स्थायी स्तंभ
2009 में श्रीलंका की सरकार ने तमिल विद्रोहियों के साथ करीब 26 सालों तक चले संघर्ष के खत्म होने का एलान किया. लेकिन संगठन के अंतरराष्ट्रीय तार अभी सक्रिय हैं. भारत ने गैरकानूनी गतिविधियों संबंधी अधिनियम के तहत एलटीटीई पर 14 मई 1992 को प्रतिबंध लगा दिया था. तब से भारत प्रतिबंध को हर दो साल पर बढ़ाता रही है. एलटीटीई पर यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका में भी प्रतिबंध है.
अलगाववागदी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम की कोशिश थी श्रीलंका में उत्तरी और पूर्वी इलाके को स्वतंत्र देश बनाना. 1980 के दशक की शुरुआत से ही श्रीलंका लगातार बढ़ते हिंसक जातीय संघर्ष का सामना कर रहा था. श्रीलंका में संघर्ष बढ़ने के साथ साथ भारत में शरणार्थियों की भीड़ भी बढ़ रही थी. जिसके चलते 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच शांति की बहाली के लिए समझौता हुआ. समझौते के तहत भारतीय शांति सेना को श्रीलंका में शांति कायम करने में मदद करनी थी. इसका मकसद था लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम(एलटीटीई) जैसे श्रीलंकाई तमिलों और श्रीलंकाई सेना के बीच गृहयुद्ध खत्म कराना.
भारतीय सेना वहां शांति बहाली के लिए गई थी, लेकिन जब उसी के खिलाफ उग्रवादियों ने हमला कर दिया तो उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा. नतीजा यह हुआ कि लिट्टे भारतीय सैनिकों को दुश्मन की तरह देखने लगा. भारतीय सेना के तमिल टाइगर्स के साथ तीन हफ्ते तक चले संघर्ष में कामयाबी हासिल हुई और जाफना प्रायद्वीप से एलटीटीई के पांव उखड़ गए. हालांकि भारतीय सेना की इसी कार्रवाई का बदला लेने के लिए एलटीटीई ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मानव बम के जरिए हत्या कर दी.
- 1575 -अंगोला देश पुर्तगाली साम्राज्यवादियों के अधिकार में चला गया। पुर्तगाल के क़बज़े से पहले तक यह क्षेत्र गिनी देश का एक भाग था
- 1948 -जायोनी विचारधारा के मुख्य नेता डेविड बिन गोरियन ने फि़लिस्तीन देश के आधे भाग पर ज़ायोनी शासन के गठन की घोषणा की।
- 1973-अमेरिका ने स्काईलैब-1 की शुरूआत की जो उनका पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान था।
- 1999 - पाकिस्तानी पत्रकार जनम सेठी की पत्रिका फ्राइडे टाइम्स की जब्ती, सदी का आखिरी विश्व कप क्रिकेट की लॉडर्स (इंग्लैंड) में शुरुआत।
- 2004 - डेली मिरर नामक पत्रिका ने ईराक में युद्धबंदियों पर कथित अत्याचार को दर्शाने वाली झूठी तस्वीरों के प्रकाशन के लिए ब्रिटेन से माफी मांगी।
- 2006 - पूर्व कम्यूनिस्ट नेता गिओर्गिओ नैपोलितानो इटली के नए राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित। न्यूयार्क टाइम्स के प्रबंध सम्पादक और पुलित्जर पुरस्कार विजेता ए.एम. रोसेंथल का 84 वर्ष की अवस्था में निधन। चीन ने कला के स्तर पर चल रही जालसाजी से बचने के लिए एक आयोग का गठन किया।
- 2007 - जापान ने अपने शांतिवादी संविधान में संशोधन सम्बन्धी विधेयक को मंजूरी दी।
- 2008 - टाइम्स एनआईई ने इंटरनेशनल न्यूजपेपर मार्केटिंग एसोसियेशन (इनमा) अवार्ड-2008 जीता।
- 2010- भारत-रूस के बीच रक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, हाइड्रोकार्बन, व्यापार एवं निवेश आदि में 22 समझौते हुए।
- 1936 - भारतीय अभिनेत्री वहीदा रहमान का जन्म हुआ।
- 1923 - भारतीय फि़ल्मों के प्रसिद्ध निर्माता व निर्देशक मृणाल सेन का जन्म हुआ।
- 2010-ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मराठी कवि वृंदा करंदीकर का निधन हुआ।
- 2011- किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत का निधन हुआ।
- 1918-अमेरिकी चिकित्सक लार्स फ्रेड्रिक निल्सन का जन्म हुआ, जिन्होंने सन् 1963 में पहले मानव फेफड़ों के प्रत्यारोपण करने वाले डॉक्टरों के दल का नेतृत्व किया। अगले वर्ष 1964 में जानवर से मानव में फेफड़े का प्रत्यारोपण किया। (निधन-19 फरवरी 2003
- 1863-अमेरिकी गणितज्ञ जॉन चाल्र्स फील्ड का जन्म हुआ। जिन्होंने गणित में मेडल देने का विचार प्रस्तुत किया जिसे उनके नाम पर फील्ड मेडल कहा जाता है। इसे गणित का नोबेल माना जाता है। (निधन-9 अगस्त 1932)
- 1899-रसायनज्ञ लार्स फ्रेड्रिक निल्सन का निधन हुआ, जिन्होंने 1879 में स्कैन्डियम के आक्साइड, स्कैन्डिया की खोज की। (जन्म-27 मई 1840)
- 1983-अमेरिकी भौतिक रसायन शास्त्री और धातुकर्मी जॉन चिपमैन का निधन हुआ, जिन्होंने भौतिक रसायन विज्ञान के सिद्धांतों का तरल धातु तथा पिघले लोहे और धातुमल पर अध्ययन करने में इस्तेमाल किया।
