सूरजपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिश्रामपुर, 4 दिसंबर। आज संयुक्त कोयला मजदूर संघ (एटक) के तत्वावधान में सैकड़ों ठेका मजदूर अपनी मांगों को लेकर एकत्रित होकर तीन दिवसीय क्रमिक भूख हड़ताल प्रारम्भ की।
मजदूरों का आरोप है कि बिश्रामपुर कोल इंडिया की पहली एमडीओ मोड़ की खदान में ठेका मजदूरों का आर्थिक, शारीरिक शोषण हो रहा है, जिसके विरोध में क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की है। क्रमिक भूख हड़ताल के पहले दिन 5 ठेका मजदूर क्रमश: श्रवण कुमार साहू, संजय देवांगन, राजेश सिंह,रोहित कुमार एवं तारकेश्वर भूख हड़ताल पर बैठे।
सभा स्थल पर उपस्थित ठेका श्रमिकों को सम्बोधित करते हुए अजय विश्वकर्मा, केंद्रीय अध्यक्ष ने बताया कि एसएमएस प्रबंधन एवं एसईसीएल प्रबंधन द्वारा किये गए अनुबंध के अनुसार केतकी भूमिगत के श्रमिकों को कोल इंडिया हाई पावर कमेटी द्वारा तय वेतनमान का भुगतान किया जाना है, लेकिन प्रबंधन और ठेकेदार मिलीभगत से विगत एक वर्ष से ठेका श्रमिकों को 400/- से 500/- रुपये का भुगतान कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। एटक के नेतृत्व में ठेका श्रमिकों को तय वेतन, वेतन पर्ची एवं सीएमपीएफ कटौती का विवरण माँगा गया तो प्रबंधन द्वारा अचानक से 15 नवंबर 2023 को सभी ठेका श्रमिकों को काम से बैठा दिया।
विरोध स्वरुप ठेका श्रमिकों ने कई बार एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करते हुए मांग की कि काम से बैठाये गए ठेका श्रमिकों को तत्काल काम पर वापस लेते हुए कोल इंडिया हाई पावर कमेटी द्वारा तय मजदूरी का भुगतान किया जाए। वेतन का वेतन पर्ची प्रदान किया जाए। उनके वेतन से कटौती होने वाले सीएमपीएफ का नंबर तथा फंड का विवरण प्रदान किया जाए। ताकि श्रमिकों का जीवन सुधर सके।
विश्वकर्मा ने यह भी कहा कि वर्तमान प्रक्रिया में ठेकेदार एवं एसईसीएल प्रबंधन के लोग वेतन में भारी भ्रष्टाचार कर पूर्ण वेतन का लाभ कामगारों तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं मजदूरों की जायज मांगों पर एसएमएस प्रबंधन एवं एसईसीएल प्रबंधन को त्वरित कार्रवाई करने को कहा अन्यथा आंदोलन का और भी विस्तार किया जाएगा। जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी एसएमएस प्रबंधन एवं एसईसीएल प्रबंधन की होगी। जब तक ठेका श्रमिकों की मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक खदान में एक भी ठेका श्रमिक काम पर नहीं जाएगा।
कार्यक्रम में अपने संबोधन में क्षेत्रीय सचिव पंकज कुमार गर्ग, क्षेत्रीय अध्यक्ष हीरालाल, वी सी जैन, राजेश सिंह,सजल मित्रा, के के सिंह, सोमार साय के साथ कई ठेका श्रमिकों ने भी अपने-अपने विचार रखे।