स्थायी स्तंभ
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दामाद, एक सरकारी डॉक्टर को प्रदेश का एक वक्त का अकेला मेडिकल कॉलेज अस्पताल सौंप दिया गया था कि उसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाया जाए। दाऊ कल्याण सिंह दानदाता थे, और उनके नाम पर इसे डी.के. अस्पताल नाम से जाना जाता था। बाद में मेडिकल कॉलेज का नया अस्पताल बना तो छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर इसी इमारत में मंत्रालय खुला और एक दशक से ज्यादा चलता रहा। जब मंत्रालय नया रायपुर गया, तो एक बार फिर इसे अस्पताल बनाने का काम हुआ। ऐसे में मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ. पुनीत गुप्ता को यह जिम्मा दिया गया, और जाहिर है कि सीएम का दामाद होने की वजह से उन्हें खुली छूट भी दी गई कि वे तेज रफ्तार से इसे एक शानदार अस्पताल बनाएं।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से ऐसा कोई भी वक्त नहीं रहा जब स्वास्थ्य विभाग प्रदेश का सबसे भ्रष्ट विभाग न रहा हो। हाल ही में यह तस्वीर बदली है जब कांगे्रस सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव अस्पतालों पर अपनी जेब का पैसा खर्च कर रहे हैं बजाय अस्पतालों के पैसों से जेब भरने के। रमन सरकार में एक सबसे ताकतवर मंत्री अजय चंद्राकर स्वास्थ्य मंत्री थे, और सुब्रत साहू जैसे स्वास्थ्य सचिव थे जिनके पिता ओडिशा में चीफ सेक्रेटरी रह चुके थे। ऐसे लोगों के रहते हुए उनके विभाग में खूब चर्चित डी.के. अस्पताल में जिस रफ्तार से नियम-कायदे तोड़कर करोड़ों खर्च हुए, और बैंक से फर्जी कागजातों पर कर्ज लिया गया, उनमें से कोई भी बात इन दोनों लोगों की अनदेखी से हो नहीं सकती थी। जिस पंजाब नेशनल बैंक से करीब पौन सौ करोड़ रुपये का यह कर्ज लिया गया, वहां के उस वक्त के मैनेजर ने खुलासा किया है कि इस कर्ज के पीछे सरकार की मंजूरी थी, सरकार की गारंटी थी, और अस्पताल की कमेटी में स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, और रायपुर के कलेक्टर मेंबर थे। वैसे तो आज पुलिस की जांच डॉ. पुनीत गुप्ता को घेरे में लेकर चल रही है, और अभी बैंक के एजीएम को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है, लेकिन सरकार में जिम्मेदारी महज पुनीत गुप्ता पर खत्म नहीं हो सकती, उसके ऊपर के कई और लोगों की सीधी जिम्मेदारी इसमें बनती है। जब सरकार का कोई विभाग इतनी तेजी से कर्ज लेता है और खरीददारी करता है तो उसके लिए वित्त विभाग की कई तरह की इजाजत लगती है जो कि छोटी-छोटी बातों पर आपत्ति करने वाला विभाग रहता है। ऐसे में डी.के. अस्पताल को एक स्वतंत्र देश की तरह चलाने का यह काम कैसे हुआ यह हैरान करने वाला है। मीडिया में लगातार तस्वीरें आती भी थीं कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री इस अस्पताल की बदलती हुई शक्ल को देखने के लिए जाते थे। और स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ की खरीदी जिस तरह होती थी, उसकी जानकारी प्रदेश के आम लोगों को भी थी, इसलिए ऐसा तो हो नहीं सकता कि जानकार स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर इससे नावाकिफ रहे हों। देखना है कि पुलिस के हाथ कहां तक पहुंचते हैं।
पुनीत की बुलेटप्रूफ जैकेट
डीकेएस घोटाले में फंसे पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता के खिलाफ कई प्रकरण दर्ज तो हैं, लेकिन पुलिस उनसे कोई राज नहीं उगलवा पाई। पुनीत को अग्रिम जमानत मिली हुई है और बयान देने के लिए वकीलों की फौज लेकर पहुंचते हैं। पुलिस का कोई भी सवाल रहे, उनका एक ही जवाब होता है कि फाइल देखकर ही कुछ बता पाएंगे। फाइलें तो गायब हैं, और अस्पताल प्रबंधन ने इसको लेकर एफआईआर दर्ज करा रखी है।
पुनीत ने पुलिस को छकाने के लिए बकायदा आरटीआई लगाकर फाइलों की छायाप्रति मांग लिया है। अब फाइलें तो गुम हैं इसलिए उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल सकती। ऐसे में पुनीत गोलमोल जवाब देकर पुलिस कार्रवाई से बच रहे हैं। अब सवाल यह है कि आखिर घोटाले की फाइलें कहां गर्इं। पुलिस की मानें तो इसके बारे में सिर्फ पुनीत गुप्ता ही कुछ बता सकते हैं। पुलिस के हाथ बंधे हैं क्योंकि पुनीत ने कानूनी कानूनी बुलेटप्रूफ जैकेट पहन रखी है। उनकी अग्रिम जमानत खारिज करने के लिए पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर पुनीत से जवाब मांगा है। इस पर जुलाई में सुनवाई होगी। यह साफ है कि जब तक पुलिस पुनीत को रिमांड में लेकर पूछताछ नहीं करेगी तब तक फाइलों के राज से पर्दा नहीं उठ पाएगा। यह सब आसान भी नहीं दिख रहा है, क्योंकि पुनीत के लिए देश के नामी-गिरामी वकील पैरवी कर रहे हैं, और पुलिस को अदालत में इसका मुकाबला करने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।
महिला की शिकायत और धरम कौशिक
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक से पार्टी के कई बड़े नेता नाराज बताए जा रहे हैं। वजह यह है कि कौशिक, छेड़छाड़ के आरोपी प्रकाश बजाज के समर्थन में बयानबाजी करने और आंदोलन छेडऩे के लिए पार्टी नेताओं पर दबाव बनाए हुए हैं। प्रकाश, धरम कौशिक के बेहद करीबी माने जाते हैं, और उनके राजदार भी बताए जाते हैं। सुनते हैं कि सालभर पहले रमन सिंह सरकार के रहते यह मामला प्रकाश में आया था। तब भी धरम कौशिक के दबाव की वजह से आगे कोई पुलिस-कार्रवाई नहीं हो पाई। चूंकि यह महिला से जुड़ा मामला है और महिला अत्याचार को लेकर पार्टी संवेदनशील होने का दावा करते रही है। ऐसे में कौशिक का आरोपी को बिना किसी जांच के क्लीन चिट देकर सरकार पर बदलापुर की राजनीति करने का आरोप लगाना पार्टी नेताओं को गले नहीं उतर रहा है। कुछ नेताओं ने तो कौशिक के बयान की कटिंग पार्टी हाईकमान को भेजी है और उनकी गतिविधियों पर रोक लगाने का आग्रह किया है।
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1991 में आज ही के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई. श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज तमिल विद्रोहियों के संगठन लिट्टे ने तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में राजीव पर आत्मघाती हमला करवाया.