हाउसिंग बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह सवन्नी नियम-विरूद्ध मकान आबंटन मामले में फंस सकते हैं। सुनते हैं कि जिस बंगले में वे रहते हैं, वह बोर्ड के अध्यक्ष के लिए था। सवन्नी को बंगला इतना भाया कि सरकारी अनुमति लेकर बंगले को नीलाम करवाकर अपने पास ही रख लिया। यह बंगला उनके ही करीबी समर्थक के नाम पर है। चर्चा तो यह भी है कि इस बंगले पर दो आईएएस अफसरों की नजरें थी। दोनों ने ही अपने नाम पर बंगला कराने के लिए काफी कुछ किया भी, लेकिन वे नीलाम नहीं करवा पाए। पर सवन्नी सबसे तेज निकले और उन पर धरमलाल कौशिक का भरोसा रहा है। कहा जा रहा है कि बंगले की नीलामी की प्रक्रिया में नियम कायदे का ध्यान नहीं रखा गया। कुछ इस तरह की नीलामी हुई कि बंगला अपनों के पास आ गया। अब सरकार बदलते हाउसिंग बोर्ड और अन्य संस्थाओं में एक के बाद एक भ्रष्टाचार के गंभीर प्रकरण सामने आ रहे हैं। कुछ की जांच चल रही है। ऐसे में सवन्नी के खिलाफ एक शिकायत तो ईओडब्ल्यू को पहले ही जा चुकी है। एक-दो और भ्रष्टाचार के प्रकरण जल्द सामने आ सकते हैं।
ऐसे में आने वाले दिनों में सवन्नी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है। और यह भी हो सकता है कि उन्हें भी महेश जेठमलानी की सेवाएं लेनी पड़े। जैसे-जैसे सवन्नी पर कोई मुश्किल बढ़ेगी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के सीने में दर्द बढ़ते चलेगा। शायद यह सोचकर भी सरकार उस तोते के पंख खींच रही है, जिस तोते में कौशिक की जान बसती है। कौशिक की ऐसी ही एक दूसरी जान मुख्यमंत्री के जिले में जंगल दफ्तर में बसी हुई है, यह बात भी अभी-अभी सरकार की जांच एजेंसियों को मालूम हुई है।
ऊंचे दर्जे का आत्मविश्वास
लोकसभा चुनाव के प्रचार में बहुत से लोग छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस खुले चुनावी दावे के रहस्य को अब तक सुलझा नहीं पाए हैं कि उनकी सरकार ने कौन-कौन से काम अगर न किए हों, तो जनता उन्हें बिल्कुल वोट न दे। उन्होंने कर्जमाफी से लेकर धान के बढ़े हुए दाम, और धान बोनस तक कई बातों को गिनाया था, और वोटरों को चुनौती दी थी कि अगर उनकी सरकार ने ये काम अब तक नहीं किए हैं तो उन्हें वोट न दें। यह एक खतरनाक दांव था, और जब कोई आत्मविश्वास से खूब भरा रहे तभी ऐसा हो सकता है।
जनता के लिए नाम-नंबर जारी
अभी ऐसा एक दूसरा मामला सामने आया है जिसमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों की क्वालिटी परखने के लिए बाहर के राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक आने वाले हैं। इनके नाम और इनके फोन नंबर उन जिलों के नाम के साथ पीएमजीएसवाई ने जारी कर दिए हैं जहां ये जाने वाले हैं। ठेकेदारों को तो नाम वैसे भी विभागों से मिल जाते हैं कि कौन कहां जाने वाले हैं। यह एक नया अंदाज है कि इनके नाम और नंबर समाचार में जारी कर दिए जाएं ताकि उन जिलों के आम लोग भी इन समीक्षकों को फोन करके सड़कों की गड़बड़ी के बारे में बता सकें। किसी सरकारी निर्माण विभाग में ऐसा आत्मविश्वास पहले शायद ही रहा हो कि पारदर्शी तरीके से जनता को शामिल किया जाए कि वे अपने इलाके की सड़कों की क्वालिटी के बारे में रिपोर्ट कर सकें। जाहिर है कि ठेकेदारों में इसे लेकर दहशत है कि पुराने अंदाज से काम अब शायद न चले। कुछ ठेकेदार और कुछ हटाए गए अफसर अब सूचना के अधिकार के तहत दूसरे लोगों के मार्फत कई किस्म की जानकारी निकालने में लगे हैं। खाली दिमाग शैतान का घर।
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वे भारत के तीसरे राष्ट्रपति तथा प्रमुख शिक्षाविद थे. आज ही के दिन 1967 में उन्होंने भारत के राष्ट्रपति का पद संभाला था.
बात हो रही है भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉक्टर जाकिर हुसैन की. वह भारत के प्रथम मुस्लिम राष्ट्रपति थे. तीन मई 1969 को असामयिक मृत्यु के कारण वह राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. वह 1957 से 1962 तक बिहार के राज्यपाल और 1962 से 1967 तक भारत के उपराष्ट्रपति भी रहे. उन्हें वर्ष 1963 मे भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
डॉ जाकिर हुसैन का जन्म हैदराबाद में हुआ था. लेकिन बाद में उनके पिता उत्तर प्रदेश के शहर कायमगंज रहने आ गए. डॉक्टर हुसैन यहीं बड़े हुए. भारत में शैक्षिक ढांचे को खड़ा करने में उनका अहम योगदान रहा. वह अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री के लिए जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय गए और लौट कर 1920 में उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापना में खास योगदान दिया तथा इसके उपकुलपति बने. स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात उन्होंने विभाजन के दौरान सख्तियां झेल चुके अलीगढ़ विश्वविद्यालय के उपकुलपति का पद संभाला. महात्मा गांधी के निमन्त्रण पर वह प्राथमिक शिक्षा के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष भी बने, जिसकी स्थापना 1937 में स्कूलों के लिए गांधीवादी पाठ्यक्रम बनाने के लिए हुई थी.
