बलौदा बाजार
50 स्कूल डिस्मेंटल करने की स्थिति में फिर भी लग रही थी कक्षाएं, 181 में शौचालय ही नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 1 जुलाई। सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई वादे करती हैं, लेकिन बलौदाबाजार जिले की यह तस्वीर कुछ और हकीकत बयां कर रही है। नए सत्र का आगाज हुआ तो जमकर प्रवेश महोत्सव मनाया गया लेकिन इस बार भी सरकारी स्कूलों की हालत में बड़ा सुधार नहीं हो पाया है।
जर्जर भवन में पढऩे वाले कई बच्चों को पानी के लिए भटकना पड़ता है। शिक्षकों की भी है नए सत्र में बच्चों को फिर से इस चुनौती का सामना करना पड़ेगा। 24 भवन विहीन 151 आहाता विहीन 30 पर पेयजल विहीन 117 खेल मैदान विहीन है।
जिले में पिछले सत्र तक 890 प्राथमिक 468 पूर्व प्राथमिक 70 हाई स्कूल 134 हाई सेकेंडरी स्कूल सहित कुल स्कूल 1562 संचालित थे जिसमें 50 ऐसे स्कूल थे जो एकदम जर्जर व्यवस्था में पहुंच चुके थे। लेकिन फिर भी यहां कक्षाएं लग रही थी।
जिला शिक्षा विभाग से मिले प्रस्ताव के बाद कुछ कार्यों के निर्माण की स्वीकृति मिली तो सुधार कार्य शुरू हुए हैं मगर अभी भी 426 स्कूलों में बड़े सुधार की गुंजाइश है। जिसका प्रस्ताव बनाकर जिला शिक्षा विभाग ने स्वीकृति के लिए शासन को भेजा है।
57 प्राइमरी स्कूल ऐसे
जहां एक शिक्षक ही
बलौदा बाजार जिले के 35 स्कूल ऐसे भी हैं। जहां बिजली की व्यवस्था ही नहीं है ऐसे छात्र-छात्राएं फिर से नए सत्र से मजबूरी में अंधेरे और गर्मी में पढ़ाई करेंगे। इसके अलावा 57 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं। जहां सिर्फ एक शिक्षक ही पड़ता है अंदाजा लगाया जा सकता है की पांच कक्षाओंमें 55 विषयों को एक ही शिक्षक कैसे और क्या पढ़ पाता होगा। इसे ही हैरानी करने वाली बात यह भी है कि जिले में दो स्कूल ऐसे भी हैं जहां शिक्षा की नहीं है ऐसे में इन स्कूलों में व्यवस्था के तहत पढ़ाई कराई जा रही है।
24 भवन विहीन स्कूलों के लिए राशि स्वीकृत -डीईओ
इस मामले में डीईओ हिमांशु भारतीय ने कहा कि 24 भवन विहीन स्कूलों के लिए मुख्यमंत्री जतन योजना के तहत अतिरिक्त कक्ष के लिए राशि स्वीकृत हो गई है। 426 कामों के प्रस्ताव बनाकर जानकारी शासन को भेजी गई है। उम्मीद है जल्द ही राशि स्वीकृत हो जाएगी।
कुछ में शौचालय टूटकर गिरने लगे
बलौदाबाजार जिले में एक प्राथमिक चार पूर्व प्राथमिक 12 हाई सेकडरी तथा हाई सेकेंडरी स्कूल सहित 24 स्कूल भवन विहीन है। इसके बच्चे कही मिडिल तो कहीं पेड़ के नीचे पढऩे को मजबूर हैं वही 181 स्कूलों में शौचालय जर्जर व्यवस्था में है जो टूट कर गिरने लगे हैं। 38 प्राथमिक 10 पूर्व प्राथमिक और एक हाई सेकेंडरी स्कूल सहित 50 स्कूल डिस्मेंटल करने की स्थिति में है और उन्हें डिस्मेंटल नहीं किया गया तो कभी भी कोई भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है। ऐसे में सरकार के इन स्कूलों से कैसे बेहतर शिक्षा की उम्मीद की जाएगी।