रायपुर

तृतीय लिंग संवेदनशीलता पर कार्यशाला
11-Feb-2021 4:52 PM
तृतीय लिंग संवेदनशीलता पर कार्यशाला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 फरवरी।
जिला कलेक्टोरेट के रेडक्रॉस सभाकक्ष में समाज कल्याण विभाग द्वारा आज ‘तृतीय लिंग संवेदनशीलता’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी तथा तृतीय लिंग समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हुए।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. गौरव कुमार सिंह ने कहा कि आज जरूरत हैं कि इस समुदाय के सदस्यों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाई जाए उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोडऩे के लिए न्यायालयों और शासन के निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाये। उन्होंने कहा कि समुदाय के प्रति भ्रांतियां एवं संशय को भी दूर करने की जरूरत है। कार्यस्थल पर भी उनके साथ पूरी संवेदनशीलता से व्यवहार करने की जरूरत है जिससे उन्हें दूसरों से अलगाव महसूस न हो।  

छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति की अध्यक्ष विद्या राजपूत ने तथा तृतीय लिंग समुदाय के लिए केन्द्र सरकार में कार्यरत रवीना बरिहा ने कार्यशाला में बताया कि प्राचीन काल में रामायण, महाभारत, जैन, बौद्ध धर्म सहित कई कालखंडों में ट्रांसजेंडर को अलग-अलग नामों से जाना जाता था। उनका एक विशेष सम्मान एवं सामाजिक स्थिति थी। उन्होंने बताया कि तृतीय लिंग समुदाय के कल्याण के लिए नालसा जजमेंट 2014 एक नया अध्याय है। उन्होंने उभय लिंगी व्यक्तियों के अधिकारों का संरक्षण विधेयक 2019 के सभी 9 अध्यायों पर विस्तार से जानकारी दी।

वर्कशॉप में समुदाय के लिए परिभाषा, पहचान पत्र जारी करने, आवेदन एवं अपील करने, संवैधानिक धाराओं सहित अन्य विषयों पर चर्चा की गई। उभय लिंगी व्यक्ति के विरुद्ध शैक्षिक स्थापनाओं, नियोजन या आजीविका में, स्वास्थ्य देखरेख सेवाओं, निवास करने, किराए पर लेने आदि अधिकारों में विभेद नहीं किया जा सकता।

वर्कशॉप में उभय लिंगी व्यक्तियों के पहचान को किस प्रकार से मान्यता दी जाएगी तथा सरकार द्वारा क्या-क्या कल्याणकारी उपाय बनाए गए हैं पर भी चर्चा की गई। इसी तरह उनकी शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, उनके लिए राष्ट्रीय परिषद का गठन तथा उनके साथ किए गए दुव्र्यवहार एवं अवरोध के लिए कानून द्वारा बनाए गये दंड प्रावधान पर भी चर्चा कर अधिकारियों - कर्मचारियों को जानकारी दी गई, जिससे ट्रांसजेंडरों के साथ भेदभाव रुक सके। वर्कशॉप में बताया गया कि कानूनी प्रावधानों के बारे में जनजागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। इससे ट्रांसजेंडरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकेगा और उनका मनोबल बढ़ेगा।

वर्कशॉप में उपस्थित विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने उनके विभागों में ट्रांसजेंडर वर्ग के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं तथा राज्य सरकार के निर्देशों से अवगत कराया। वर्कशॉप में उपस्थित तृतीय लिंग समुदाय के व्यक्तियों ने समाज में अपनी स्थिति के संबंध में अपने अनुभवों को साझा किया और सोशल प्रोटेक्शन की बात कही। 

इस अवसर पर समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक भूपेन्द्र पाण्डेय सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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