रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 7 मई। श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के सप्तम दिवस को जगद्गुरू द्वाराचार्य मलुकपीठाधीश्वर श्वामि श्री डॉ राजेन्द्र दास महाराज के चरणानुरागी शिष्य आचार्य पं. मनोज कृष्ण शास्त्री (गुरुचरण दास)( वृंदावन) महराज ने कथा में कहा कि नेक काम में तकलीफ आती है। इसलिए अगर नेक कार्य करते समय तकलीफ मिले तो समझ लेना कि हम सही रास्ते पर चल रहे हैं। नेक काम करने वाली की भगवान स्वंय मदद करते हैं।
महराज ने सुदामा चरित की कथा की ओर प्रकाश डालते हुए बताया कि सुदामा और भगवान कृष्ण की मित्रता जैसा दूसरा उदाहरण किसी भी युग में और नहीं है। लोगों में यह भ्रांतियां फैली है कि सुदामा गरीब ब्राह्मण था दीनहीन था परन्तु यह सर्वथा गलत है जिसका भगवान ही स्वयं मित्र हो क्या वह गरीब हो सकता है कतई नहीं। जब हम भगवान से सम्बंध जोड़ते हैं तो हमारे जीवन में मंगल ही मंगल होते हैं तो जब भगवान स्वंय किसी से सम्बन्ध जोड़े तो उसका कितना मंगल होगा।
इसप्रकार से महराज जी बताया कि जिसप्रकार से समय आने पर भगवान ने सुदामा को वैभव प्रदान किये उसी प्रकार से प्रत्येक मनुष्य को भी भगवान निश्चित समय में ही सब कुछ प्रदान करते हैं। किंतु यह तभी सम्भव है जब हम भी भगवान के लिये कुछ करें अर्थात निरन्तर, नित्य -प्रतिदिन हरि भजन और सत्संग करते रहें तो निश्चित ही हमारे जीवन में भी सबकुछ भगवान मंगल ही करेंगे।
दंतेश्वरी मंदिर के अध्यक्ष विजय कुमार झा ने बताया कि यह कथा पुरानी बस्ती मैथिलपारा में दंतेश्वरी मंदिर खोखो पारा स्थित सार्वजनिक न्यास के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय एसके अग्रवाल के निवास में जारी है।