वे भारतीय प्रेस आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा सेवा तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी जुड़े रहे. 1956-58 में वह संयुक्त राष्ट्र संगठन यूनेस्को की कार्यकारी समिति में भी रहे.
- 1913-पहला चार इंजन का वायुयान बना और उड़ा।
- 1890- निकोला टेस्ला को इलेक्ट्रिक जेनरेटर के लिए पेटेन्ट जारी किया गया।
- 1918 - भारत ने राजस्थान के पोखरण में दो परमाणु परीक्षण किये।
- 1995 - चेल्सी स्मिथ मिस यूनिवर्स 1995 बनीं।
- 1998 - अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने परमाणु परीक्षण के विरोध में भारत के खिलाफ कड़े प्रतिबंध की घोषणा की, जापान ने भारत को दी जाने वाली सहायता पर रोक लगायी, ट्रिनडाड एवं टोबैगो की सुन्दरी बेंडी फि़ट्ज विलियम मिस यूनिवर्स 1998 बनीं।
- 1999 - जापानी छात्र के नागुयी विश्व की सात सर्वोच्च चोटियों पर चढऩे वाला दुनिया का सबसे कम उम्र (25 वर्षीय) का पर्वतारोही बना।
- 2000 - मिस इंडिया लारा दत्ता ने साइप्रस में सम्पन्न प्रतियोगिता में मिस यूनीवर्स -2000 का खिताब जीता।
- 2003 - रियाद में आत्मघाती हमलों में 29 व्यक्ति मारे गये।
- 2008 - पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सभी नौ मंत्रियों ने जजों की बहाली के मुद्दे पर इस्तीफ़ा दिया।
- 2010 - भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता इला भट्ट को 2010 के निवानो शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1905 - भारत के पूर्व राष्ट्रपति फख़़रुद्दीन अली अहमद का जन्म हुआ। आपात स्थिति की घोषणा के कारण इनका कार्यकाल काफ़ी अलोकप्रिय रहा।
- 2001-अंग्रेज़ी के उत्कृष्ट भारतीय लेखकों में से एक आर. के. नारायण का निधन हुआ, जिनकी किताब मालगुडी डेज ने काफी लोकप्रियता हासिल की थी।
- 1857- ब्रिटेन के जीवाणु विज्ञानी सर रॉनल्ड रोस का जन्म हुआ, जिन्हें मादा ऐनोफेलीज मच्छर में मलेरिया परजीवी की खोज करने के लिए सन् 1902 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-16 सितम्बर 1932)
- 1893- अमेरिकी मनोवैज्ञानिक हेनरी एलेक्ज़ेण्डर म्यूरे का जन्म हुआ, जिन्होंने मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास पर सिद्धांत दिया जिसके अनुसार मनुष्य का व्यक्तित्व उसकी जन्मजात आवश्यकताओं तथा उसके भौतिक और सामाजिक पर्यावरण से उसके परस्पर सम्बन्धों पर निर्भर करता है। (निधन-23 जून 1988)
- 1878- अमेरिका के महान वैज्ञानिकों में से एक जोजफ़़ हेनरी का निधन हुआ, उन्होंने टेलीग्राफ के विकास में मदद की, तथा विद्युत संबन्धी कुछ सिद्धांत दिए। (जन्म-17 दिसम्बर 1797)
- 1884- अमेरिकी आविष्कारक साइरस हॉल मैक्काॉरमिक का निधन हुआ, जिन्होंने पहली व्यावसायिक रूप से सफल कटाई मशीन का निर्माण किया। सन् 1831 में साइरस ने जनता के सामने अपनी मशीन प्रदर्शित की तथा 4 फीट के पट्टे को काटा। सन् 1834 में उन्होंने उसे पेटेन्ट कराया। (जन्म-15 फरवरी 1809)।
रमन सरकार में ताकतवर रहे अफसरों के खिलाफ जांच-पड़ताल चल रही है। उनके खिलाफ गंभीर शिकायतें हैं। इन शिकायतों को देखकर भाजपा के भी कई नेता हैरान हैं। यह सवाल भी उठा रहे हैं कि आखिर भाजपा सरकार रहते हुए उन पर नकेल डालने की कोशिश क्यों नहीं हुई। सुनते हैं कि जांच-पड़ताल के बावजूद पूर्व सीएम का अमन सिंह-मुकेश गुप्ता जैसे अफसरों पर भरोसा कम नहीं हुआ है। इसकी झलक इस बात से मिलती है कि पूर्व सीएम के दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता, निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की जनहित याचिका की पैरवी एक ही वकील यानी महेश जेठमलानी कर रहे हैं। अलबत्ता, अमन सिंह की तरफ से सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह और पूर्व एडिशनल सालिसिटर जनरल मानविंदर सिंह पैरवी कर रहे हैं।
महेश जेठमलानी सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील राम जेठमलानी के बेटे हैं। महेश का भी वकालत पेशे में काफी नाम है। उनकी फीस प्रति पेशी 10 लाख के आसपास बताई जाती है। सुनते हैं कि महेश की निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता से पुरानी जान-पहचान है। रमन सरकार के समय एक मानहानि मुकदमे के लिए मुकेश गुप्ता की तरफ से पहली बार पैरवी आए थे। तब से छत्तीसगढ़ सरकार के कई मुकदमों की पैरवी सुप्रीम कोर्ट में कर चुके हैं। इन दिग्गज वकीलों की फीस जुटा पाना किसी भी सामान्य नौकरशाह के लिए कठिन है। चूंकि जांच-पड़ताल में घिरे अफसर हरफनमौला माने जाते हैं ऐसे में इन्हें फीस जुटाने में कोई समस्या होगी, ऐसा लगता नहीं है। हल्ला तो यह भी है कि रमन सरकार में एक बार दिग्गज वकील को खुफिया मद से करीब 37 लाख भुगतान किए गए थे। अब खुफिया मद का कोई ऑडिट तो होता नहीं है। इसलिए अब इसकी जांच भी संभव नहीं है।
छुपाने में लगे अफसर...