श्रीपेरम्बदूर में लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार कर रहे राजीव गांधी के पास एक महिला फूलों का हार लेकर आई. जैसे ही वो महिला हार पहनाने के लिए बेहद करीब पहुंची, धमाका हो गया. धमाका इतना जबरदस्त था कि उसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर लोगों के मौके पर ही परखच्चे उड़ गए.
46 साल के युवा नेता को खोने का मातम पूरे देश में देखा जा सकता था. देश भर में ज्यादातर जगहों पर सुबह सुबह लोगों को रेडियो के जरिए राजीव गांधी की हत्या की खबर मिली. देखते ही देखते देश भर के सरकारी संस्थानों में तिरंगा झुक गया. स्कूलों में शोकसभाएं हुईं.
जवाहर लाल नेहरू के नाती और इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव ने ब्रिटेन में कॉलेज की पढ़ाई की. इसके बाद 1966 में वो कर्मशियल पायलट बन गए. राजीव गांधी 1980 तक इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे. उनके छोटे भाई संजय गांधी राजनीति में थे. 1980 में एक विमान हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई. इसके बाद राजीव राजनीति में आए. उन्होंने संजय गांधी की मौत के बाद खाली हुई अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. लोकसभा चुनावों में कांग्रेस तीन चौथाई बहुमत से संसद में दाखिल हुई. 533 में से पार्टी ने 414 सीटें जीतीं. राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तब उनकी उम्र महज 40 साल थी. युवा प्रधानमंत्री से देश को काफी उम्मीदें थीं. उन्होंने स्कूलों में कंप्यूटर लगाने की व्यापक योजना बनाई. देश भर में उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित किए, ताकि गांव के बच्चों को छठी से 12वीं तक अच्छी पढ़ाई करने का मौका मिले. राजीव ने गांव गांव तक टेलीफोन पहुंचाने के लिए पीसीओ कार्यक्रम शुरू किया. लाइसेंस राज को कम किया गया, लेकिन वक्त बीतने के साथ सरकार की छवि पर बड़े धब्बे भी लगने लगे. सिख दंगे, भोपाल गैस कांड, शाहबानो केस, बोफोर्स कांड, काला धन और श्रीलंका नीति को लेकर सरकार की बेहद आलोचना हुई.
इतिहासकार रामचंद्र गुहा के मुताबिक राजीव गांधी के कार्यकाल में कांग्रेस के नेताओं से पसीने की गंध की जगह आफ्टर शेव की बास आने लगी. गुहा मानते हैं कि उस दौर में राजनीति में बड़े भ्रष्टाचार की शुरुआत हुई. इसकी कीमत 1989 के चुनाव में राजीव गांधी को चुकानी पड़ी. कांग्रेस की हार हुई और वीपी सिंह की सरकार बनी. 1990 में सरकार गिरी और कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर की सरकार बनी. 1991 में यह सरकार भी गिर गई और चुनाव का एलान हुआ. इन्हीं चुनावों के लिए प्रचार करने राजीव तमिलनाडु गए थे.
ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार 21 मई वर्ष का 141 वां (लीप वर्ष में यह 142 वां) दिन है। साल में अभी और 224 दिन शेष हैं।
- 1819-पहली साइकिल न्यूयॉर्क में चलते देखी गई।
- 1853-पहली बार लंदन में जनता के लिए ऐक्वेरियम खोला गया।
- 1981 - पियरे मोरो फ्रांस के प्रधानमंत्री नियुक्त।
- 1994 - दक्षिणी यमन द्वारा उत्तरी यमन से अलग होने की घोषणा।
- 1998 - 32 वर्षों तक लगातार इंडोनेशिया पर शासन करने वाले राष्ट्रपति सुहार्तों का त्यागपत्र।
- 2002 - बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति एच.एम. इरशाद को 6 महीने कारावास की सज़ा।
- 2003 - विश्व के 190 से भी अधिक देशों ने तम्बाकू के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय संधि को जिनेवा में मंजूरी दी।
- 2008 - रिजर्व बैंक ने सेंचुरियन बैंक ऑफ़ पंजाब के एचडीएफसी बैंक में विलय प्रस्वाव को मंज़ूरी दी। नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी विलिस ई लैंक का निधन।
- 2010 - ओडिशा तट पर बंगाल की खाड़ी में भारतीय सेना के जंगी जहाज़ रणवीर से भारतीय नौसेना ने सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के उध्र्वाधर प्रक्षेपण संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। दार्जीलिंग में अखिल भारतीय गोरखा लीग के अध्यक्ष मदन तमांग की हत्या कर दी गई।
- 1931 - भारत के प्रसिद्ध व्यंग्य रचनाकार शरद जोशी का जन्म हुआ।
- 1960 - रुस्तम-ए-ज़मां पहलवान के नाम से मशहूर गामा पहलवान का निधन हुआ।
- 1991 -भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के पुत्र, भारत की कांग्रेस (इ) पार्टी के अग्रणी महासचिव (1981 से) और भारत के प्रधानमंत्री (1984-1989) राजीव गांधी की हत्या।
- 1922- अमेरिकी चिकित्सक राबर्ट गुड का जन्म हुआ, जो आधुनिक प्रतिरक्षण विज्ञान के अग्रणी माने जाते हैं। उन्होंने 1968 में अस्थिमज्जा का पहला सफल प्रत्यारोपण किया जो उन्होंने अपनी बहन से एक बच्चे में किया था जिसे प्रतिरक्षण तंत्र की बीमारी थी। (निधन-13 जून 2003)
