सरगुजा
60 फीट के रावण पुतले का दहन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
लखनपुर, 26 अक्टूबर। पूरे देश में दशमी तिथि को विजयादशमी (दशहरा) पर्व मनाया जाता है, वहीं लखनपुर में एक दिन बाद एकादशी तिथि को विजयादशमी मनाये जाने की रीति रही है। इसी परंपरा को क़ायम रखते हुए नगर में एक दिन बाद 26 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया गया। इस दौरान 60 फीट के रावण पुतले का दहन किया गया।
दशमी तिथि पर ग्राम कुन्नी, लटोरी कोरजा, कटिन्दा, जोधपुर सहित आसपास ग्रामीण इलाकों तथा दूसरे शहरों में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन कर विजयादशमी मनाई गई। लेकिन लखनपुर में रियासतकालीन प्रथा अनुसार एक दिन बाद विजयादशमी (दशहरा) मनाया गया।
नगर में दुर्गा पूजा मनाये जाने का अपना अलग ऐतिहासिकपहलू है। दरअसल स्वतंत्र भारत से पहले ब्रिटिश शासनकाल सन् 1944 में बाजारपारा लखनपुर में दुर्गा पूजा किये जाने का नियम आरंभ हुआ। बाद इसके आजाद भारत में सन् 1976 ईस्वी से जूनालखनपुर बसस्टेड में स्थापित नवचेतना दुर्गा मंडप अस्तित्व में आई। दुर्गा प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना आरंभ हुई यानी नगर में दो स्थानों पर दुर्गा पूजा होने लगा, जो बदस्तूर जारी है।
मौजूदा वक्त में आसपास ग्रामीण इलाकों में भी दुर्गा पूजा किये का सिलसिला आरंभ हो गया है। फिलहाल नगर में दुर्गा प्रतिमाओं की शोभायात्रा निकाली गई। नगर के विभिन्न गलियों से गुजरते हुए रिवाज के मुताबिक दोनों दुर्गा मंडप पूर्वी एवं पश्चिमी के प्रतिमाओं को राज महल प्रांगण में लाया गया।
यहां राजपरिवार के लाल अजीत प्रसाद सिंह देव तथा कुंवर अमीत सिंह देव सुमित सिंह देव ने मां दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती आदि देवी देवताओं के प्रतिमाओं की पूजा अर्चना कर स्वागत किये।
इसके बाद दोनों दुर्गा पंडालों के प्रतिमाओं भ्रमण कराते हुए बिलासपुर मुख्य मार्ग थाना के सामने साक्षरता मिनी स्टेडियम के पास ले जाया गया, जहां बुराई पर अच्छाई एवं असत्य पर सत्य के विजय का प्रतीक रावण दहन कार्यक्रम आयोजित हुई रंग-बिरंगी पटाखों के आतिशबाजी दहन का नजारा देखने ब्लाक क्षेत्र के लोगों की बेहिसाब भीड़ रही ।
रावण दहन कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि एवं पदाधिकारियों द्वारा 60 फीट के रावण पुतले का दहन किया गया। लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात रही। देर शाम को देवी प्रतिमाओं को प्राचीन देव तालाब में विसर्जित किया गया। इस तरह से उत्साह उमंग के साथ विजयादशमी दशहरा पर्व मनाया गया।