बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 23 जुलाई। कलेक्टर रजत बंसल की अध्यक्षता में गुरूवार को बस्तर की लोक कला, लोक गीत, लोक नृत्य एवं बस्तर की स्थानीय भाषा हल्बी, गोंडी, भतरी तथा बस्तर की शिल्प के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु इन विधा के जानकारों की बैठक जिला कार्यालय के प्रेरणा हॉल में अभिलेखीकरण हेतु विस्तृत चर्चा की गई।
ज्ञात हो कि बस्तर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष लखेश्वर बघेल के मंशानुसार एवं उनके निर्देश के तहत संभाग के सातों जिलों में आदिवासी विकास विभाग को नोडल अधिकारी बनाकर इस कार्य शीघ्र पूर्ण कराने हेतु जिम्मेदारी दी गई है।
कलेक्टर श्री बंसल ने कहा शासन-प्रशासन, जनप्रतिनिधि विधा के जानकार अशासकीय एवं शासकीय व्यक्ति सभी मिलकर इस कार्य को अंजाम तक पंहुचाएं, जिससे बस्तर की लोककला, संस्कृति, भाषा का संवर्धन एवं संरक्षण हो सके और आगामी पीढ़ी तक यह सुरक्षित तथा लिपिबद्ध होकर पहुंचे एवं देश-दुनिया तक इसका परिचय कराया जा सके। उन्होंने कहा कि आसना में निर्माणाधीन बादल सरथा में संस्कृति से संबंधित विधाओं का प्रदर्शन एवं फिल्मांकन भी किया जाना है उस हेतु भी आप सभी को कार्य करने की आवश्यकता है। इस हेतु शासन स्तर से आर्थिक रूप से एवं अन्य रूप से पूर्ण सहयोग किया जावेगा। बैठक में उपस्थित विभिन्न विधाओं के जानकार लोगों से सुझाव भी लिए गए।
बैठक में उपायुक्त आदिवासी विकास विभाग श्री विवेक दलेला ने बताय कि पूर्व में गठित जनजाति संस्कृति को संरक्षित करने एवं अभिलेखीकरण करने हेतु 05 समितियां बनाई गई हैं। इन समितियों के कार्यों की जानकारी संकलित कर कलेक्टर निर्देशानुसार कार्य योजना तैयार कर दो सप्ताह में प्रस्तुत की जाएगी। इस कार्य को पूर्ण करने हेतु विधा के जानकार लखेश्वर खुदराम, डा.रूपेन्द्र कवि हिडमो वट्टी, भरत गंगादित्य, राजेंद्र सिंह, बलदेव कश्यप, बुधराम करटाम. तथा उपस्थित अन्य लोगों ने भी अपने विचार एवं सुझाव दिए। कार्यक्रम में मुरिया समाज, धुरवा समाज, कोया समाज, हल्बा समाज, मुण्डा समाज के प्रमुख व्यक्तियों के साथ अनेक विधा जानकार उपस्थित थे।