- 1860 -डच शरीर क्रिया विज्ञानी विलियम ईन्थोवेन का जन्म हुआ, जिन्हें इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम सहायता से हृदय की विद्युत विशेषताओं के बारे में बताया। इसे उन्होंने एक नैदानिक उपकरण के रूप में विकसित किया। (निधन-29 सितम्बर 1927)
- 1935-डच वनस्पति वैज्ञानी और आनुवांशिकीविद् ह्यूगो (मैरी) डी व्राइस का निधन हुआ, जिन्होंने जैविक विकास का प्रायोगिक अध्ययन प्रतिपादित किया, तथा उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) का सिद्धान्त दिया। (जन्म-16 फरवरी 1848)
- 1786- स्वीडिश रसायनज्ञ कार्ल विल्हेम शीले का निधन हुआ, जिन्होंने 1772 में आक्सीजन की खोज की। शीले एक उत्साही प्रयोगविद् थे जिन्होंने कठिन और गंभीर परिस्थितियों में काम किया। अपनी एकमात्र पुस्तक कैमिकल आब्ज़र्वेशन्स ऐन्ड एक्सपैरिमेन्ट आन एयर ऐण्ड फायर में उन्होंने आक्सीजन और नाइट्रोजन के बारे में बताया। उन्होंने कई तत्वों की भी खोज की, जैसे क्लोरीन (1774), मैंगनीज़ (1774), टंगस्टन (1781)। (जन्म-9 दिसम्बर 1742)
- महत्वपूर्ण दिवस-आतंकवाद विरोध/बलिदान दिवस (राजीव गांधी की पुण्य तिथि) ।
लोकसभा चुनाव मतदान खत्म होते ही कल शाम जो एग्जिट पोल सामने आया, वह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के लिए खासी निराशा लेकर आया है। इसमें भाजपा को नुकसान तो बड़ा होते दिख रहा है, और उसकी दस सीटें घटकर छह रह जा रही हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में ग्यारह में से दस लोकसभा क्षेत्र में लीड पाई थी, जो एग्जिट पोल के मुताबिक घटकर पांच सीटों पर रह जा रही है। लेकिन इससे भी अधिक फिक्र खड़ी करने वाला एक दूसरा आंकड़ा आज सुबह आया है। सी वोटर के यशवंत देशमुख ने राज्यों में पार्टियों के वोट की हिस्सेदारी का चार्ट पोस्ट किया है जिसके मुताबिक छत्तीसगढ़ में भाजपा कांग्रेस से साढ़े नौ फीसदी अधिक वोट पाते दिख रही है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से दस फीसदी अधिक वोट पाए थे। इन छह महीनों में अगर छत्तीसगढ़ के वोटर कांग्रेस से भाजपा की तरफ, या मोदी की तरफ इतने खिसक गए हैं कि दोनों पार्टियों के बीच इन दोनों चुनावों में वोटों का फर्क बीस फीसदी होने जा रहा है तो यह हैरान करने वाली बात रहेगी। और यह भी तब जब जोगी इस चुनाव में मैदान में नहीं थे, और ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें मिलने वाले परंपरागत वोट कांग्रेस की तरफ आएंगे। यह तो मतगणना के बाद अलग-अलग बूथ के आंकड़े बताएंगे कि कहां-कहां जोगी को वोट मिले थे, और उन बूथ पर इस चुनाव में उनके न रहने पर ये वोट कांग्रेस को मिले हैं, या नहीं? चुनावी विश्लेषण आंकड़ों से परे भी बहुत सी बातों पर टिका रहता है, लेकिन आंकड़े ही हैं जो कि निर्विवाद होते हैं, और जिनसे कम से कम एक तस्वीर तो बनती ही है। अब सीवोटर के ये आंकड़े सही निकलते हैं, या नहीं यह नहीं पता। कल के एग्जिट पोल की एजेंसियों ने केवल सीटों की संख्या के अंदाज सामने रखे हैं, लेकिन इस एक एजेंसी ने वोट प्रतिशत भी पेश किया है जिसे मतगणना के आंकड़ों से मिलाकर देखा जा सकेगा।
कांग्रेस के सामने चुनौती...
अब जब पूरे देश में वोट गिर चुके हैं, तब पार्टियों के नेता कुछ अधिक ईमानदारी के साथ अपनी हालत मंजूर कर रहे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी सात सीटों की बात कर रही है। यह बात प्रदेश के सबसे वरिष्ठ मंत्री टी.एस. सिंहदेव बार-बार कह चुके हैं कि सात से कम सीटें आने पर आत्ममंथन करना होगा, पुनर्विचार करना होगा, हालांकि वे यह नहीं कहते हैं कि किस बात पर पुनर्विचार करना होगा। जाहिर है कि दिल्ली में अगर कांग्रेस किसी तरह सरकार में रहेगी, तो राज्यों में पार्टी की हालत पर उतनी बारीकी से गौर नहीं होगा। लेकिन अगर कांग्रेस दिल्ली में विपक्ष में रहती है तो उसके पास हर प्रदेश की जीत-हार पर गौर करने के लिए समय ही समय रहेगा। यह बात जरूर है कि बहुत से राज्यों में विधानसभा का चुनाव स्थानीय मुद्दों और स्थानीय नेताओं को सामने रखकर लड़ा गया था, और इस बार यह चुनाव मोदी के समर्थन या मोदी के विरोध के बीच हुआ है, और यह राज्य विधानसभाओं से थोड़ा अलग तो रहना ही था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस आठ से अधिक सीटों की उम्मीद कर रही थी, और अगर उसकी कुल पांच सीटें आती हैं, तो उसे सचमुच ही अपने कई पहलुओं पर सोचना-विचारना पड़ेगा, और जनता के बीच एक बार फिर लोकप्रियता बढ़ाने के लिए मुश्किल कोशिश करनी पड़ेगी।([email protected])
पश्चिम में 15वीं शताब्दी में भारत को खोजने की होड़ छिड़ी थी. कई नाविक भटक रहे थे. लेकिन 20 मई 1498 को वास्को डा गामा से कालीकट पहुंच कर भारत को खोज ही निकाला.
