रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 नवंबर। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन अपने ओडि़शा प्रवास के दौरान गत दिवस कटक में फतुरानंद स्मृति समारोह और कंतकाबी पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री हरिचंदन ने अपने उद्बोधन में कंतकाबी की बहुमुखी प्रतिभा पर प्रकाश डाला और कहा कि उनकी कविताओं और उनके सभी लेखों में स्वतंत्रता संग्राम की झलक है। उनके लेखन ने आम लोगों में ब्रिटिश के विरुद्ध क्रांति की भावना प्रज्वलित कर दी।
श्री हरिचंदन ने कहा कि श्री कंतकाबी के लेखन और कविता ने आम लोगों के मन में अंग्रेजों के खिलाफ लडऩे के लिए एक हथियार के रूप में काम किया। ओडिशा के राज्य संगीत के रूप में उनके द्वारा रचित संगीत ‘‘बनंदा उक्राला जननी‘‘ ने हर ओडिशा वासी के दिल को आंदोलित किया है। महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित होकर कंतकाबी ने स्कूल छोड़ दिया और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गये और जेल गये।
स्वतंत्रता संग्राम में वे अकेले नहीं थे, बल्कि उनका पूरा परिवार भी शामिल था। उनकी रचनाओं में क्रांति के अलावा व्यंग्य, हास्य, करुणा और गंभीरता का समावेश है। उन्होंने साहित्य के हर पहलू में कहानियाँ, कविताएँ, उपन्यास, नाटक आदि की रचना करके रूढि़वादी साहित्य को समृद्ध किया। राज्यपाल ने कहा कि कंतकाबी का जीवन हमेशा देश की मुक्ति और आम लोगों की भलाई के लिए समर्पित था।
हास्य विकास केंद्र कटक, फतुरानंद के स्मृति समारोह के अवसर पर राज्यपाल श्री हरिचंदन ने ओडिशा के प्रसिद्ध हास्य लेखक फतुरानंद को याद किया। फतुरानंद की रचनाएँ व्यंग्य और हास्य से भरपूर थीं।