स्थायी स्तंभ
देवेंद्र का विरोध भी शुरू
कांग्रेस ने एक बार फिर रायपुर के बाद बिलासपुर सीट से अनपेक्षित नाम देकर सबको चौंका दिया है। पार्टी ने कोल स्कैम केस में आरोपी भिलाई के विधायक देवेन्द्र यादव को बिलासपुर से उम्मीदवार बना दिया है। देवेन्द्र की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट खारिज कर चुकी है। बावजूद इसके उन्हें टिकट देने से परहेज नहीं किया गया।
सुनते हैं कि पार्टी के भीतर यादव समाज से एक प्रत्याशी उतारने के लिए तकरीबन सहमति रही है। इसके लिए बिलासपुर सीट का चयन किया गया क्योंकि वहां यादव समाज के वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। पार्टी नेताओं ने सबसे पहले विष्णु यादव का नाम सुझाया था। वो पार्षद रह चुके हैं।
विष्णु यादव का नाम नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सुझाया था, और बाद में बिहार रहवासी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व छत्तीसगढ़ के सहप्रभारी चंदन यादव नया नाम लेकर आ गए। उन्होंने देवेन्द्र यादव का नाम आगे कर दिया। देवेन्द्र को प्रत्याशी बनाने के पीछे तर्क दिया गया कि एनएसयूआई और युवक कांग्रेस के अहम पद पर रहते हुए प्रदेश भर में उनकी टीम है। फिर क्या था पूर्व सीएम भूपेश बघेल और अन्य नेताओं ने भी देवेंद्र के नाम पर रजामंदी दे दी।
हालांकि देवेन्द्र को प्रत्याशी बनाने से कितना फायदा होगा, यह तो अभी साफ नहीं है। मगर यादव समाज के भीतर ही दबे स्वर में उनका विरोध हो रहा है। वजह यह है कि देवेन्द्र बिहार मूल के हैं। यही नहीं, बिलासपुर में वो कभी सक्रिय नहीं रहे, और न ही किसी सामाजिक कार्यक्रम में गए। यादव समाज से जुड़े लोग मानते हैं कि पूर्व विधानसभा प्रत्याशी भुनेश्वर यादव, या विष्णु यादव सहित कई ऐसे मजबूत नाम हैं, जो कि भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर सकते थे। देवेंद्र यादव किस तरह प्रचार करते हैं, और उन्हें अपनी बिरादरी का कितना समर्थन मिलता है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
क्वांटिफाइबल डाटा काम कर गया
पिछली सरकार की ओर से कराये गए सर्वे में ओबीसी यादव समाज का दूसरे नंबर पर स्थान था। यह रिपोर्ट तब सरकार ने सार्वजनिक नहीं की। तब के राज्यपाल ने मांगा तब भी नहीं दी। मगर खोजी पत्रकारों ने उसकी डिटेल निकाल ली। इसमें पता चला कि साहू समाज की संख्या सर्वाधिक है और यादव समाज की उसके बाद दूसरे नंबर पर। इस छिपाई गई रिपोर्ट में आए आंकड़े को कांग्रेस सरकार ने बड़ी गंभीरता से लिया है। शायद इसीलिए बिलासपुर से उसने भिलाई के विधायक देवेन्द्र यादव को टिकट दे दी है। देवेंद्र यादव का बिलासपुर से कभी दूर-दूर तक नाता नहीं रहा। बस सभा समारोहों में पहुंचते रहे। देवेंद्र यादव को टिकट देकर कांग्रेस ने यह संदेश भी दिया है कि सीबीआई, ईडी की छापेमारी से उनके कार्यकर्ता घबराने वाले नहीं हैं। भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू उसी लोरमी इलाके से हैं, जहां से उपमुख्यमंत्री अरुण साव आते हैं। बिलासपुर में भाजपा को 28 हजार मतों की बढ़त थी। पर यहां से जीते हुए बहुत वरिष्ठ अमर अग्रवाल को मंत्री नहीं बनाया गया है। वे रमन सिंह के कार्यकाल में वर्षों तक स्वास्थ्य, वित्त और राजस्व जैसे महत्व के विभाग देख चुके हैं। उनके समर्थक तोखन साहू को लेकर बहुत अधिक उत्साहित नहीं हैं। भाजपा ने दूसरे नंबर की जाति होने के बावजूद 11 में से किसी भी सीट से यादव को टिकट नहीं दी है। ऐसा कांग्रेस ने कर दिया है। देवेंद्र यादव बिलासपुर निकालें या न निकालें मगर उनकी उम्मीदवारी प्रदेश की बाकी सीटों पर असर करने वाली है।