यूरोपीय देशों के लिए भारत एक पहेली जैसा था. अरब देशों के साथ यूरोप का व्यापार था. यूरोप अरब जगत से मसाले, खासकर काली मिर्च और चाय खरीदता था. लेकिन अरब कारोबारी उन्हें ये नहीं बताते थे कि ये मसाले और चाय कहां पैदा होते हैं. यूरोप इतना समझ चुका था कि अरब कारोबारी कुछ छुपा रहे हैं. रोमन सभ्यता के इतिहास से उन्हें पता था कि पूर्व में एक अलग संस्कृति वाला समृद्ध देश है.
उस देश को खोजने बड़ी संख्या में यूरोप के नाविक निकल पड़े. इनमें एक नाम था इटली के क्रिस्टोफर कोलंबस का. भारत खोजने निकले कोलंबस अटलांटिक महासागर में भटक गए और अमेरिका की तरफ पहुंच गए. कोलंबस को शुरुआत में लगा कि उन्होंने भारत खोज लिया है, इसीलिए वहां के मूल निवासियों को रेड इंडियंस कहा गया.
कोलंबस की पहली यात्रा के करीब पांच साल बाद जुलाई 1497 में पुर्तगाल के युवा नाविक वास्को डा गामा भारत की खोज में निकले. 1460 में पैदा हुए वास्को डा गामा एक हुनरमंद कप्तान थे. चार जहाजों के साथ यात्रा की शुरुआत पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन से हुई. उनका अपना जहाज सेंट गाब्रियल 200 टन का था.
कहा जाता है कि वास्को डा गामा सीधे दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. वहां उन्होंने कई भारतीयों को देखा. उन्हीं के जरिए वास्को डा गामा को पता चला कि भारत अभी और आगे है. दक्षिण अफ्रीका के आखिरी छोर के मोड़ 'कैप ऑफ गुड होप' का मोड़ काटते ही वो हिंद महासागर में दाखिल हो गए. इसके बाद उनके ज्यादातर साथी बीमार पड़ गए. खाना कम पड़ गया. जान बचाने के लिए वो मोजाम्बिक में रुके. मोजाम्बिक के सुल्तान को उन्होंने यूरोपीय उपहार दिए. तोहफों से सुल्तान ऐसे खुश हुए कि उन्होंने वास्को डा गामा की भरपूर मदद की और भारत का रास्ता खोजने में भी मदद की.
ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार 20 मई वर्ष का 140 वां (लीप वर्ष में यह 141 वां) दिन है। साल में अभी और 225 दिन शेष हैं।
आखिरकार 20 मई 1498 को वास्को डा गामा कालीकट के तट पर पहुंच गए. कालीकट के राजा ने उनसे कारोबार करने की हामी भरी. कालीकट में तीन महीने बिताने के बाद वो वापस पुर्तगाल लौटे. उनके 199 नाविकों में सिर्फ 55 जिंदा बचे. 1499 में वास्को डा गामा के लिस्बन पहुंचने के बाद पूरे यूरोप में भारत की खोज की खबर फैलने लगी.
इसके बाद कब्जे का दौर शुरू हुआ. 1502 को पुर्तगाल के राजा ने वास्को डा गामा को 20 नौसैनिक जहाजों के साथ भारत के लिए रवाना किया. पुर्तगाली कालीकट और उसके आस पास के इलाके को अपने नियंत्रण में रखना चाहते थे. पूर्वी अफ्रीका के तट के सहारे वास्को डा गामा ने अरबों पर बर्बर हमले किये. कालीकट पहुंचने पर भी हमले जारी रहे. कालीकट के राजा के आत्मसमर्पण के बाद कोच्चि के राजा से समझौता किया. इसके तहत मसालों का कारोबार बनाए रखने की संधि हुई.
1503 में वास्को डा गामा पुर्तगाल लौट गए. वहां 20 साल रहने के बाद वो फिर भारत आए. 1524 में तीसरी बार भारत पहुंचे वास्को डा गामा की तबियत गड़बड़ा गई. 24 मई 1524 को उनकी मौत हो गई. पहले उन्हें कोच्चि में ही दफनाया गया. बाद में 1538 में कब्र खोदी गई और वास्को डा गामा के अवशेषों को पुर्तगाल लाया गया. लिस्बन में आज भी उस जगह एक स्मारक है जहां से वास्को डा गामा ने पहली भारत यात्रा शुरू की.
- 1830- डी हाइड ने फाउन्टेन पेन का पेटेन्ट कराया।
- 1910 -जापान ने कोरिया को औपचारिक रुप से अपना एक भाग बना लिया और इसका नाम बदल कर चोजऩ रख दिया।
- 1940-अन्वेषक आइगर सिकॉर्स्की ने जनता के सामने अपना हैलिकॉप्टर प्रदर्शित किया।
- 1995 - रूस द्वारा मानव रहित अंतरिक्ष यान स्पेक्त्र का सफल प्रक्षेपण।
- 1999 - कुर्द विद्रोही नेता सेमडिम साकिक को मृत्युदंड की सज़ा।
- 2000 - फिजी में बंदूक़धारियों के नेता जार्ज स्पेट ने देश के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
- 2001 - अफग़़ानिस्तान में तालिबान ने हिन्दुओं की अलग पहचान के लिए ड्रेस कोड बनाया।
- 2003 - पाकिस्तान ने उग्रवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन पर प्रतिबंध लगाया।
- 2004 - ताइवान में नवगठित सरकार ने शपथ ग्रहण की। यूरोपीय संघ के बाद अमेरिका ने भी कृषि निर्यात सब्सिडी कम करने की घोषणा की।
- 1900- हिन्दी भाषा के जाने-माने कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म हुआ।
- 1932 -भारत में क्रांतिकारी विचारों के जनक विपिन चन्द्र पाल का निधन हुआ।
- 1957 - प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और आंध्रप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री टी. प्रकाशम का निधन हुआ।
- 1860 -जर्मन जैव रसायनज्ञ ऐडवर्ड बकनर का जन्म हुआ, जिन्होंने बताया कि किण्वन केवल खमीर की कोशिका के कारण नहीं होता बल्कि उसमें मौजूद एंज़ाइम के कारण होता है। (निधन-13 अगस्त 1917)
