रायपुर

एम्स में फेफड़े के दुर्लभ जेनेटिक म्यूटेशन वाले ट्यूमर का ऑपरेशन
11-Feb-2021 4:44 PM
एम्स में फेफड़े के दुर्लभ जेनेटिक  म्यूटेशन वाले ट्यूमर का ऑपरेशन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 फरवरी।
एम्स में ओडि़शा की एक महिला के फेफड़े के दुर्लभ जेनेटिक म्यूटेशन वाले ट्यूमर का ऑपरेशन कर उसे बाहर निकाला गया। 15.5 सेंटीमीटर का यह जेनेटिक ट्यूमर था, जो दुर्लभतम होता है। महिला रोगी अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
23 साल की महिला मरीज दिसंबर 2020 में अपना इलाज कराने यहां एम्स पहुंची। महिला को पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत थी। फेफड़ा विशेषज्ञ डॉ. रंगनाथ, डॉ. दिबाकर साहू और आंकोलॉजिस्ट डॉ. यशवंत कश्यप ने जांच में पाया कि महिला को फेफड़े के निचले हिस्सा में एक विशेष प्रकार का दुर्लभ ट्यूमर स्लिरोजिंग न्यूमोक्टोमा (हैमेनग्योमा) है। रेडियोडायग्नोसिस विभागाध्यक्ष प्रो. नरेंद्र बोधे ने इसे दुर्लभ वस्कुलर ट्यूमर की श्रेणी में बताया। इस ट्यूमर की वजह से इस रोगी को देश के कई अस्पतालों में इलाज करने से मना कर दिया गया था।

इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी का दायित्व सीटीवीएस विभाग के डॉ. क्लेन डेंटिस ने लिया। उन्होंने डॉ. नितिन के. कश्यप और डॉ. शिवा ठाकुर के साथ मिलकर दिसंबर में इसका ऑपरेशन किया। ढाई घंटे के इस ऑपरेशन में फेफड़े के ऊपरी और मध्य हिस्से को बचाकर रखा गया। इस दौरान एनेस्थेसिया विभाग के डॉ. मयंक कुमार ने एक ही फेफड़े पर वेंटीलेशन को सुनिश्चित किया। ऑपरेशन के 24 घंटे बाद तक रोगी को वेंटीलेटर पर रखा गया। 12 दिन बाद रोगी को डिस्चार्ज कर दिया गया। अब यह रोगी पूरी तरह से स्वस्थ है। 

डॉ. डेंटिस ने बताया कि इस प्रकार का ऑपरेशन कठिन होता है। इससे पूर्व 2019 में जापानी चिकित्सकों ने इसी प्रकार का एक ऑपरेशन किया था। पैथोलॉजी विभाग के डॉ. आशीष गुप्ता का कहना है कि इस प्रकार के ट्यूमर में दुर्लभ जेनेटिक म्यूटेशन होता है। निदेशक डॉ.  नितिन एम. नागरकर ने डॉक्टरों की टीम को इस कठिन सर्जरी के लिए बधाई देते हुए कहा कि विभिन्न विभागों के समन्वय से इस प्रकार का जटिल ऑपरेशन संभव हो पाया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अन्य विभाग भी इस प्रकार के ऑपरेशन से प्रदेशवासियों को गंभीर बीमारियों से मुक्ति दिलाने में मदद करेंगे।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news