छत्तीसगढ़ सरकार में कई विभागों या स्थानीय संस्थाओं के अधिकारियों से मीडिया समाचार के बारे में रोज ही कई सवाल करता है। इससे गलत खबर छपना या दिखना भी रूकती है, और सरकारी सच भी सामने आ जाता है। लेकिन बहुत सी छपी हुई खबरों में सरकार का पक्ष बताने वाले अधिकारियों की भाषा देखें तो लगता है कि वे कोई भी जवाब देने से ठीक उस तरह बचते हैं जिस तरह अदालत के कटघरे में कोई पेशेवर गवाह वकील के पूछे हर सवाल के जवाब में घुमाफिराकर जवाब दे रहा हो। न तो इससे सच सामने आता, और न ही झूठ को प्लांट किया जा सकता है। नतीजा यह निकलता है कि सरकार मानो किसी मुजरिम की तरह बच निकलने की कोशिश कर रही हो। और बहुत से मामलों में ऐसा होता भी है। मीडिया के पास सरकार से जुड़ी हुई वही खबरें तो पहुंचती हैं जिनमें कुछ गड़बड़ी होती है। ऐसे में सरकार अगर जवाब देने को उपलब्ध न हो, तो कुल मिलाकर नुकसान सरकार का ही होता है। अब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं जो कि पन्द्रह बरस के रमन राज, और उसके पहले के तीन बरस के जोगी राज में भी, विपक्ष की तरह ही रहे, मीडिया के साथ उनके दोस्ताना ताल्लुकात रहे। मीडिया के दो पुराने पेशेवर रहे लोग, विनोद वर्मा और रूचिर गर्ग, आज उनके सरकारी सलाहकार भी हैं, लेकिन सरकारी अफसरों का रूख पहले की तरह ही छुपाने या घुमाने का बना हुआ है। अभी तो नई सरकार की गलतियां, या उसके गलत काम सामने आए भी नहीं हैं, और पिछली सरकार के जिन गलत कामों को नई सरकार उजागर करना चाह रही है, उनके बारे में भी आज के अफसर गोलमोल जवाब देकर पहले के गलत कामों को छुपाने में लगे हैं। नुकसान तो मौजूदा सरकार का ही है।
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12 मई का इतिहास एक ऐसी रुसी महिला से जुड़ा है जो 1927 में भारत की ओर आकर्षित हुईं और जहाज पर सवार हो कर यहां पहुंच गई. जानिए कि उन्होंने क्या किया.
ये कहानी है यूजीन पीटरसन की. इनका जन्म रूस में 12 मई के दिन 1899 में हुआ था. 15 साल की उम्र में उन्होंने रवीन्द्र नाथ टैगोर की और योगी रामचक्र की किताबें पढ़ी और उनसे वह इतनी आकर्षित हुईं कि भारत आने की चाह उनके मन में पैदा हुई.
1927 में वो भारत आने के लिए जहाज पर सवार हुई और उन्होंने अपने लिए एक ऐसा नाम चुन लिया जो भारतीय लगता था. उन्होंने खुद को इंद्रा देवी कहना शुरू किया. वह पहली ऐसी विदेशी महिला थीं जो तिरुमलैई कृष्णमाचार्य की योग छात्रा बनी और फिर योग शिक्षक के रूप में दुनिया के कई देशों में गई. इतना ही नहीं रिगा में पैदा हुई यूजीन उर्फ इंद्रा ने कुछ हिन्दी फिल्मों में भी काम किया.
मशहूर योग गुरू कृष्णमाचार्य ने भी उन्हें तभी छात्रा के रूप में स्वीकार किया जब मैसूर के महाराज ने खुद उनके लिए अनुरोध किया. 1938 में इंद्रा देवी पहली विदेशी योगी बनी. जितनी भी चुनौतियां गुरू ने उनके लिए रखी वो सब उन्होंने पूरी कीं. जब इंद्रा देवी का भारत छोड़ने का मौका आया तो कृष्णमाचार्य ने खुद उनसे कहा कि वह योग शिक्षक के रूप में काम कर सकती हैं. उन्होंने चीन, अमेरिका, सहित अर्जेंटीना में योग शिक्षा दी.
1982 में वह अर्जेंटीना चलीगई. 1987 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय योग फेडरेशन का अध्यक्ष बनाया गया.
102 साल की उम्र में साल 2002 में उनकी ब्यूनस आयर्स में मौत हुई.
