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के आर टेक्निकल कॉलेज में महिलाओं के उत्थान में लैंगिक विविधता की भूमिका पर टॉक शो
02-Feb-2024 9:15 PM
के आर टेक्निकल कॉलेज में महिलाओं के उत्थान में लैंगिक विविधता की भूमिका पर टॉक शो

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर,2 फरवरी।
शुक्रवार को के आर टेक्निकल कॉलेज अंबिकापुर में आईक्यूएसी, इक्वल अपॉर्चुनिटी सेल, वूमेन एंपावरमेंट सेल, जेंडर इशू क्लब और एंटी सेक्सुअल हैरेसमेंट सेल के संयुक्त तत्वावधान में ‘महिलाओं के उत्थान में लैंगिक विविधता की भूमिका’ विषय पर टॉक शो का आयोजन किया गया।

इस आयोजन में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.रितेश वर्मा के साथ बतौर वक्ता डॉ. अलका जैन सहायक प्राध्यापक, शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या महाविद्यालय, अंबिकापुर, श्वेता सिन्हा प्राचार्य, मॉडर्न कान्वेंट स्कूल, कल्याणपुर, डॉ. जया शर्मा, प्राचार्य, कॉलेज ऑफ़ प्रोफेशनल स्टडीज, अंबिकापुर, पूजा दुबे सहायक प्राध्यापक संत हर केवल शिक्षा महाविद्यालय, अंबिकापुर, विधि अग्रवाल, अधिवक्ता, जिला एवं सत्र न्यायालय, अंबिकापुर,  रीनू जैन, डायरेक्टर, के. आर. टेक्निकल कॉलेज, अंबिकापुर की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। समस्त वक्ताओं का सम्मान महाविद्यालय परिवार द्वारा पौधा देकर करने के पश्चात स्वागत उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. रितेश वर्मा ने कहा कि महिलाओं की भूमिका दफ्तर से लेकर घर तक जिम्मेदारी से परिपूर्ण होता है, इसलिए उन्हें स्वास्थ्य, विधिक, अधिकार, रोजगार आदि सभी मामलों में ज्यादा जागरूक होने की आवश्यकता होती है, जिस उद्देश्य को पूरा करने के लिए आज महाविद्यालय द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है।

आज के इस टॉक शो के आयोजन में बतौर प्रथम वक्ता डॉ. अलका जैन ने छात्रों को उनके स्वास्थ्य का ध्यान उन्हें कैसे रखना चाहिए विषय पर समझाते हुए कहा कि हमें सबसे पहले सुबह जल्दी उठना चाहिए और आहार में हमें हरी पत्ती वाली सब्जियां खानी चाहिए। वहीं हमें पूरे दिन भर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें संतुलित आहार लेने के दौरान यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वह दूषित ना हो।

महिलाओं के ऊपर पूरे परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होता है अत: हमें खाना बनाते समय, परोसते समय, रख-रखाव व खरीददारी आदि में भोज्य पदार्थ दूषित ना हो इसका ध्यान रखना चाहिए।
 श्वेता सिन्हा ने कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव  विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि यह एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है जिसका उदाहरण हम छोटे से बड़े स्तर पर आसानी से देख सकते हैं। उन्होंने मजदूर महिला एवं पुरुष वर्ग के वेतन विसंगति के माध्यम से इसे समझाने का प्रयास किया। यह एक ऐसा दोष है जो हमें मानसिक पीड़ा पहुंचता है। श्रीमती सिन्हा ने बताया कि यह भेदभाव कार्यस्थल ही नहीं अपितु हमारे घरेलू कार्य में भी देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि इस भेदभाव को समाप्त करने के लिए हमें सामाजिक रूप से सुदृढ़ होकर आवाज उठाना होगा जिसमें पुरुष वर्ग को भी आगे आना होगा। इस दौरान छात्राओं ने उनसे अपने सवालों के जवाब भी जाने।

