दुर्ग
धमधा, 22 मार्च। छत्तीसगढ़ संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान द्वारा स्वामी श्रीश्रीनिवासाचार्य स्मृति व्याख्यान माला का आरम्भ हुआ।
इस कार्यक्रम में संस्थान के उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र तिवारी, महावीर शर्मा , डॉ. रूपेंद्र तिवारी यशवन्त उपाध्याय, प्रो.विद्याकांत त्रिपाठी, हेमन्त शर्मा, विनोद दुबे, रामबाबू मिश्र तथा रोशन और गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मनीष शर्मा सचिव छग संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान ने किया।
ज्ञात हो कि स्वामी श्री श्री निवासाचार्य गुरुजी श्री लक्ष्मी वेंकटेश मंदिर के महन्त थे, जो सदर बाजार बिलासपुर में स्थित है । वहां श्री निवास संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य पद विराजमान भी रहे।
स्वामी जी व्याकरण शास्त्र को इतने सरलता से अध्यापन कराते थे कि काशी के विद्वान् भी उनकी शैली से प्रभावित थे। आचार्य श्री कहते थे कि संस्कृत शिक्षा संस्कार का जनक है। हमारी वैदिक संस्कृति ही जीवन का आधार स्तंभ है जो संस्कृत शिक्षण द्वारा ही हमें प्राप्त हुई हैं। कठिन विषयों को सरलतम भाव से संस्कृत व्याकरण को कैसे अध्यापन कराते थे यह उनकी विशेष शैली थी ।
उनकी विशेष स्मृति में छत्तीसगढ़ संस्कृत शिक्षा सेवा संस्थान द्वारा स्वामी श्री श्री निवासाचार्यस्मृति व्याख्यान माला का आरम्भ किया गया, जिसमें कर्म मीमांसा पर विशेष व्याख्यान श्री मंदीप सिंह शास्त्री जी ने ऑनलाइन कर्नाटक से प्रस्तुत किया।
उन्होंने कर्म को विविध दर्शनों सिद्धान्त द्वारा प्रतिपादन किया और कर्म एक ऐसी किया है जिसको हमें करना ही है और उत्तम कार्य को संपादित करना है। श्रेष्ठ मनुष्य कि पहचान उसके उत्तम कर्म से होता है। संस्कृत हमारी वैदिक संस्कृति है हमें इसे पढऩा है पढ़ाना है और लोगो को प्रेरित करना चाहिये ।