- 1816-अमेरिका में पहली छपाई मशीन ईजाद हुई।
- 1945 -पहली बार स्ट्रेप्टोमाइसिन का सफलतापूर्ण प्रयोग मानव पर किया गया।
- 1964 -कराची में ऊर्दू मीडियम सांइस कॉलेज की आधारशिला रखी गयी। इस कॉलेज की आधार शिला पाकिस्तान के तत्कालीन फ़ील्डमार्शल अय्यूब ख़ान ने रखी थी। यह पाकिस्तान का पहला कालेज है जिसमें इंटरमीडियट से एमएससी की पढ़ाई ऊर्दू भाषा में होती थी और छात्र छात्राओं की संख्या की दृष्टि से पाकिस्तान का यह सबसे बड़ा कॉलेज था। उर्दू सीडियम साइंस कॉलेज की एक महत्तवपूर्ण संस्था लेखन और अनुवाद का एक विभाग है जो अब तक विज्ञान की विभिन्न पुस्तकों को प्रकाशित कर चुकी है।
- 1999 - रूस के उपप्रधानमंत्री सर्गेई स्तेपनिश कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त, अमेरिकी वित्तमंत्री रोबर्ट रूबिन का अपने पद से इस्तीफ़ा।
- 2002 - मिस्र, सीरिया और सऊदी अरब ने पश्चिम एशिया मामले में शांति समझौते की इच्छा जताई।
- 2007 - पाकिस्तान के कराची शहर में हिंसा।
- 2008 - जजों की बहाली के मुद्दे को लेकर कोई समझौता न होने के कारण पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ ने साझा सरकार से हटने का निर्णय लिया। चीन में आए भीषण भूकम्प से हज़ारों लोग मारे गये।
- 2010 - बिहार के चर्चित बथानी टोला नरसंहार मामले में भोजपुर के प्रथम अपर जि़ला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने तीन दोषियों को फांसी तथा 20 को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।
- 1875 - कृष्णचन्द्र भट्टाचार्य - प्रसिद्ध दार्शनिक, जिन्होंने हिन्दू दर्शन पर अध्ययन किया।
- 1895 - जे. कृष्णमूर्ति, एक दार्शनिक तथा आध्यात्मिक विषयों के बड़े ही कुशल एवं परिपक्व लेखक थे।
- 2008 - विजय तेंदुलकर, भारतीय नाटक और रंगमंच के विकास में अग्रणी
- 1910 - अंग्रेज़ रसायनज्ञ डोरोथी हॉज्किन मिस्र का जन्म हुआ, जिन्हें एक्स किरणों की सहायता से जीव विज्ञान से संबन्धित अहम् अणुओं की संरचनाओं पर कार्य के लिए वर्ष 1964 में रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-29 जुलाई 1994)
- 1863 - रूसी भू रसायनज्ञ तथा खनिज विज्ञानी व्लादिमिर इवानोविच वरनेड्स्की का जन्म हुआ, जो भू-रसायन तथा जैव भू रसायन के संस्थापक भी थे। नूस्फेयर अर्थात मानव के दिमाग द्वारा नियंत्रित जैवमंडल को प्रचलित करने वाले वे पहले व्यक्ति थे। (निधन-6 जनवरी 1945)
- 1994- अमेरिकी रसायनज्ञ और टेफ्लॉन (यह पॉलीटेट्राफ्लोरोइथाइलीन का ट्रेडमार्क नाम है) के अन्वेषक रॉय जे. प्लंकेट का निधन हुआ, । टेफ्लॉन आज धात्विक बरतनों में जंगरोधी के रूप में काम आता है। यह रेडियोधर्मी वस्तुएं बनाने के काम आता है। (जन्म- 26 जून 1910)
- 1884- फ्रांसीसी रसायनज्ञ और शिक्षाविद् चाल्र्स एडॉल्फ वर्ट्ज़ का निधन हुआ, जो कार्बनिक नाइट्रोजन यौगिकों, हाइड्रोकार्बन तथा ग्लाइकॉल पर अध्ययन करने के लिए जाने जाते हैं। (जन्म 26 नवम्बर 1817)
छत्तीसगढ़ के एक नामी आईएएस रहे ओ.पी. चौधरी पिछली सरकार में सबसे ताकतवर नौकरशाह, अमन सिंह के सबसे पसंदीदा अफसरों में से एक रहे, और फिर छत्तीसगढ़ का माटीपुत्र होने के नाते राजनीतिक महत्वाकांक्षा उन्हें स्वाभाविक लगी, और वे देश की एक सबसे सुरक्षित नौकरी छोड़कर चुनाव में उतर गया। जिन लोगों को भाजपा के सरकार बनाने की गारंटी लग रही थी, उनके बीच इस बात को लेकर बहस होती थी कि विधायक बनने के बाद ओ.पी. चौधरी खेल और युवा कल्याण मामलों के मंत्री बनेंगे या युवा आयोग के अध्यक्ष? खैर, भाजपा की सरकार बनी नहीं, और कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तेवर पिछली सरकार की गड़बडिय़ों को लेकर इतने आक्रामक हैं कि खुद कांग्रेस विधायकों को ऐसा अंदाज नहीं था।
अब ओ.पी. चौधरी दंतेवाड़ा की कलेक्टरी के समय के जमीन के एक फैसले को लेकर एक जांच के घेरे में हैं। चौधरी रायपुर के भी कलेक्टर रहे हुए हैं, और इसी कुर्सी पर उनसे बरसों पहले बैठने वाले सी.के. खेतान को चौधरी के जमीन के फैसले की जांच दी गई है। सी.के. खेतान अब एसीएस हैं, और सुनील कुजूर के रिटायर होने के बाद जिन दो अफसरों में से एक की सीएस बनने की संभावना है, वे उनमें से एक हैं। इसलिए इस जांच में वे कोई कसर रखेंगे ऐसा लगता नहीं है। दूसरी तरफ इस जांच को होने से रोकने के लिए जिस तरह से कुछ लोगों ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दौड़ लगाई थी, उससे भी लगता है कि इस जांच में छुपाने लायक कुछ बात है।
एक वक्त रेणु पिल्ले...