- 1806- ब्रिटेन के दार्शनिक और अर्थशास्त्री जॉन स्टीवर्ट मिल का जन्म हुआ। दर्शनशास्त्र में वे ऑगस्ट कैंट के विचारों से प्रभावित थे। अर्थ व्यवस्था में वे उत्पादन और उपभोग के लिए सहकारी संस्थाएं स्थापित किए जाने के पक्षधर थे। सन 1873 में उनका निधन हुआ।
- 1913- अमेरिकी इलेक्ट्रिक इंजीनियर विलियम रैडिंगटन हैवलेट का जन्म हुआ, जिन्होंने हैवलेट पैकार्ड कम्पनी की नींव रखी जो आज कम्प्यूटर निर्माण की अग्रणी कम्पनी है। (निधन-12 जनवरी 2001)
- 1947 -जर्मन भौतिकशास्त्री फिलिप एडवर्ड ऐन्टन लेनार्ड का निधन हुआ, जिन्हें कैथोड किरणों पर अनुसंधान के लिए वर्ष 1905 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। (जन्म-7 जून 1862)
- 1793 -स्विस प्रकृतिविद् चाल्र्स बनेट का निधन हुआ, जिन्होंने अनिषेकजनन (पार्थेनोजेनेसिस) की खोज की। इसका अर्थ होता है बिना निषेचन के प्रजनन। उन्होंने पता लगाया कि कीट अपने शरीर के छिद्रों से श्वसन करते हैं जिन्हें उन्होंने स्टिग्मैटा कहा। (जन्म 13 मार्च 1720)।
पिछले कुछ समय से सरकार के मंत्री ताम्रध्वज साहू नाराज चल रहे हैं। वे अपने बेेटे को दुर्ग से टिकट दिलाना चाहते थे, मगर उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। अभी नाराजगी मंत्रियों के विभाग में छोटे से परिवर्तन को लेकर है। सीएम भूपेश बघेल ने अस्पताल में भर्ती मंत्री रविन्द्र चौबे का विधि-विधायी विभाग मोहम्मद अकबर को दे दिया। सुनते हैं कि ताम्रध्वज इसको लेकर नाराज हो गए।
हल्ला है कि उन्होंने प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और अन्य नेताओं से इस पर आपत्ति भी जताई है। बाद में उन्हें समझाया गया कि चुनाव आचार संहिता हटने के तुरंत बाद विधि-विधायी विभाग से जुड़े कई अहम फैसले होने हैं। चूंकि रविन्द्र चौबे को पूरी तरह ठीक होने में कुछ वक्त और लग सकता है। ऐसे में अकबर को चौबे के स्वस्थ होने तक विधि-विधायी विभाग का प्रभार दिया गया है। इसमें चौबे की भी सहमति रही है। तब कहीं जाकर वे थोड़े बहुत नरम पड़े। वैसे उनका मिजाज उस समय से और ज्यादा बिगड़ा हुआ है जब प्रतिमा चंद्राकर को दुर्ग से प्रत्याशी बनाया गया। प्रतिमा ने विधानसभा चुनाव में अपनी जगह ताम्रध्वज को टिकट देने का विरोध किया था।
इसके अलावा ट्रांसफर-पोस्टिंग के भी कुछ ऐसे मामले थे जिनमें ताम्रध्वज की बात मुख्यमंत्री ने किन्हीं वजहों से नहीं सुनी, और उन्हें लेकर वे बिफरे हुए रहे। अब लोकसभा चुनाव निपट जाने के बाद कई लोगों के बीच छोटे-छोटे विवाद सामने आ सकते हैं जिनमें कई ऐसे लोगों के मामले भी हैं जिनके खिलाफ चुनाव में कांगे्रस को खासा नुकसान पहुंचाने के सुबूत हैं, लेकिन जो अब तक मजे कर रहे हैं।
रिटायरमेंट के बाद...
प्रदेश में जितने आईएएस-आईपीएस अफसर रिटायर होने वाले हैं, उतनी ही चर्चा चल रही है कि बाद में किसे कौन सी कुर्सी मिलेगी। कुछ रिटायर्ड लोगों ने अपने नाम की चर्चा तरह-तरह से शुरू करवा दी है, और कुछ रिटायर होने वाले लोग मुख्यमंत्री तक अपनी खूबियां पहुंचाने में लगे हुए हैं। कुल मिलाकर कोई भी ऐसे नहीं दिखते जो रिटायर होने के बाद सचमुच रिटायर होना चाहते हों। जाहिर है कि सरकार की ऐसी मेहरबानी पाने के लिए लोग नौकरी के आखिरी एक-दो बरस सरकार की खुशामद में सभी कुछ करने को तैयार रहते हैं। और तो और कुछ कुर्सियों पर रिटायर्ड जजों को ही मनोनीत किया जाता है, और उसके लिए भी लोग चर्चा में रहते हैं कि किसे और क्यों क्या बनाया जाएगा।
आदत क्यों बिगाड़ रहे हैं?
एक तरफ हर सरकार में बहुत से मंत्री भारी कमाई करने के लिए चर्चा में रहते हैं, तो दूसरी तरफ टी.एस. सिंहदेव देश के सबसे संपन्न गिने-चुने अरबपति विधायकों में से एक हैं, और अस्पतालों की जरूरत को पूरा करने के लिए वे अपनी जेब से एसी और कूलर लगवा रहे हैं। अब दूसरे बहुत से नेता यह देखकर परेशान हो रहे हंै जो हैं तो खासे संपन्न लेकिन जो निजी घर का कमोड भी सरकारी खर्च से बदलवा रहे हैं। ऐसे एक सत्तारूढ़ नेता ने कहा कि बाबा (टी.एस. सिंहदेव) के पास ज्यादा पैसा है तो घर पर रखें, सरकारी कामकाज में निजी पैसा खर्च करके जनता की उम्मीद क्यों बढ़ा रहे हैं? ऐसे में हम जनता के पैसों से अपना कुछ भी नहीं कर सकेंगे। अब विधानसभा चुनाव के वक्त से लेकर अब तक टी.एस. सिंहदेव के निजी खर्च को लेकर कई किस्म की कहानियां हवा में हैं जिनकी सच्चाई वे ही बता सकते हैं। कुछ लोगों का कहना और मानना है कि उन्होंने अपनी बहुत सी जमीनें बेचकर विधानसभा चुनाव के वक्त पार्टी को एक बहुत बड़ी रकम दी है, और वे उसी अंदाज में आज भी जनता के कामों पर घर का खर्च कर रहे हैं।
आज का इतिहास भारत के सबसे युवा राष्ट्रपति के नाम है. 1977 में 25 जुलाई के दिन उन्होंने ये पद ग्रहण किया था. आज उनका जन्मदिन है.
नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति बने. उनका जन्म 19 मई को 1913 में मद्रास प्रेसिंडेंसी के इल्लूर गांव में हुआ.
भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल होने के बाद उनका राजनीतिक करियर लंबा चला. वह इस दौरान कई अलग अलग पदों पर रहे. जब तेलंगाना को आंध्र में मिला कर आंध्रप्रदेश बनाया गया था, उस समय नीलम संजीव रेड्डी इसके पहले मुख्यमंत्री बने थे. 1956 से 1960 तक. इसके बाद दूसरी बार भी वह ही इस प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए.
इसके बाद वे दो बार लोकसभा के स्पीकर के पद पर रहे. 25 जुलाई 1977 को वह भारत के छठे राष्ट्रपति बने. चार साल के अंदर उन्होंने तीन सरकारें देखीं. उनके राष्ट्रपति काल में मोरारजी देसाई, चरण सिंह और फिर इंदिरा गांधी की सरकार रही. 1982 में उनका कार्यकाल पूरा हुआ. इसके बाद जैल सिंह राष्ट्रपति बने.
अपने विदाई भाषण में उन्होंने कार्यकाल के दौरान रही तीनों सरकारों की आलोचना की और कहा कि वे देश की जनता के हालात सुधारने में पूरी तरह विफल रहे. उन्होंने अपील की कि मजबूत विपक्ष को खड़ा होना चाहिए ताकि सरकार के कुशासन को काबू में किया जा सके. पहली जून 1996 को उनकी निमोनिया से मृत्यु हो गई.
- 1959 -दो परमाणु रिएक्टरों वाली पहली पनडुब्बी बनी जिसका नाम ट्राइटन था।
- 1999 - भारतीय मूल के महेन्द्र चौधरी फिजी के प्रधानमंत्री नियुक्त, मैक्सिको में बाल्कान डिफ्य़ूजो नामक ज्वालामुखी सक्रिय।
- 2000 - फिजी में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री महेन्द्र चौधरी की सरकार को सात नाकाबपोश सशस्त्र व्यक्तियों द्वारा तख्तापलट।
- 2001 - इस्रायल का फिलीस्तीनी मुख्यालयों पर हवाई हमला, 15 घायल।
- 2002 - पूर्वी तिमोर चार सदियों की दासता के बाद नयी सहस्त्राब्दी के पहले नये राष्ट्र के रूप में विश्व मानचित्र पर उभरा।
- 2006 - भारतीय मूल के मलेशियाई उद्योगपति टी. रविचन्द्रन ने माउंट एवरेस्ट को फ़तह किया।
- 2007 - अमेरिकी सीनेट में समग्र आव्रजन सुधार विधेयक पर सहमति।
- 2008 - परम्परावादी मराठी थियेटर के पुरोधा विजय तेंदुलकर का निधन। भारत व चीन के बीच नाथुला से व्यापार पुन: शुरू हुआ। विश्व श्रम संगठन के कार्यकारी अक्ष्यक्ष असाने ने नई दिल्ली में सामाजिक सुरक्षा पर सम्मेलन का उदघाटन किया। मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महाथिर मुहम्मद ने सत्तायुढ़ दल से अलग होने की घोषणा की। कैलाश मानसरोवर के लिए चीन ने भारतीय यात्रियों का दौरा स्थगित किया।
- 2010- भारत सरकार को 34 दिनों से चले आ रहे 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से 67718.95 करोड़ रुपए का शुल्क मिलना तय हो गया। बिहार के मुजफ्फरपुर-रक्सौल रेलखंड पर मोतीहारी जि़ला के जीवधारा और पीपरा रेलवे स्टेशन के बीच बंगारी हॉल्ट के समीप नक्सलियों ने रेल पटरी उड़ा दी, जिससे एक टैंकर मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई तथा इसकी 13 बोगियों में आग लग गई।
- 1913 - भारत के पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का जन्म हुआ।
- 1934 - जाने-माने लेखक रस्किन बांड का जन्म हुआ।
- 1938 - जाने माने अभिनेता गिरीश कर्नाड का जन्म हुआ।
- 1904 - टाटा समूह के संस्थापक जमशेद जी टाटा का निधन हुआ।
- 1979 - हिन्दी के शीर्ष साहित्यकार हज़ारी प्रसाद द्विवेदी का निधन हुआ।
- 1869- आयरिश वनस्पति विज्ञानी हेनरी होरैटियो डिक्सन का जन्म हुआ, जिन्होंने जॉन जॉली के साथ मिलकर ट्रान्सपिरेशन पर काम किया और पेड़ों में पानी के परिवहन का तरीका समझाया और इसका सिद्धांत दिया। (निधन- 20 दिसम्बर 1953)
- 1914- ब्रिटिश जैव रसायनज्ञ मैक्स फर्डिनैण्ड पेट्रूज़ का जन्म हुआ, जिन्होंने एक्स-किरण विवर्तन द्वारा हीमोग्लोबिन की संरचना मालूम की, जिसके लिए उन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- 1944 -ब्रिटेन के मानवविज्ञानी गॉडफ्रे विल्सन का निधन हुआ, जिन्होंने अफ्रीका में सामाजिक परिवर्तन के बारे में बताया। ज़ाम्बिया में रोड्स लिविंगस्टोन संस्थान के पहले निदेशक थे। उनका मत था कि अफ्रीका की समस्याएं उपनिवेशवाद से उपजी हैं, तथा इन सामाजिक विषमताओं का कारण औद्योगिकीकरण तथा मज़दूरों का पलायन है। (जन्म-1908)
- 1942-आयरिश भौतिकशास्त्री सर जोजफ़ लॉर्मर का निधन हुआ, जो त्वरित इलेक्ट्रॉन से ऊर्जा निकलने की दर बताने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा स्पेक्ट्रम लाइन के टूटने को स्पष्ट किया। (जन्म 11 जुलाई 1857)।
