रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 जुलाई। प्रदेश में आईटीआई के 7 सौ से अधिक प्रशिक्षण अधिकारियों की नियुक्ति शून्य करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। इन सभी की नियुक्ति सालभर पहले हुई थी।
राज्य कर्मचारी संघ के पूर्व प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने बताया कि भूपेश बघेल सरकार जहां लगातार बड़े-बड़े होर्डिंग्स और मीडिया के जरिए यह बता रही है कि प्रदेश में बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत हो गई है। दूसरी तरफ, आईटीआई विभाग के 723 प्रशिक्षण अधिकारियों की नौकरी सरकार ने खतरे में डाल दी है।
नामदेव ने बताया कि आईटीआई विभाग के अंतर्गत नियमित पद पर प्रशिक्षण अधिकारी के रूप में नियुक्ति की गई थी। किंतु वर्तमान में सरकार द्वारा अन्य सभी पदों को छोडक़र केवल 723 प्रशिक्षण अधिकारी की भर्ती को शून्य करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन की जा रही है। वहीं दूसरी ओर प्रशिक्षण अधिकारी समूह का कहना है कि जिस समय उनकी नियुक्ति की गई, उसमें पूर्व में आईटीआई के अन्य पदों में भी नियुक्ति हुई, जिसमें संविदा प्रशिक्षण अधिकारी, सहायक ग्रेड 3 एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर जैसे विभिन्न पद शामिल थे।
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण अधिकारियों का कहना है कि इन सभी पदों का चयन उसी नियमों के अनुसार किया गया, जिस नियम के आधार पर प्रशिक्षण अधिकारियों का चयन हुआ था। ऐसे में सरकार अपना दोहरा रूख दिखाते हुए आपदा काल में 723 अधिकारी पूरी तरह से निराश्रित करते हुई नजर आ रही है। ऐसे में प्रशिक्षण अधिकारियों का कहना है कि अगर 2013 में रोस्टर प्रक्रिया का पालन गलत है, तो सिर्फ प्रशिक्षण अधिकारियों को ही नौकरी से क्यों बर्खास्त किया जा रहा है अगर कोई गलती हुई है, तो पूरी की पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त की जानी चाहिए थी, जिसके अंतर्गत संविदा प्रशिक्षण अधिकारी, सहायक ग्रेड 3 एवं डाटा एंटी ऑपरेटर की नियुक्ति भी शामिल है।
नामदेव ने बताया कि प्रशिक्षण अधिकारियों का मानना है कि सरकार द्वारा अपने कुछ खास व्यक्तियों को पद का लाभ देने हेतु हमें बेरोजगार किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में हमारे साथ ऐसा होता है, तो हमारा पूरा परिवार बिखर जाएगा, जिसकी जिम्मेदार छत्तीसगढ़ सरकार की होगी।
इस सिलसिले में अफसरों द्वारा विधायक देवेंद्र यादव को भी ज्ञापन सौंपकर मामले की सूचना दी गई थी। साथ ही 2013 में हुई समस्त नियुक्ति की नियमावली संबंधित जानकारी भी प्राप्त की गई, जिसमें प्रशिक्षण अधिकारी के पद के साथ ही अन्य पदों में भर्ती हेतु जारी की गई प्रक्रिया का विवरण मौजूद है। नियमित पद पर नियुक्त होने के 8 साल बाद 640 प्रशिक्षण अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें अब अपने भविष्य को लेकर कोई भी राह नजर नहीं आ रही है।