धमतरी

अब तक 50 फीसदी धान खरीदी उठने लगी समय बढ़ाने की मांग
01-Jan-2024 7:21 PM
अब तक 50 फीसदी धान खरीदी उठने लगी समय बढ़ाने की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कुरुद, 1 जनवरी। पहले चुनाव फिर बेमौसम बारिश और नई सरकार बनने की बाट जोहते अधिकांश किसान नवंबर में धान नहीं बेच पाये थे। दिसंबर खत्म होने तक क्षेत्र की सोसायटियों में 50 फीसदी धान ही खरीदा जा सका है। जनवरी के बचे 20-22 दिनों में खरीदी का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल दिख रहा है, इसलिए जानकार धान खरीदी का समय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

 गौरतलब है कि सहकारी बैंक (को-ऑपरेटिव बैंक) कुरुद अंतर्गत आसपास की नौ सोसायटियों में दिसंबर के अंत तक 330100 क्ंिवटल धान की खरीदी हुई है, जो निर्धारित लक्ष्य से आधा ही है। सहकारी समिति केन्द्र कुरुद में 37442 क्ंिवटल खरीदी, 28680 क्ंिवटल का परिवहन एवं 220 लाख 52 हजार रूपए की कज़ऱ् वसूली हुई है।

कुहकुहा सोसायटी में 27950 क्ंिवटल धान खरीदी हुई है जिसमें से 21384 क्ंिवटल धान का परिवहन हो चुका है, यहां 219 लाख 74 हजार रुपए की लिकिंग कर्ज की वसूली किसानों से की गई है। गाडाडीह में 38799 क्ंिवटल खरीदी, 33340 क्ंिवटल का परिवहन, 269 लाख 76 हजार की वसूली हुई है।

 मंदरौद में 45049 क्ंिवटल खरीदी, 37370 क्ंिवटल परिवहन, 212.48 वसूली। भाठागांव में 37604 क्ंिवटल खरीदी, 29840 क्ंिवटल परिवहन, 192.67 वसूली। बगौद में 42970 क्ंिवटल खरीदी,  35090 क्ंिवटल परिवहन,199.64 वसूली। चर्रा सोसायटी में 39790 क्ंिवटल खरीदी, 30520 क्ंिवटल परिवहन, 246.43 वसूली। कातलबोड में 23048 क्ंिवटल खरीदी,  18430 क्ंिवटल परिवहन,170.32 वसूली। सिवनीकला धान खरीदी केन्द्र में 37448 क्ंिवटल खरीदी, 26002 क्ंिवटल परिवहन, एवं 252 लाख रुपए की कज़ऱ् वसूली हो चुकी है।

इस तरह क्षेत्र की 9 सोसायटियों में अबतक 330100 क्ंिवटल धान की खरीदी हुई है, जिसमें से  260656 क्ंिवटल धान का उठाव हो चुका है, लिंकिंग किसानों से यहां 19 करोड़ 83 लाख 60 हजार रूपए की कज़ऱ् वसूली कर ली गई है।

 इस बारे में शाखा प्रबंधक टीके बैस ने बताया कि नवंबर में आवक कमजोर रही, दिसंबर में स्थित ठीकठाक रही अभी लच्छ से आधे धान की खरीदी हुई है, बारदान और भुगतान की कोई समस्या नहीं है, धान की मात्रा बढऩे से तौलिया मजदूर को अधिक श्रम करना पड़ रहा है, हम अपने स्तर पर पुरी कोशिश कर रहे हैं कि निर्धारित अवधि तक खरीदी का टारगेट पूरा करें, लेकिन उपलब्ध संसाधनों में काम मुश्किल लग रहा है, धान खरीदी के लिए और समय बढ़ाने का फैसला शासन के अधिन है।

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