूमिका पर चिंता जाहिर कर कहा कि समय रहते बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं देने का परिणाम बहुत घातक होता है। अत: न केवल घर पर बल्कि समय समय पर विद्यालय आकर कक्षा शिक्षक से बच्चों की प्रगति पर बातचीत करनी जरूरी है।
संस्था के प्राचार्य ने चर्चा करते हुए देश विदेश से सैकड़ों उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चों को जन्म देने वाली मां को प्रथम गुरु एवं परिवार को प्रथम पाठशाला का दर्जा देने के पीछे यही कारण है कि ये दोनों जो काम कर सकते हैं दुनिया की कोई ताकत नहीं कर सकती। जेम्स वाट, थॉमस अल्वा एडिशन, ए पी जे अब्दुल कलाम को महान बनाने के उदाहरणों से हर माँ को प्रेरणा लेनी चाहिए। यदि बचपन मे माँ बच्चों को एक बार संस्कार दे दे फिर बच्चा कहीं भी जाये नहीं बिगड़ सकता।
प्राचार्य ने माताओं को एक समृद्ध वाचनालय की स्थापना के लिए आह्वान किया ताकि ग्रामीण क्षेत्र के हर गरीब किसान के बच्चे महंगे कोचिंग की अपेक्षा विद्यालय की समृद्ध लाइब्रेरी से अध्ययन कर शासकीय सेवा के अतिरिक्त, व्यापार, खेल, कृषि, संगीत, नृत्य, गायन एवं सामाजिक सेवा के क्षेत्र में जाएं। विद्यालय को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप सामाजिक चेतना का केंद्र बनाने हेतु आह्वान किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ऐरावती ग्वाल ने बच्चों को गलत मार्ग से बचकर शिक्षा ग्रहण पर जोर दिया। सरिता साहू ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्यालय द्वारा किये गये पहल की सराहना कर उपस्थित माताओं के सहयोग से एक समृद्ध वाचनालय हेतु त्वरित पहल का आश्वासन दिया।
इस अनुकरणीय कार्यक्रम में उपस्थित सभी माताओं ने प्राचार्य द्वारा प्रस्तुत सात वचनों को शत प्रतिशत पालन करने का संकल्प लिया-1.तन मन धन से विद्यालय को सहयोग देना। 2.बच्चों को नियमित विद्यालय भेजकर सीखने सिखाने पर बात करना । 3.कहानी या अन्य माध्यम से संस्कार एवम सदाचार की सीख देना। 4.बच्चे के जन्म दिन पर विद्यालय आकर एक पुस्तक भेंट करना। 5. बच्चों को सदैव आगे बढऩे का अवसर प्रदान करना । 6.कर्तव्य परायण एवम श्रम की प्रायोगिक शिक्षा देना। 7. रोज बच्चों की प्रगति पर निगरानी रखते हुए विद्यालय से मधुर सम्बन्ध बनाना।