सरगुजा
जीवंत झांकियों के साथ निकली शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
अंबिकापुर, 25 अक्टूबर। मंगलवार को विजयदशमी का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। भव्य आतिशबाजी और लोगों की भारी भीड़ के बीच मंगलवार की रात शहर के पीजी कॉलेज मैदान में दहन के पहले ही रावण का पुतला पटाखे की चिंगारी से जल उठा। बाद में मेघनाद तथा कुंभकरण के पुतले का दहन किया गया। आचार संहिता प्रभावशील होने के कारण रावण दहन कार्यक्रम पर प्रशासन की भी नजर लगी रही। प्रशासन की निगरानी में यह आयोजन हुआ।
विजयादशमी पर्व पर सरगुजा सेवा समिति, नागरिक समिति के तत्वावधान में होने वाले दशहरा उत्सव को लेकर दोपहर बाद से ही शहर में उमंग और उल्लास का वातावरण निर्मित हो गया था। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से भी बच्चे, बूढ़े, युवाओं के साथ महिलाओं का समूह कॉलेज मैदान की ओर जा रहा था, ताकि अंतिम समय में पीजी कॉलेज मैदान में प्रवेश हेतु उन्हें परेशान न होना पड़े।
इधर, दोपहर में श्रीराम मंदिर से आयोजन समिति द्वारा बाजे - गाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। जीवंत झांकियों के साथ निकली शोभायात्रा का मार्ग में जगह-जगह आत्मीय स्वागत किया गया। भव्य आतिशबाजी और पुष्प वर्षा कर लोगों ने शोभायात्रा का स्वागत किया। शोभायात्रा शाम को पीजी कालेज मैदान पहुंची।
शोभायात्रा के पहुंचने से पहले ही पीजी कॉलेज मैदान लोगों से भर चुका था। पुलिस व प्रशासन द्वारा पार्किंग की व्यवस्था निर्धारित की गई थी। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी। आयोजन स्थल पर उत्सवपूर्व माहौल में राम, लक्ष्मण और हनुमान को मंच में लाया गया, जहां आयोजन से जुड़े समितियों के पदाधिकारी, सदस्यों ने राम का राजतिलक किया। कलाकारों की भावपूर्ण भजनों की प्रस्तुति लगातार जारी रही।
पदाधिकारियों ने विजयादशमी पर्व की शुभकामना देते हुए सभी की समृद्धि, खुशहाली की कामना की। कार्यक्रम में संभाग स्तरीय रामचरित मानस गायन और लोकनृत्य प्रतियोगिता के प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त दलों को भी आयोजन समिति की ओर से पुरस्कृत किया गया। आचार संहिता के साए में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रशासन की भी नजर लगी रही।
आयोजन में भव्य आतिशबाजी की गई। अलग-अलग रंगों और आवाज वाले पटाखों से समूचा शहर गुंजायमान होता रहा। इसी बीच पटाखे की चिंगारी रावण के पुतले को लगी और पुतला जल उठा। आयोजकों के साथ वहां मौजूद भीड़ कुछ समझ पाती, इसके पहले ही रावण व कुंभकरण का पुतला जल गया। प्रतीकात्मक रूप से मेघनाद का पुतला दहन किया गया। उमंग और उल्लासमय वातावरण में रावण दहन कार्यक्रम संपन्न होने के बाद लोगों ने एक-दूसरे को विजयादशमी पर्व की बधाई दी।