सूरजपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उदयपुर, 3 जनवरी। वन परिक्षेत्र उदयपुर में 9 हाथियों का दल 11 दिसम्बर से डेरा जमाए हुये हैं। इनका उत्पात लगातार जारी है. अब तक इनके द्वारा एक दर्जन से अधिक घरों को तोड़ा जा चुका है, आधा दर्जन मवेशियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। हाथियों के दल द्वारा ग्रामीणों के घरों में रखे अनाज को चट कर, खेत में लगे गेहूं एवं आलू की फसल को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीण भय में जीवन जीने को मजबूर हैं।
हाथियों के दल ने विगत दो तीन दिन पूर्व उपकापारा मोहनपुर में एक ठेला को उसके जगह से उठाकर फेंक दिया जिससे ठेला चकनाचूर हो गया, फिर ग्राम जजगी गांव के चार किसानों के घर एवं फसल व धान को काफी नुकसान पहुंचाया। मंगलवार की रात को ग्राम फुनगी एवं रामनगर बेंवरा पारा नंदू पण्डो का मकान, मांनकुवर पण्डो का नलजल स्टैंड पोस्ट, प्रीतम सिंह का मकान, पनेश्वर मुनेश्वर, दयाराम, धन साय के आलू फसल, मांझी राम का गेंहू, कार्तिक राम का सरसों के फसल तथा रविंद्र के गेहूं फसल को रौंदी है। वन अमला द्वारा सभी ग्रामीणों के नुकसान का जायजा लेकर मुआवजा प्रकरण तैयार किया जा रहा है।
ग्राम रामनगर के सरपंच प्रतिनिधि रोहित सिंह टेकाम ने कलेक्टर के नाम का ज्ञापन एसडीएम उदयपुर को सौंप कर हाथियों से हो रही परेशानी से निजात दिलाने का अनुरोध किया गया है। सौंपे गये ज्ञापन में रोहित सिंह टेकाम ने बताया कि वन अमला उदयपुर द्वारा सतत् निगरानी की जा रही है परंतु एक ही गजराज वाहन और सीमित टार्च वगैरह के संसाधन होने से हाथियों से बचाव में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जंगल का रूख छोडक़र हाथियों द्वारा अब ग्रामीणों के घरों एवं बस्ती की ओर रूख किया जाना काफी खतरनाक है। कब किस ओर हाथी चला जाये इसका पता भी कई बार नहीं चल पाता है। हाथियों के पूर्व के अनुभव भी इस क्षेत्र के लिए कुछ अच्छे नहीं है विगत एक दशक में लगभग 10 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है, हाथियों द्वारा इस तरह का आक्रामक रूख क्यों अपनाया जा रहा है ? इसका क्या समाधान हो सकता है ? क्या किसी प्रशिक्षित हाथी के माध्यम से इस हाथी दल को ग्रामीण क्षेत्र से बाहर भेजा जा सकता है ?
इस विषय पर कलेक्टर से सहयोग व आवश्यक पहल किये जाने का निवेदन किया है जिससे हाथियों से हो रहे नुकसान और उनसे ग्रामीणों को बचाव हो सके और संभावित हाथी दुर्घटना की आशंका से बचा जा सके।
वन अमला द्वारा हाथियों को रोकने अब तक जो भी प्रयास किया गया है वह नाकाफी है। वन अमला की सजगता की वजह से अभी तक जन हानि से क्षेत्र के लोग बचे हुये हैं।
अलग-अलग टीम बनाकर प्रशिक्षु डीएफओ सह प्रभारी वन परिक्षेत्राधिकारी अक्षय भोसले द्वारा गांवों में मुनादी कराकर लोगों को सचेत किया जा रहा है। आवश्यकतानुसार लोगों को वन अमला की गजराज वाहन द्वारा सुरक्षित पक्के मकानों तक पहुंचाया भी जा रहा है।