प्रदेश कांग्रेस के नेता यूपी में चुनाव प्रचार कर लौट आए हैं। पार्टी हाईकमान ने सरकार के मंत्रियों और संगठन के प्रमुख नेताओं को यूपी के मुख्य रूप से अमेठी, रायबरेली और बाराबंकी में चुनाव प्रबंधन का जिम्मा सौंपा था। संकेत साफ था कि उन्हें खाली हाथ नहीं आना है। खैर, प्रदेश का चुनाव निपटते ही सीएम-मंत्रिगण और सारे प्रमुख नेता यूपी पहुंच गए। अमेठी से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर नेता वहीं डटे रहे।
सुनते हैं कि अमेठी में पार्टी संगठन का हाल ऐसा था कि स्थानीय लोगों को वहां के प्रमुख पदाधिकारियों का नाम तक नहीं मालूम था। किसी तरह खोजबीन कर जिला अध्यक्ष को बुलाया गया। और उनके साथ मिल बैठकर यहां के नेताओं ने चुनाव प्रचार की व्यूह रचना तैयार की। दो दिन बाद प्रियंका गांधी का रोड शो होने वाला था। रोड शो में किसी तरह कमी न रहे, यह सोचकर जिलाध्यक्ष को मंत्रियों की मौजूदगी में साढ़े 3 लाख दे दिए और सभी जरूरी इंतजाम करने कहा गया।
एक साथ लाखों रूपए देखकर जिलाध्यक्ष महोदय की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वे इंतजामों को लेकर बढ़-चढक़र दावा कर वहां से निकल लिए। अगले दिन तैयारियों पर चर्चा के लिए यहां के नेताओं ने जिलाध्यक्ष को फोन लगाया, तो उनका मोबाइल बंद मिला। जिलाध्यक्ष का कोई पता नहीं चलने पर हैरान-परेशान नेता दूसरे किसी जिम्मेदार स्थानीय पदाधिकारी की खोज में जुट गए। फिर एक नेता को यह कहकर पेश किया गया कि ये ईमानदार हैं और अमेठी में बरसों से पार्टी का झंडा थामे हुए हैं।
दूध से जले नेताओं ने स्थानीय नेता की ईमानदारी का टेस्ट करने के लिए 50 हजार रूपए दिए और उन्हें रोड शो की तैयारियों में जुटने कहा। पचास हजार रूपए मिलते ही इंतजामों का आश्वासन देकर निकल गए और थोड़ी देर बाद उनका भी मोबाइल बंद हो गया। फिर क्या था, प्रदेश के नेताओं ने अमेठी के नेताओं को छोडक़र खुद ही सारे इंतजाम किए। हाल यह रहा कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी महापौर और विधायक सहित अन्य बड़े नेता खुद नारेबाजी करते अमेठी की गलियों में घूमने मजबूर रहे। उन्होंने सफलतापूर्वक रोड शो होने पर राहत की सांस ली।
इस मांग से कोर्ट बेहतर...
पिछली सरकार में ताकतवर रहे कई अफसर जांच के घेरे में आ गए हैं। इनमें से एक पुलिस अफसर जांच का घेरा तोडऩे की भरसक कोशिश कर रहे हैं। चर्चा है कि अफसर ने कांग्रेस के कई राष्ट्रीय नेताओं से जुगाड़ भी बिठाया, बावजूद इसके उन्हें राहत नहीं मिल पाई है। सुनते हैं कि पुलिस अफसर को अभयदान देने के बदले झीरम कांड का रहस्य लिखित में देने के लिए कहा गया। ऐसी शर्त सुनकर पुलिस अफसर भी हक्का-बक्का रह गए। वे मिन्नतें छोडक़र कानूनी लड़ाई में पूरा ध्यान दे रहे हैं। उन्हें कई और लोगों का साथ मिल रहा है। केन्द्र में एनडीए की सरकार आई, तो उन्हें पूरी राहत मिलने की उम्मीद है। वैसे भी राज्य के आधा दर्जन आईएएस-आईपीएस चुनावी नतीजों की राह देख रहे हैं कि एनडीए लौटे तो वे दिल्ली जाने की अर्जी लगा दें।
पुराना माल रक्खा हुआ है...
दूसरों की निजी जिंदगी में तांकझांक करने के लिए कानूनी और गैरकानूनी दोनों किस्म की फोन टैपिंग का लालच बहुत से नेता-अफसर छोड़ नहीं पाते, और इसका कानूनी इस्तेमाल चाहे न हो, बंद कमरे में ऐसी रिकॉर्डिंग सुनकर वे खुश भी होते हैं, और इसके आधार पर कुछ लोगों से दोस्ती पाल लेते हैं, कुछ से दुश्मनी। कानून तो गैरकानूनी फोन टैपिंग के खिलाफ बड़ा सख्त है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह धड़ल्ले से हुई, और अब कुछ नेताओं, कुछ अफसरों, और कुछ पत्रकारों तक यह बात पहुंचाई जा रही है कि आज वे किसी को मुसीबत में देखकर अधिक खुश न हों, क्योंकि उनकी कई निजी और नाजुक बातचीत अब तक हार्डडिस्क पर कायम है, और गैरकानूनी होने पर भी उसे गुमनाम तरीके से बाजार में फैलाया तो जा ही सकता है।
18 मई 1912 भारतीय सिनेमा का एक बड़ा दिन था. उस दिन भारत में एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई, जो भारत में बनी पहली फिल्म साबित हो सकती थी.
इस दिन 'श्री पुंडलिक' नाम की एक फिल्म कोरोनेशन सिनेमैटोग्राफ गिरगांव मुंबई में रिलीज की गई. भारत की पहली मूक फिल्म होने की ये उम्मीदवार है. श्री पुंडलिक नाम की ये फिल्म दादा साहेब तोरणे ने बनाई और निर्देशित की थी.
बिना संवादों वाली इस फिल्म के लिए तोरणे और उनके सहयोगी नानासाहेब चित्रे और किर्तीकर ने शूटिंग स्क्रिप्ट लिखी. फिर इसे प्रोसेसिंग के लिए लंदन भेजा गया. ये फिल्म 1,500 फीट लंबी यानी करीब 22 मिनट की थी. लंदन में तैयार होने के बाद इसे मुंबई के गिरगांव के कोरोनेशन सिनेमैटोग्राफ में दिखाया गया. ये फिल्म दो सप्ताह चली.