दूसरी तरफ अमन सिंह की पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ एक जांच शुरू हुई है। वे पीएचई में सलाहकार के पद पर काम करती रहीं, लेकिन साथ-साथ वे पूरे देश में कत्थक के मंच प्रदर्शन में भी लगी रहीं। अब जांच उनकी नियुक्ति से लेकर उनके काम और उनकी छुट्टियों तक फैली हुई है। यह जांच प्रदेश की एक सबसे कड़क समझी जाने वाली आईएएस अधिकारी रेणु पिल्ले को दी गई है जो कि पिछली रमन सिंह सरकार में अपने एक शासकीय फैसले को लेकर पल भर में सरकार से बाहर कर दी गई थीं, और राजस्व मंडल नाम के कालापानी पर भेज दी गई थीं। जिस बैठक में रेणु पिल्ले को हटाने का फैसला हुआ, उसमें रेणु पिल्ले के साथ-साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, मुख्य सचिव विवेक ढांड, राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अमन सिंह मौजूद थे। पिछली सरकार में यह जाहिर था कि जिस बैठक में अमन सिंह रहते थे, उसके फैसले या तो वे ही लेते थे, या उनकी सहमति वाले फैसले ही होते थे। ऐसे में रेणु पिल्ले की साफ-साफ असहमति ने उन्हें पल भर में कुर्सी से हटा दिया गया था, और वे बिना किसी शिकायत सिर ऊंचा किए हुए राजस्व मंडल चली गई थीं। वक्त कैसे बदलता है, आज यास्मीन सिंह के मामले की जांच रेणु पिल्ले कर रही हैं।
हाथापाई से लेकर जांच तक...
कुछ ऐसी ही एक दूसरी जांच राज्य के एक डीजीपी, निलंबित मुकेश गुप्ता की हो रही है। उनके खिलाफ चल रही कई जांच में से एक पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी करने जा रहे हैं। लोगों को अच्छी तरह याद है कि जब चुनाव आयोग ने कई बरस पहले डीजीपी विश्वरंजन को जबरिया छुट्टी पर भेजा था, और अनिल नवानी को पुलिस विभाग का मुखिया बनाया गया था, तो उनकी टेबिल पर एक बैठक के बीच मुकेश गुप्ता डी.एम. अवस्थी पर चढ़ बैठे थे, दोनों के बीच बुरी जुबान के बाद हाथापाई की नौबत आई थी, और वहां मौजूद दो दूसरे बड़े आईपीएस ने दोनों को पकड़कर खींचकर अलग किया था। उस वक्त उस बैठक में मौजूद एक या दो महिला आईपीएस अधिकारी यह देखकर हक्का-बक्का रह गई थीं। उस पूरी घटना को नवानी की कमजोर लीडरशिप का भी नतीजा माना गया था कि डीजीपी के कमरे में उनके दो मातहत किस तरह ऐसे भिड़ सकते हैं। बैठक में बहस इस बात को लेकर हुई थी कि इंटेलीजेंस के मद से जिलों के एसपी को पर्याप्त रकम दी जा रही है या नहीं? खैर, अब मुकेश गुप्ता की बाकी बची नौकरी से बहुत अधिक लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तेवर देखते हुए किसी जांच में मुकेश गुप्ता से किसी रियायत के आसार नहीं दिखते हैं।
एक जांच अफसर रेणु पिल्ले, और एक जांच अफसर डी.एम. अवस्थी, इन दोनों को बदले हुए हालात में इन बदले हुए किरदारों में देखकर लोगों को यह सबक भी लेना चाहिए कि जब वक्त अपना चल रहा हो, तो दिख रहे आज के साथ-साथ न दिख रहे आने वाले कल का भी ध्यान रखना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में किसे कितनी सीटें?
छत्तीसगढ़ के चुनाव में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, इस पर अटकल किनारे चली गई है। यहां की सीटों से न तो दिल्ली की सरकार बननी हैं, न बिगडऩी है। और न ही छत्तीसगढ़ में सरकार की सेहत पर इससे सीधे-सीधे कोई फर्क पडऩे जा रहा है। ग्यारह सीटों में से दस भाजपा के पास थी, और एक पर कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू सांसद थे। अब कांग्रेस कहने के लिए तो ग्यारह सीटों का दावा कर रही है, लेकिन उसके वरिष्ठ मंत्री टी.एस. सिंहदेव देश में चुनाव के चलते-चलते भी पता नहीं क्यों सात सीटों तक अपनी बात लाकर रूक जाते हैं। उन्हें बार-बार लगता है कि कांग्रेस सात से अधिक सीटें शायद न भी पाए, और वे सात से कम को कांग्रेस की नाकामयाबी भी बता रहे हैं, जो कि कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि वे इसे मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की नाकामयाबी बताने की ओर इशारा कर रहे हैं।
जो भी हो, सीटों के बारे में लोगों का एक मोटा अंदाज यह है कि दोनों ही पार्टियों की कम से कम चार-चार सीटों की गारंटी है, और तीन सीटें डांवाडोल हैं जो कि किसी भी करवट बैठ सकती हैं। ये चार-चार सीटें कौन सी हैं, इसके बारे में भी काफी लोगों को अंदाज है और ऐसी आठ सीटों के बाद तीन सीटों के नाम ही तो बचते हैं। आम चर्चा के मुताबिक सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर, और दुर्ग में लोग भाजपा की संभावना देख रहे हैं, और बस्तर, कांकेर, राजनांदगांव, और कोरबा में कांग्रेस की। अब जो तीन सीटें बच गई हैं वे जांजगीर, रायगढ़, और महासमुंद हैं। कांग्रेस के कम से कम चार दिग्गजों की निजी प्रतिष्ठा तीन सीटों पर लगी हुई है, और भाजपा के मुकाबले कांग्रेस में अधिक बेसब्री से इंतजार है।
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11 मई साल का 131वां दिन है और इतिहास में इस दिन के नाम पर बहुत सी घटनाएं दर्ज हैं। वर्ष 2000 में 11 मई के ही दिन भारत की आबादी ने एक अरब का आंकड़ा छू लिया, जब नयी दिल्ली में जन्मी एक बच्ची को देश का एक अरबवां नागरिक करार दिया गया। यह दिन देश के इतिहास में एक और खास घटना के साथ दर्ज है। 11 मई 1998 को भारत सरकार ने पोखरण में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण करने का ऐलान किया था। देश दुनिया के इतिहास में 11 मई की तारीख पर दर्ज
