बस्तर

साहब महीनों से आंखों की रोशनी भी चली गई, पेंशन भी बंद है...
22-Apr-2021 9:02 PM
साहब महीनों से आंखों की रोशनी भी चली गई, पेंशन भी बंद है...

नरेश देवांगन
जगदलपुर, 22 अप्रैल ('छत्तीसगढ़Ó संवाददाता)।
बकावंड ब्लाक के ग्राम पंचायत बनियागांव के एक दिव्यांग को 6 माह से पेंशन नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से भूखे मरने की स्थिति निर्मित हो रही है।

बस्तर जिले के बकावंड ब्लॉक के ग्राम पंचायत बनियागांव में कमलोचन (70 वर्ष) जन्म से ही चल नहीं सकता, जमीन पर रगड़ कर रेगना पड़ता है और अब 3 माह से उसे आंखों से भी दिखना बंद हो गया है। सरकार की अन्य सुविधाओं के अभाव में कमलोचन बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है।  

कमलोचन ने 'छत्तीसगढ़Ó को बताया कि पिछले 6 माह से पेंशन बंद है, कई बार मैंने सरपंच-सचिव को भी कहा कि मेरा पेंशन क्यों नहीं मिल रहा है, तो उन्होंने मेरी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी। मैंने बैंक के चार से पांच बार चक्कर लगा डालें। बैंक वाले साहब का कहना है कि, आपके खाते में पैसे नहीं डला है। मुझे राशन से 10 किलो चावल मिलता है, उसी से ही जैसे-तैसे अपना गुजारा करता हूं। मैंने अपनी आंखों की समस्या के लिए पूर्व में गांव की मितानिन को भी बताया था कि मुझे आंखों से कम दिख रहा है। मुझे अस्पताल तक लेकर चले, लेकिन कोई मेरी बात ही नहीं सुनते। अब तो मुझे पूरी तरह से दिखाई देना भी बंद हो गया। क्या बताऊं साहब गरीबी इंसान को इतना लाचार बना देती है कि जो दिन ना देखे हो वह दिन भी दिखा देती है।

जब इस विषय में आसपास के कुछ ग्रामीणों से पूछा तो उन्होंने बताया कि कमलोचन जन्म से ही जमीन में रगड़ कर चलता है, उसे आँखों से दिखाई भी नहीं देता है। जिसकी वजह से उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसे शौच के लिए काफी दिक्कतें होती है, जमीन में हाथ के सहारे झगड़ते हुए वह घर से बाहर 100 मीटर तक जाना पड़ता है। इसकी जानकारी पंचायत के जनप्रतिनिधियों को है, और उसके परेशानी से सभी अच्छे से वाकिफ है। लेकिन आज तक इनकी मदद को कोई नही आया।

जब इस विषय में जनपद पंचायत सीईओ रवि साव से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि देखना पड़ेगा उसका नाम लिस्ट में है या नहीं। पंचायत से पूछता हूं कि पेंशन क्यों नहीं मिल रहा है। आप से जानकारी मिली है। मैंने नाम नोट कर लिया है। शाखा वाले को बुला के इसकी जानकारी निकाल लूंगा और रही बात आँख से नहीं दिखता है उनको तो वह स्वास्थ्य विभाग का काम है। ट्राई साइकिल की बात करें तो पंचायत में अगर आवेदन उनके द्वारा दी जाती है तो, उनके नाम से ट्राईसाइकिल आएगा तो उन्हें दिया जाएगा।

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