कुछ लोगों का दावा है कि ये फिल्म पहली भारतीय फिल्म इसलिए नहीं कही जा सकती क्योंकि यह एक मराठी नाटक की फोटोग्राफिक रिकॉर्डिंग थी. और क्योंकि इसके कैमरामैन भारतीय नहीं हो कर ब्रिटेन के जॉन्सन थे.
इसके करीब एक साल बाद भारत के इतिहास में पहली फिल्म के तौर पर गिनी जाने वाली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' रिलीज हुई थी, जिसे दादा साहेब फाल्के ने बनाया था.
- 1804-फ्रांस की सेनेट के समर्थन से नेपोलियन बोनापार्ट इस देश के शासक बने। इस प्रकार फ्रांस में क्रांति की सफतला के 15 वर्ष बाद पुन: राजशाही शासन व्यवसथा स्थापित हो गयी किंतु दस वर्ष बाद 11 अप्रैल सन 1814 ईसवी को फ्रांस में नेपोलियन की तानाशाही भी उस समय समाप्त हो गयी जब उनको योरोपीय सरकारों ने पराजित करके देश निकाला दे दिया।
- 1910 -हैली पुच्छलतारा दिखायी दिया।
- 1914 -पहली बार व्यावसायिक माल पनामा नहर से होकर गुजरा।
- 1994 - संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1995 को संयुक्त राष्ट्र सहिष्णुता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया, गाजा पट्टी क्षेत्र से अंतिम इस्रायली सैनिक टुकड़ी हटाए जाने के साथ ही क्षेत्र पर फिलीस्तीनी स्वायत्तशासी शासन पूर्णत:लागू।
- 2004 - इस्रायल के राफा विस्थापित कैम्प में इस्रायली सैनिकों ने 19 फिलीस्तीनियों को मौत के घाट उतारा।
- 2006 - नेपाल नरेश को कर के दायरे में लाया गया।
- 2007 - कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नूर सुल्तान नजर वायेव का कार्यकाल असीमित समय के लिए बढ़ा।
- 2008 - पाश्र्व गायक नितिन मुकेश को मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय लता मंगेशकर अलंकरण से सम्मानित किया। भारतीय मूल के लेखक इन्द्रा सिन्हा को उनकी किताब एनिमल पीपुल हेतु कामनवेल्थ सम्मान प्रदान किया गया।
- 1933 - भारत के बारहवें प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा का जन्म हुआ।
- 1824 - जर्मन वनस्पति वैज्ञानिक विल्हेम (फ्रेड्रिक बेनेडिक्ट) हॉफ्मीस्टर का जन्म हुआ, जिनके पेड़-पौधों के अनुसंधान ने उन्हें आपेक्षिक पादप आकृतिविज्ञान का अग्रणी बना दिया। उन्होंने 1982 में पौधों में लैंगिक और अलैंगिक दोनों पीढिय़ों के एकांतरण की खोज की, जो सभी पेड़-पौधों के जीवन-चक्र को समझने का आधार है। (निधन-12 जनवरी1877)
- 1048 - फारसी कवि, गणितज्ञ और खगोलशास्त्री उमर खय्याम का जन्म हुआ। खय्याम निशापुर (इरान) में पैदा हुए थे। उन्होंने बीजगणित पर कार्य किया जो ईरान में आज भी पढ़ाया जाता है। ज्यामिति में उन्होंने यूक्लिड के कार्य को पढ़ा तथा समान्तर रेखाओं पर कार्य किया। (निधन- 4 दिसम्बर 1131)
- 1912- जर्मनी के पादप कोशिका विज्ञानी एड्वर्ड एडॉल्फ स्ट्रॉसबर्गर का निधन हुआ, जिन्होंने जिसने जिमनोस्पर्म के भ्रूण थैलियों के बारे में बताया (जैसे कोनिफर), और ऐन्जियोस्पर्म (फूलों वाले पौधे) में युग्मित निषेचन के बारे में बताया। उन्होंने कोशिका में पाए जाने वाले द्रव को साइटोप्लाज़्म तथा केन्द्रक में पाए जाने वाले द्रव के लिए न्यूक्लियोप्लाज़्म कहा। (जन्म-1 फरवरी 1844)
- 1975-मूलत: पोलैंड से ताल्लुक रखने वाले अमेरिकी भौतिक रसायनज्ञ कासिमीर फैजान्स का निधन हुआ, जिन्होंने ब्रिटेन के फ्रेडरिक सॉडी के साथ मिलकर रेडियोएक्टिव विस्थापन का नियम प्रतिपादित किया। इस नियम के अनुसार जब कोई रेडियोएक्टिव तत्व विखण्डित होता है तो उसका परमाणु भार दो अंक कम हो जाता है। (जन्म-27 मई 1887)।
इस दिन 'श्री पुंडलिक' नाम की एक फिल्म कोरोनेशन सिनेमैटोग्राफ गिरगांव मुंबई में रिलीज की गई. भारत की पहली मूक फिल्म होने की ये उम्मीदवार है. श्री पुंडलिक नाम की ये फिल्म दादा साहेब तोरणे ने बनाई और निर्देशित की थी.
बिना संवादों वाली इस फिल्म के लिए तोरणे और उनके सहयोगी नानासाहेब चित्रे और किर्तीकर ने शूटिंग स्क्रिप्ट लिखी. फिर इसे प्रोसेसिंग के लिए लंदन भेजा गया. ये फिल्म 1,500 फीट लंबी यानी करीब 22 मिनट की थी. लंदन में तैयार होने के बाद इसे मुंबई के गिरगांव के कोरोनेशन सिनेमैटोग्राफ में दिखाया गया. ये फिल्म दो सप्ताह चली.
कुछ लोगों का दावा है कि ये फिल्म पहली भारतीय फिल्म इसलिए नहीं कही जा सकती क्योंकि यह एक मराठी नाटक की फोटोग्राफिक रिकॉर्डिंग थी. और क्योंकि इसके कैमरामैन भारतीय नहीं हो कर ब्रिटेन के जॉन्सन थे.
इसके करीब एक साल बाद भारत के इतिहास में पहली फिल्म के तौर पर गिनी जाने वाली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' रिलीज हुई थी, जिसे दादा साहेब फाल्के ने बनाया था.