सूरजपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
लखनपुर,24 नवंबर। कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाया जाने वाला देवउठनी का पर्व पूरे क्षेत्र में उत्साह के साथ मनाया गया।
गौरतलब है कि देवशयनी एकादशी के उपरांत देवउठनी एकादशी तक मांगलिक कार्यक्रम पर रोक रहती है। पुराणों के अनुसार इस अवधि में भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान निद्रा से जागते हैं और शादी जैसे मांगलिक कार्यक्रम भगवान विष्णु-मां तुलसी के विवाह के पश्चात प्रारंभ होते हैं।
इस दिन गन्ने का मंडप बनाकर विधि विधान से भगवान शालिग्राम और तुलसी माता का विधि पूर्वक विवाह संपन्न कराया जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी की विधि पूर्वक विवाह पूजन करने से वर्ष भर मंगल होते रहता है सुख-शांति समृद्धि आती है व भगवान विष्णु-माता तुलसी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है, इसलिए यदि किसी की कन्या न हो तो उसे अपने जीवन में एक बार तुलसी विवाह करके कन्यादान करने का पुण्य अवश्य प्राप्त करना चाहिए।