अगली वक्ता के रूप में छात्राओं को भारत में लैंगिक भेदभाव कानून विषय पर चर्चा करते हुए विधि अग्रवाल ने कहा कि भारत देश को संचालित करने के चार स्तंभ है, जिनके माध्यम से देश संचालित होता है। उन्होंने भारतीय दंड विधान में महिलाओं के लिए दिए गए विभिन्न कानून के बारे में बताते हुए उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने विवाह के पश्चात महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों के प्रति कानून के विभिन्न प्रावधानों पर चर्चा किया। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं के उत्पीडऩ के खिलाफ कैसे कानूनी मदद ली जा सकती है, इस विषय पर भी विस्तार से चर्चा किया एवं छात्राओं से उनकी समस्याओं को जानकर कानूनी रूप से उन्हें कैसे मदद दी जा सकती है इस पर भी चर्चा किया।

जया शर्मा ने ‘क्या प्रौद्योगिकी लैंगिक भेदभाव को कम कर सकती है?’ विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि आज के दौर में मोबाइल हमारे हाथ में होता है जिसका हम दुरुपयोग करते हैं जबकि कई ऐसे एप्स हैं जिनका उपयोग हम सुरक्षागत दृष्टि से कर सकते हैं और कुछ ऐसे कार्य हैं जिनके लिए हम पुरुषों पर आश्रित रहते हैं। जबकि हमारे स्मार्टफोन में ऐसी सुविधाएं हैं जिनका उपयोग हम अपने कार्य करने के लिए कर सकते हैं। उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि हम अब प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पढ़ाई से लेकर कमाई, खरीदारी, बिल पेमेंट, शिक्षा, स्वास्थ्य, जानकारी, ज्ञान आदि सुविधा पाने के लिए कर सकते हैं।
 

‘शिक्षा में लिंग भेदभाव: मनोवैज्ञानिक प्रभाव’ विषय पर चर्चा करते हुए पूजा दुबे ने कहा कि हमें लडक़ा-लडक़ी होने के दबाव से मुक्त होकर वही शिक्षा ग्रहण करना चाहिए जिसकी इच्छा हमें स्वयं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह हथियार है जिसके माध्यम से मानव को मानव बनाया जा सकता है और ऐसे बदलाव के पश्चात ही लैंगिक भेदभाव को समाप्त किया जा सकता है। शिक्षा के माध्यम से हम आत्मनिर्भर हो सकते हैं एवं पराश्रित होने से बच सकते हैं।
कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में महाविद्यालय की डायरेक्टर रीनू जैन ने ‘महिलाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता’ विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें परिवार में भी अपना अस्तित्व बना कर रखना होगा जिसके लिए स्वयं के अंदर क्षमताओं का विकास करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि देश के प्रतिष्ठित पद जैसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आदि में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत देखने से यह लगता है कि हमें अभी भी सशक्त होने की आवश्यकता है। उन्होंने ख्यातिलब्ध महिलाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि मेहनत करके हम भी ऐसे स्थापित महिला का कद पा सकते हैं। उन्होंने छात्राओं को बताया कि चुनौतियां उन्हीं के सामने आती हैं जो उनका सामना करने के योग्य होते हैं। अत: हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों से कभी घबराना नहीं चाहिए।

इस दौरान सभी आगंतुक अतिथि एवं वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आपके आज के इस उद्बोधन एवं चर्चा से महाविद्यालय की छात्राओं को निश्चित रूप से मानसिक, शारीरिक एवं सामाजिक लाभ हुआ होगा। इस हेतु महाविद्यालय की डायरेक्टर श्रीमती रीनू जैन ने महाविद्यालय परिवार की ओर से आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य के द्वारा सभी आमंत्रित वक्ताओं को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान महाविद्यालय की समस्त छात्राएं उपस्थिति थीं। कार्यक्रम का सफल संचालन आईक्यूएसी की कोऑर्डिनेटर सुश्री प्रज्ञा सिंह राजपूत ने किया।

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