बलौदा बाजार
किसान के बेटे ने आईआईटी गांधीनगर में
लहराया परचम, प्रावीण्य सूची में सिल्वर
कहा- गरीबी आड़े नहीं आती अगर मन में हो सच्ची लगन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 1 जुलाई। जिले के ग्राम जारा के किसान शालिक धुरंधर के पुत्र आर. यीशु धुरंधर ने आईआईटी गांधीनगर गुजरात में अपना परचम लहराते हुए प्रावीण्य सूची में सिल्वर मेडल प्राप्त किया। यीशु की इस सफलता ने उनके परिवार के साथ पूरे गांव का नाम रोशन किया।
अमेरिकी कंपनी को कहा न, देश के लिए कुछ करने की चाह
आर. यीशु धुरंधर के पिता शालिक धुरंधर ग्राम जारा के गरीब किसान है तथा मां रूखमणी धुरंधर गृहणी है। पिता शालिक धुरंधर ने बताया कि यीशु धुरंधर प्रारंभ से ही पढ़ाई में मेधावी रहा है तथा उसकी आरंभिक शिक्षा ग्राम संडी के प्रगति शाला में हुई। इसके बाद उसका चयन जवाहर नवोदय विद्यालय माना रायपुर में हो गया, जहां कक्षा छठवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई किया और फिर जेईई में सलेक्ट होकर गांधीनगर गुजरात में कम्प्यूटर साइंस एवं इलेक्ट्रॉनिक में पढ़ाई की है। उसका रिजल्ट आया है और प्रावीण्य सूची में स्थान बनाया है तथा उसे सिल्वर मेडल मिला है। उसका सलेक्शन अमेरिका की कंपनी में भी हुआ, पर वह देश में ही रहकर काम करना चाहता है। यीशु का कैंपस सलेक्शन बेंगलुरु में डेटा सांइसटिस्ट के रूप में हुआ है।
मन में निश्चय हो तो खुल जाते हैं रास्ते
आर. यीशु धुरंधर ने फोन पर बताया कि उसकी सफलता पर उसके माता पिता एवं पूर्वजों का आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन है. जहां माता पिता ने गरीबी को आड़े नहीं आने दिया और लगातार उसे प्रोत्साहित करते रहे, जिसका परिणाम आज सबके सामने है. मैं सभी छात्रों से यही कहना चाहूंगा कि मन में ठान लिया कि हमें कुछ करके दिखाना है तो गरीबी आड़े नहीं आती और रास्ते खुलते जाते हैं और सहायता भी मिलती है और यह सब मेरे साथ हुआ है. मुझे बचपन में अंग्रेजी नहीं आती थी तो चंद्रवंशी सर ने मदद की. जब आईआईटी में सलेक्शन हुआ तो कोरोना काल था ऐसे में गांधीनगर के सर ने मदद की और मैंने भी ठाना कि कुछ बनकर दिखाना है और आज सिल्वर मेडल मिला है. अभी और आगे जाना है और अपने देश के लिए कुछ करके दिखाना है. आज यीशु धुरंधर की सफलता से पूरा गांव व परिवार सहित मित्रगण गौरवान्वित है. फिलहाल वह बैंगलोर मे है जहाँ उसका कैंपस सलेक्शन हुआ है।
वहीं आर. यीशु धुरंधर के बड़े भाई एस. अंशु धुरंधर को डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का शौक है और वह छत्तीसगढ़ के पहलवान के रूप में पहचाने जाने वाले ग्राम बुडग़हन के किसान चिंता राम टिकरिहा पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बना रहे हैं।