बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 11 जनवरी। भाजपा के किसान आंदोलन के बस्तर भाजपा प्रभारी के बयान पर तंज कसते हुये प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि भाजपा पहले तो छत्तीसगढ़ के किसानों को बताये कि यह आंदोलन दिल्ली में मोदी सरकार के किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ है या फिर छत्तीसगढ़ में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए धान, मक्का, गन्ना उत्पादकों की दी जा रही प्रति एकड़ 10 हजार सहायता राशि के खिलाफ है। क्योंकि भाजपा के नेता किसानों को समर्थन मूल्य के अलावा अतिरिक्त राशि का सहायता देने का विरोध कर रहे हैं। मोदी सरकार के खिलाफ कडक़ती ठंड में, देश भर के किसान विगत 45 दिनों से अपनी जायज और ज़रूरी मांगों को लेकर संघर्षरत हैं तो भाजपा किस के लिए आंदोलन करने जा रही है।भाजपा अपनी राजनीति के लिए किसानों को मुद्दा न बनाए।
प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि रमन सिंह जो-जो असंभव कहते रहे कांग्रेस ने कर दिखाया। 2500 धान का दाम, कर्जमाफी और 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी, हर साल कांग्रेस सरकार ने कर दिखाई तो भाजपा के हाथों से तोते उड़ गये हैं। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों के पूर्व जारी घोषणा पत्र में कांग्रेस द्वारा किसानों से उनका धान 2000 रू. प्रति क्विंटल की दर से खरीदने का वादा किया गया था। कांग्रेस को मिल रहे किसानों के समर्थन से घबराकर डॉ. रमन सिंह ने उसी समय 2100 रू. प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का संकल्प लिया था तथा प्रतिवर्ष 300 रू. प्रति क्विंटल बोनस भी देने का वादा किया था। 2013 में सरकार बनाने के बाद राज्य के किसानों को डॉ. रमन सिंह ने सिर्फ धोखा दिया। वर्ष 2003 से 2018 के बीच 15 साल में राज्य में सिंचाई के साधनों के विकास के नाम पर रमन सिंह सरकार ने 18000 करोड़ रूपये खर्च किये गये किन्तु सिंचाई का रकबा वास्तव में 25 हजार हेक्टेयर का ही हो पाया है। पूरी राशि कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी। डॉ. रमन सिंह ने कहा था कि 2500 रू. प्रतिक्विंटल की दर से धान खरीदने की घोषणा चुनावी वादा मात्र है।
इसका क्रियान्वयन संभव नहीं है। हमारी सरकार ने न केवल रिकार्ड 85 लाख मीट्रिक टन धान क्रय किया बल्कि अपना वादा निभा कर दिखाया। वर्ष 2014 में जब केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी तो सबसे पहले उन्होने बोनस देने पर प्रतिबंध लगाया। जिस पर डॉ. रमन सिंह ने केन्द्र की भाजपा सरकार को दिखावे के तौर पर बोनस जारी रखने का दिखावा किया।
किन्तु केन्द्र की आड़ लेकर खुद की घोषणा के विपरीत किसानों को बोनस देना बंद कर दिया। वह आज किसानों को फिर से धोखा देने में लगे है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि राज्य से केन्द्रीय पूल में 60 लाख मीट्रिक टन चावल लिये जाने की लिखित सहमति के बाद भी मात्र 24 लाख टन चावल लेने का अनुमति,राज्य के किसानों के साथ अन्याय है। केन्द्र द्वारा पूर्व घोषणा के अनुसार बारदाने उपलब्ध न कराना भी दुर्भाग्यजनक है। डॉ. रमन सिंह में जरा भी नैतिकता बाकी है तो उन्हें चाहियें कि केन्द्र सरकार से पूर्व निर्धारित घोषणा के अनुरूप 60 लाख मीट्रिक टन चावल राज्य से लेने का निवेदन करें। किसानों के ज़ख्मों पर सिर्फ नमक छिडक़ने एवं घडिय़ाली आंसू बहाना बंद करें। कांग्रेस की सरकार,किसानों से अपने किये वादे को अवश्य पूरा करेगी।