रायपुर

सोनिया, राहुल, और भूपेश को गाली देने से वोट नहीं मिलेंगे...
10-Jul-2021 5:43 PM
सोनिया, राहुल, और भूपेश को गाली देने से वोट नहीं मिलेंगे...

बस्तर के नेताओं की पवन साय-शिवरतन के साथ बैठक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 10 जुलाई। भाजपा में छोटे-बड़े नेताओं की शिकवा-शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रही है। इस कड़ी में बस्तर दौरे पर गए महामंत्री (संगठन) पवन साय, और शिवरतन शर्मा को हर जगह शिकायतें सुनने मिली। जगदलपुर में तो झल्लाकर शिवरतन शर्मा ने कह दिया कि सोनिया, राहुल, और भूपेश बघेल को गाली देने से वोट नहीं मिलेंगे। एक-दूसरे की शिकायतों के बजाए आदिवासी हितों के लिए जमीनी लड़ाई लडऩी होगी। तभी पार्टी मजबूत होगी।

भाटापारा विधायक शिवरतन शर्मा बस्तर संभाग के प्रभारी हैं। वे महामंत्री (संगठन) पवन साय के साथ पांच दिन बस्तर के जिलों के दौरे पर गए थे। उन्होंने कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव, जगदलपुर, और दंतेवाड़ा में पदाधिकारियों से चर्चा भी की, और संगठन की गतिविधियों का हाल जाना। कांकेर में तो स्थानीय नेता प्रदेश नेतृत्व से काफी खिन्न रहे।

एक-दो नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि पार्टी की दशा यहां काफी बुरी है। पिछले दो विधानसभा चुनाव में जिले की सीटों से पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत, और नगरीय निकायों में भी कमोवेश यही स्थिति है। पार्टी नेताओं ने जिले में गैर आदिवासी नेताओं की उपेक्षा का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया।

उन्होंने कहा कि लोकसभा, विधानसभा के अलावा निकाय, और पंचायत की ज्यादातर सीटें आरक्षित रहती हैं। ऐसे में गैर आदिवासी चुनाव नहीं लड़ सकते। संगठन में पद देकर उन्हें काम में लगाया जा सकता है, लेकिन संगठन में भी गैर आदिवासी नेताओं प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है। विधानसभा चुनाव में हारे सतीश लाठिया को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। इन सब वजहों से गैर आदिवासी नेता पार्टी से दूर हो रहे हैं।

शिवरतन शर्मा ने माना कि गैर आदिवासी नेताओं को भी महत्व दिया जाना चाहिए। नारायणपुर, दंतेवाड़ा में भी शिकवा-शिकायतों का क्रम जारी रहा। स्थानीय नेता, एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें करते रहे। जगदलपुर में पवन साय, और शिवरतन शर्मा ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकवा-शिकायतों की प्रवृत्ति से दूर रहने की सलाह दी। पवन साय का कहना था कि यहां से शिकायत लेकर ही रायपुर आते हैं।

शिवरतन शर्मा ने साफ तौर पर कह दिया कि सोनिया, राहुल गांधी, और भूपेश बघेल को गाली देने के वोट नहीं मिलेंगे। इसके लिए आदिवासी, और आम लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए जमीनी संघर्ष करना होगा। इसके लिए उन्होंने स्थानीय नेताओं को आपसी मतभेद को भुलाकर काम करने पर जरूरत पर बल दिया। दोनों नेता प्रदेश प्रभारी को बस्तर के दौरे की रिपोर्ट देंगे। माना जा रहा है कि  इसके बाद कुछ फेरबदल और नियुक्तियां भी हो सकती हैं।

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