रायपुर
![गैंगरीन से सड़ रहे पैर का बिना चीर-फाड़ इलाज गैंगरीन से सड़ रहे पैर का बिना चीर-फाड़ इलाज](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1612096403ekahara.jpg)
23 सेंटीमीटर तक ब्लॉक हो चुकी थी धमनी, रेडियोलॉजी के डॉक्टरों ने पैर की अंगुलियों-पंजे को कटने से बचा लिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 31 जनवरी। अंबेडकर अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में बेमेतरा के एक 65 वर्षीय बुजुर्ग के गैंगरीन से सड़ रहे पैर का बिना चीर-फाड़ इलाज किया गया। गैंगरीन के चलते उसके पैर की अंगुलियां काली होकर गल चुकी थीं और पंजे समेत उसे काटने की नौबत आ गई थी। उसकी धमनी 23 सेंटीमीटर तक ब्लॉक हो चुकी थी।
रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एसबीएस नेताम के मार्गदर्शन में इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे ने डीएसए मशीन से करीब 23 सेंटीमीटर तक ब्लॉक हो चुकी पैर की नस को खोला और उसे कटने से सुरक्षित बचा लिया। बिना चीर-फाड़ किए इस इलाज के बाद पैर में खून की सप्लाई फिर से शुरू हो गई है। मरीज की बीमारी को डॉक्टरी भाषा में लेफ्ट सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी थ्राम्बोसिस विद लेफ्ट टो गैंगरीन कहते हैं।
बुजुर्ग मरीज ने डॉक्टरों को बताया कि वह लंबे समय से सही इलाज के लिए भटकता रहा, लेकिन कहीं बीमारी पकड़ में नहीं आई। अंबेडकर के रेडियोलॉजी विभाग में इलाज से उसे राहत मिली है। अब तो न दर्द है ना कोई परेशानी। इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, अनियंत्रित मधुमेह, एथेरेस्केलोसिस एवं वैस्कुलाईटिस के कारण रक्त धमनी ब्लॉक बन जाता है जिससे इस धमनी में रूकावट आ जाती है। रूकावट बढऩे से पैर में रक्त की सप्लाई बाधित होने लगती है। एक समय ऐसा आता है जब धमनी पूर्णत: बंद हो जाती है और पैरों में गैंगरीन होना प्रारंभ हो जाता है।
सीटी एंजियोग्राफी से पकड़ में आई बीमारी
इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे बताते हैं कि मरीज पहले दर्द से परेशान होकर लाठी के सहारे चलता था। झनझनाहट-दर्द से कई बार उसे उठने-बैठने में दिक्कत होती थी। सोनोग्राफी और सीटी एंजियोग्राफी से बीमारी पकड़ में आयी। सीटी एंजियो में सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी ब्लॉक होने की जानकारी मिली। 21 जनवरी को उसका डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजनांतर्गत मुफ्त इलाज किया गया।
ऐसे किया गया इलाज
डॉ. पात्रे के मुताबिक, सबसे पहले सुई की नोक के बराबर (पिनहोल) छेद के माध्यम से दाहिने जांघ की फीमोरल आर्टरी को पंक्चर किया। पंक्चर कर ऊपर से राइट फीमोरल आर्टरी से लेफ्ट फीमोरल आर्टरी तक पहुंचे।
राइट फीमोरल आर्टरी से कॉमन इलियक आर्टरी तक गए। वहां से एओर्टा को क्रॉस करते हुए दूसरे साइड चले गये। वहां से दवाई डालकर देखा कि रूकावट कहां पर है ? सुपरफिशियल फीमोरल आर्टरी के ब्लॉक होने अथवा रूकावट के कारण खून का बहाव आजू-बाजू की नसों से होने लगा था। उस रूकावट को वायर और कैथेटर नली की मदद से क्रास किया और नीचे के पॉप्लिटियल आर्टरी तक गए। फिर ब्लॉक वाले एरिया में दो स्टंट डाला और फिर उसको बैलून की मदद से खोल दिया, जिससे रक्त का प्रवाह पुन: मुख्य धमनी में चालू हो गया। टीम ने डॉ. पात्रे के साथ डॉ. मनोज, डॉ. दिनेश, एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष डॉ. के के सहारे के साथ डॉ. अशोक सिंह सिदार एवं डॉ. अंकिता, इस इंटरवेंशन प्रोसीजर में शामिल रहे।