- 1947- एक्रॉन की बी.एफ. गुडरिक कम्पनी ने ट्यूब रहित टायर बनाए।
- 1995 - संयुक्त राष्ट्र महासभा के कक्ष में 24 दिन तक चले सम्मेलन की समाप्ति पर परमाणु अप्रसार संधि को अनिश्चित काल के लिए स्थायी बना दिया गया।
- 1998-भारत ने राजस्थान के पोकरण में तीन परमाणु परीक्षण किये।
- 2000 - दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जन्मी आस्था भारत का एक अरबवां बच्चा घोषित।
- 2001 - संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रक्षेपास्त्र रक्षा प्रणाली को भारत का समर्थन, अमेरिकी संसद ने संयुक्त राष्ट्र की देय राशि रोकी।
- 2002 - बांग्लादेश में नौका दुर्घटना में 378 लोग मरे।
- 2005 - बगलिहार परियोजना पर भारत-पाक मतभेदों को निपटाने हेतु विश्व बैंक ने तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त किया।
- 2007 - इस्रायल ने हमास से जुड़ी रिफ़ॉर्म एवं चेंज पार्टी को गैर-क़ानूनी घोषित किया।
- 2008 - दक्षिणी वजीरिस्तान में नाटो सेना ने हमला किया। न्यूयार्क के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विश्व का पहला जिनेटिकली माडिफ़ाइड मानव भ्रूण तैयार किया।
- 2010 - भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक खंड़पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि पंचायत और स्थानीय चुनाव में राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार है।
- 1912 - कहानीकार और लेखक सआदत हसन मंटो का जन्म हुआ। मंटो फि़ल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे।
- 1918 - अमेरिकी भौतिकशास्त्री रिचर्ड फिलिप्स फाइनमैन का जन्म हुआ । उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के वैज्ञानिकों में सबसे प्रतिभाशाली माना जाता है। उन्होंने उपपरमाण्विक कणों के जटिल व्यवहार को समझाने के लिए फाइनमैन चित्र दिए। उन्हें क्वान्टम इलेक्ट्रोडायनामिक्स पर कार्य करने के लिए वर्ष 1965 में नोबेल पुरस्कार मिला। (निधन-15 फरवरी 1988)
- 1924-ब्रिटेन के खगोल भौतिकशास्त्री एंटनी हेविश का जन्म हुआ, जिन्होंने पल्सर की खोज की। पल्सर ब्रह्माण्डीय पिण्ड होते हैं जिनसे नियमित रूप से रेडियो तरंगें निकलती हैं। इसके लिए उन्हें 1974 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
- 1686 -जर्मन भौतिकशास्त्री ओटो वॉन ग्वेरिके का निधन हुआ, जिन्होंने 1654 में निर्वात (वैक्यूम) बनाने के लिए पहला पिस्टन हवा पम्प बनाया। उन्होंने दहन तथा श्वसन क्रिया में हवा का महत्व समझाया। (जन्म 20 नवम्बर 1602)
- 1956 -अमेरिकी खगोलशास्त्री वाल्टर (सिडनी) ऐडम्स का जन्म हुआ, जो मुख्यत: सूर्य धब्बों तथा तारों की गतियों से जुड़े स्पेक्ट्रमी अध्ययन करने के लिए जाने जाते हैं। (जन्म-20 दिसम्बर 1876)
- महत्वपूर्ण दिवस- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस।
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उत्तरप्रदेश की तीन लोकसभा सीटों पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके एक वरिष्ठ मंत्री मोहम्मद अकबर चुनाव प्रचार करके लौट आए। अमेठी और रायबरेली तो कांग्रेस नेताओं के लिए तीर्थयात्रा जैसी रहती है इसलिए इन दोनों सीटों पर इन दोनों ने अपनी मेहनत भी की, और वहां पर गांव-गांव तक छत्तीसगढ़ के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ड्यूटी पर भी लगाया। लेकिन इसके अलावा एक तीसरी सीट पर भी मेहनत की, बाराबंकी। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी पी.एल. पुनिया का बेटा बाराबंकी से चुनाव लड़ रहा है, और यहां पर कुर्मी मतदाता भी खूब हैं, और मुस्लिम मतदाता भी। ऐसे में कुर्मी मुख्यमंत्री और मुस्लिम मंत्री की यह जोड़ी हिट रही क्योंकि दोनों बोलने में भी तेज हैं। वहां भूपेश बघेल को मुस्लिमों के बीच यह भी साफ करना पड़ा कि मोहम्मद अकबर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नहीं हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े विभागों के मंत्री हैं जिनमें सस्ता राशन देने वाला विभाग भी शामिल है। दोनों ने सस्ते राशन से लेकर कर्जमाफी तक का सारा श्रेय राहुल गांधी के नीति-निर्देश को दिया, और यह उम्मीद बंधाई कि दिल्ली में राहुल की सरकार बनने पर पूरे देश को इस तरह की मदद मिलेगी। अब उत्तरप्रदेश से लौटने के बाद भूपेश बघेल मध्यप्रदेश में भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ के इलाकों में चुनाव प्रचार करने चले गए हैं। वे अविभाजित मध्यप्रदेश के समय भी दिग्विजय के मंत्री रहे हैं, और उन्हीं के अखाड़े के पहलवान भी हैं। इस चुनाव में प्रदेश के बाहर जिस कांग्रेसी मुख्यमंत्री की सबसे अधिक मांग रही है, वे भूपेश बघेल ही हैं। इसके साथ-साथ अमेठी और रायबरेली की मेहनत भी उनके नाम मजबूती से दर्ज हो गई है। कांग्रेस में इससे अधिक लगता क्या है?
