बलौदा बाजार

कोरोना के बाद नींद न आने व भूलने की शिकायतें सामने आ रहीं
27-May-2021 5:11 PM
कोरोना के बाद नींद न आने व भूलने की शिकायतें सामने आ रहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 27 मई।
कोरोना संक्रमण का असर मरीजों के फेफड़ों तक ही सीमित नहीं है, कई मरीजों में इसका असर एंग्जाइटी के रूप में दिख रहा है। मंगलवार को जिला अस्पताल के काउंसलर रोशनलाल बारले ने टेलीफोनिक काउंसलिंग के दौरान बताया कि 20 प्रतिशत लोगों में ये समस्या देखी। 

एंग्जायटी का असर उनकी याददाश्त और सोचने-समझने की शक्ति पर भी देखने को मिल रहा है। इसके चलते उन्हें यह तक याद नहीं रहता कि उन्होंने दवा खाई या नहीं। इसकी एक बहुत बड़ी वजह है। नींद का पूरा न होना। कोरोना के लगभग 50 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं, जो नींद पूरी नहीं कर पाते। एक्सपर्ट के अनुसार नींद पूरी न होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता आधी हो जाती है जिससे बीमारी हावी होने लगती है। 

ये हैं लक्षण-मनोचिकित्सक डॉ. राकेश प्रेमी ने बताया कि कोरोना का मरीज ज्यादा दिन तक हॉस्पिटल में रहता है, तो वह डिसओरिएंटेड हो जाता है। यह एक मानसिक रोग है, जिसमें रोगी को तेज बेचैनी के साथ नकारात्मक विचार, चिंता और डर का आभास होता है। जैसे-अचानक हाथ कांपना, पसीना आना आदि। अगर समय पर इसका कराने पर समस्या से मुक्ति मिल जाती है।

जिला कोविड अस्पताल प्रभारी डॉ. शैलेन्द्र साहू ने बताया कि कोरोना का नकारात्मक माहौल और लंबे समय तक अस्पताल में रहने की वजह से यह स्थिति बन रही है। पिछले साल कोरोना की पहली लहर में यह स्थिति नहीं थी लेकिन अब कोरोना मानसिक रोगी बना रहा है। जो मरीज लंबे समय तक कोविड वॉर्ड या आईसीयू में भर्ती रहे हैं या भर्ती हैं और उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं है, ऑक्सीजन सपोर्ट पर जो मरीज हैं, ऐसे लोगों को सबसे अधिक समस्या हो रही है।

पलारी की 45 वर्षीय उमादेवी को कोरोना हुआ था जिसके कारण उन्हें 14 दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। वे 4 दिन तक आईसीयू में हाई फ्लो ऑक्सीजन पर थीं। ठीक होने के बाद उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ गया, साथ ही वे घर वालों से अजीबो-गरीब बातें करने लगीं। जब उन्हें दवाइयों से आराम नहीं मिला, तो मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश प्रेमी की काउंसलिंग से 25 से 27 दिन बाद सामान्य हो गईं।

कसडोल निवासी 55 वर्षीय राधेश्याम बंजारे भी कोरोना पीडि़त होकर अस्पताल में भर्ती हुए। 9 दिन बाद डिस्चार्ज होकर घर चले गए। 6 दिन बाद घर वालों ने उन्हें विशेषज्ञ को यह कहते हुए दिखाया कि मरीज को नींद नहीं आ रही है, घबराहट हो रही है। उन्हें यह तक याद नहीं रहता कि सुबह दवा खाई है या नहीं। मरीज को पौष्टिक भोजन के साथ साइकोथैरेपी दी गई, जिसके बाद वे ठीक हैं।

समाधान-मेडिटेशन और योग जरूर करें- नकारात्मक न सोचें, ठीक होने के बाद या संक्रमित होने के दौरान भी मेडिटेशन, योग जरूर करें। इससे स्ट्रेस दूर करने वाले हार्मोन रिलीज होते हैं। रिश्तेदार, दोस्तों के घर नहीं जा पा रहे हैं इसलिए वर्चुअली जुड़ें। 

कोरोना को छोडक़र सारी बातें करें। खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। वर्चुअल बातचीत के दौरान हंसी-मजाक और मनपसंद बातें करें तथा मनपसंद संगीत-साहित्य आिद का भी आनंद लेते रहें। इससे समस्या से उबरने में मदद मिलेगी।
 

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news