नब्ज ऑटो-टैक्सी में है
पूरे देश में चुनाव की रिपोर्टिंग करते घूमने वाले मीडिया के लोगों को किसी शहर पहुंचते ही नब्ज टटोलने के लिए सबसे पहले टैक्सी या ऑटो के लोग मिलते हैं। इसलिए सरकार को इस तबके को खुश रखना चाहिए। लोगों को याद होगा कि केजरीवाल जब सरकार में आए, तब दिल्ली के सारे ऑटो वाले उनके साथ थे। हालांकि दिल्ली के वोटर को मीडिया से ऐसा कोई लेना-देना नहीं रहता कि बाहर के आए हुए मीडिया के लोग ऑटो-टैक्सी से पूछकर जो लिखें, उसे सुनकर दिल्ली के वोटर वोट डालते हों। लेकिन बाकी हिन्दुस्तान में तो बाहर से जाने वाला मीडिया चुनाव का रहस्य सबसे पहले ऑटो-टैक्सी वालों से ही समझना चाहता है। इसी तरह सड़क के रास्ते जो रिपोर्टर लंबा सफर करते हैं वे ढाबे वालों से बात करते चलते हैं, और हवा का रूख भांपने की कोशिश करते हैं। अभी छत्तीसगढ़ से कुछ रिपोर्टर उत्तरप्रदेश गए थे, और तरह-तरह से परखने के बाद उनका नतीजा यह था कि तकरीबन पूरा प्रदेश गठबंधन के साथ है। गठबंधन यानी सपा-बसपा गठबंधन। इन दोनों की ऐतिहासिक लड़ाई के बाद यह ऐतिहासिक दोस्ती उत्तरप्रदेश के आम वोटर के लिए बहुत ही वजनदार साबित हो रही है। और अगर यह रूख नतीजों को बता रहा है तो उसका मतलब यह है कि भाजपा को योगीराज में खासे बड़े हिस्से में संन्यास पर भेजा जा रहा है।
भूमाफिया बनी पुलिस
छत्तीसगढ़ के बहुत से जिलों में पुलिस जमीन-जायदाद के अघोषित कारोबार में ऐसी लग गई है कि किसी थाने में पोस्टिंग का मोलभाव उस थाना इलाके में जमीनों के सौदों को देखकर तय होता है। जमीनों के कब्जों को लेकर, किसी और झगड़े को लेकर जहां पुलिस की दखल नहीं बनती है वहां पर भी पुलिस की दखल के दाम लगते हैं, जहां भी पुलिस दखल बनती है, वहां पर एफआईआर न लिखने के भी दाम लगते हैं। अभी दुर्ग जिले में कल ही एसपी ने एक थानेदार को सस्पेंड किया। उस पर लंबे समय से एक शिकायत के बावजूद एफआईआर दर्ज न करने की शिकायतें थीं, और वही बात उसे ले डूबी। मुख्यमंत्री का अपना जिला, गृहमंत्री का भी जिला, और भी ताकतवर विधायकों का यह जिला पुलिस में ऐसे कई मामले देख रहा है जिनमें धड़ल्ले से मोलभाव चलते रहता है। अभी एक-दो ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है लेकिन कुल मिलाकर हाल बुरा ही है। दुर्ग पुलिस का जमीन का एक ऐसा मामला अभी सामने आया है जिसमें एक आदमी ने रिपोर्ट लिखाई, उस पर पुलिस ने सौदा करवाकर, रकम वापिस करवाने की बात तय कर ली, और जब शिकायतकर्ता ने हलफनामा देकर शिकायत वापिस ले ली, तो पुलिस रकम दिलवाने से मुकर गई। नतीजा यह है कि अब शिकायतकर्ता फिर पुलिस में पहुंचा हुआ है कि वह अपना हलफनामा खारिज करवाकर कार्रवाई चाहता है।
रायपुर के एक अखबार में कल ही रिपोर्ट छपी है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अपने चुनाव क्षेत्र पाटन में पूरी रात शराब की होम-डिलिवरी चलती रहती है। अब यह जाहिर है कि पुलिस के साथ के बिना तो ऐसा हो नहीं सकता। देखना यह है कि बाकी प्रदेश में जमीनों के सौदागर और दलाल बनी हुई पुलिस की रंगदारी के खिलाफ कब कार्रवाई होगी। दरअसल यह प्रदेश ऐसे बड़े-बड़े धाकड़ और ताकतवर पुलिस अफसरों को जमीन के अवैध कारोबार का मुखिया बना हुआ देख चुका है, और उनकी वजह से विभाग के बाकी छोटे अफसरों की धड़क खुली हुई है।
भाजपा के घर में खड़कते बर्तन
सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ विवादित बयान से भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने भले ही पल्ला झाड़ लिया है, लेकिन पार्टी के भीतर इसको लेकर विवाद जारी है। चर्चा है कि पार्टी का संगठन में हावी खेमा चाहता था कि भूपेश के खिलाफ बयान को किसी भी दशा में वापस नहीं लिया जाना चाहिए। भले ही इसके लिए अदालती कार्रवाई का सामना करना पड़े।
सुनते हैं कि पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने शिवरतन शर्मा को सलाह दी कि बयान वापस लेने की जरूरत नहीं है। मगर पार्टी का दूसरा खेमा इससे सहमत नहीं था। चर्चा है कि एक पूर्व मंत्री ने रमन सिंह से पूछ लिया कि आपत्तिजनक बयान उन्हीं से जुड़े लोगों के नाम से क्यों जारी होती है? कभी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और राजेश मूणत इस तरह का बयान क्यों नहीं देते। विरोधी खेमे की आक्रामकता को देखकर रमन और बाकी नेताओं को पीछे हटना पड़ा। आनन-फानन में सब कुछ मीडिया विभाग पर थोपकर किसी तरह विवाद का निपटारा करने की कोशिश हुई। मगर, एक खेमा अभी भी मीडिया विभाग में आमूलचूल परिवर्तन के लिए दबाव बनाए हुए हैं। अब लोकसभा चुनाव निपटने के बाद इन सबको लेकर हाईकमान हस्तक्षेप कर सकता है।