रिटायरमेंट की एज में कन्फर्मेशन
इसीलिए तो कहा गया है कि सरकारी काम है। प्रशासनिक ढिलाई (एडमिनिस्ट्रेटिव लैकिंग) का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता। खबर है कि छत्तीसगढ़ कैडर के 11 आईएफएस रिटायरमेंट की एज में जाकर सर्विस में कंफर्म हुए हैं। इसमें उनकी स्वयं की नजरअंदाजी भी रही है। वर्ष 92-94 बैच के 11आईएफएस अफसर अब जाकर कन्फर्म हुए हैं। इनमें 92 बैच से वी.आनंद बाबू,(कौशलेंद्र कुमार ,वी शेट्टीपनवार दोनों रिटायर) ,93 से आलोक कटियार,94 से अरुण पांडे, सुनील कुमार मिश्रा,प्रेम कुमार,अनूप विश्वास,95 ओपी यादव, 97 संचित गुप्ता और 98 के अमरनाथ शामिल हैं। सभी लोग भी भूल गए, यह सोचकर कि बन गए हैं साहब। रिटायरमेंट के नजदीक आते ही एहसास हुआ तो सक्रिय हुए। अरण्य भवन से दिल्ली एककर कन्फर्मेशन करा लिया। अब कम से कम पीसीसीएफ का नया स्केल और पेंशन बेनिफिट तो मिल जाएगी। भले ही प्रमोशन न मिले।
होली के दूसरे दिन की चर्चा
होली के दूसरे दिन सभी लोग दफ्तरों में खाली ठलहा बैठे थे। फिर क्या वही होना था, ट्रांसफर पोस्टिंग पर चर्चा कहा गया कि 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तब दो आईपीएस अफसरों के खिलाफ एफआईआर हुए थे और दो को बिना कोई जिम्मेदारी दिए पुलिस मुख्यालय में बैठा दिया गया था। इनमें एक का वनवास तो कुछ महीने का था, लेकिन दूसरे को साल भर से ज्यादा समय लगा। भाजपा शासन में पिछले दिनों आईपीएस की जो लिस्ट जारी की गई है, उसमें बड़ी संख्या में आईपीएस की जिम्मेदारी तय नहीं है। उन्हें पुलिस मुख्यालय अटैच किया गया है। अब ये डीजीपी की जिम्मेदारी है कि वे किससे क्या काम लें। लेकिन कुछ अफसरों को बिना कोई जिम्मेदारी दिए खाली बैठा दिया गया। और जब मिल बैठेंगे यार तो क्या होगा जल्द
स्पष्ट होगा।
गोंगपा के 10 उम्मीदवार
कांकेर छोडक़र छत्तीसगढ़ की अन्य सभी 10 सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिए हैं। इनमें कुछ प्रत्याशी आदिवासी समाज से भी नहीं हैं। जैसे रायपुर के लाल बहादुर यादव और महासमुंद के फरीद कुरैशी। प्राय: यह देखा गया है कि एक व्यक्ति की ओर से खड़ी की गई पार्टी संस्थापक के जाने के बाद दम तोडऩे लगती है। इसमें छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के ताराचंद साहू और अब जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अजीत जोगी को याद किया जा सकता है। मगर, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को उनके बेटे तुलेश्वर सिंह मरकाम जिंदा रखने में कामयाब रहे हैं। वे पाली-तानाखार सीट से कांग्रेस प्रत्याशी को 500 मतों के मामूली अंतर से ही सही, पराजित करने में सफल रहे। हीरासिंह मरकाम के रहते रहते यह पार्टी टूट भी गई। उनके कई सबसे विश्वसनीय साथियों ने अलग होकर राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी बना ली। उर्मिला मार्को उनका सारा काम देखती थीं। जिनको वे अपनी बेटी मानते थे, उसने अलग रास्ता चुन लिया। टूटे हुए लोग आदिवासी वोटों का बंटवारा करने में सफल रहे और पाली-तानाखार सीट से गोंगपा दोबारा कभी जीत नहीं पाई। मगर इस बार वहीं से विधानसभा में इस दल की मौजूदगी है। यहां से कई बार के विधायक रहे भाजपा, कांग्रेस फिर भाजपा में जाने वाले रामदयाल उइके को तीसरे स्थान पर धकेल दिया। गोंगपा की यह सफलता कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों से बड़ी है। कहा जाता है कि ये कभी कार्पोरेट से वसूली नहीं करते। इनके खाते में इलेक्टोरल बांड भी नहीं आता। चुनाव लडऩे के लिए ये अपने समाज के लोगों से ही चंदा लेते हैं। कार्यकर्ताओं को रोजाना प्रचार के लिए हजार-पांच सौ का भुगतान भी नहीं करते। जहां रुकें, वहीं गांव के लोग चावल-सब्जी बनाकर खिलाते हैं। इनकी सारी लड़ाई जल-जंगल-जमीन और आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए है, जिसकी आज बहुत ज्यादा जरूरत है। आज कांग्रेस-भाजपा के अलावा कोई तीसरा दल विधानसभा में है तो वह एकमात्र गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ही है।
राजसी होली...
देश में लोकतंत्र है, मगर राजसी विरासत की कई इलाकों में अब भी मान्यता है। इनमें से एक है बस्तर। राजपरिवार के कमल चंद्र भंजदेव होली पर इस तरह नगरभ्रमण के लिए निकले। यह एक परंपरा है, जिसे उन्होंने बरकरार रखा है। ([email protected])
- 27 मार्च : मुसलमानों को इल्म की राह दिखाने वाले सर सैयद अहमद खान की पुण्यतिथि
- नयी दिल्ली, 27 मार्च। साल के तीसरे महीने का 27वां दिन वर्ष का 86वां दिन हैं और लीप वर्ष होने पर यह साल का 87वां दिन होता है। अब साल के 279 दिन बाकी हैं। इतिहास में 27 मार्च का यह दिन कई अच्छी बुरी घटनाओं के साथ दर्ज है।
- 1898 में 27 मार्च ही वह दिन था जब देश के मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा के उजाले से रौशन करने वाले सर सैयद अहमद खान का निधन हुआ था। उर्दू साहित्य के ज्ञाता और कई भाषाओं के जानकार सर सैयद अहमद खान ने मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएण्टल कॉलेज की स्थापना की, जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित हुआ। आज यह विश्वविद्यालय विश्च में मुस्लिम शिक्षा के प्रतिष्ठित स्तंभ के तौर पर जाना जाता है, जहां दुनियाभर से लोग पठन पाठन और अध्ययन के लिए आते हैं।
- देश दुनिया के इतिहास में 27 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1668 : इंग्लैंड के शासक चार्ल्स द्वितीय ने बंबई (अब मुम्बई) को ईस्ट इंडिया कंपनी के हवाले किया।
- 1855 - अब्राहम गेस्नर ने केरोसिन (मिट्टी के तेल) का पेटेंट लिया।
- 1898 : भारत के मुसलमानों के लिए आधुनिक शिक्षा की शुरूआत करने वाले सर सैयद अहमद खान का निधन।
- 1977 : स्पेन के कनेरी द्वीपों के मशहूर पर्यटन स्थल टेनेरीफ में दो जंबो जेट हवाई पट्टी पर ही टकरा गए, जिससे 583 लोगों की मौत हो गई।
- 1990 : पश्चिम बंगाल के निंपुरा में एक यात्री बस के एक पुल से टकराकर नीचे गिरने के दौरान बिजली की तारों में अटक जाने से हुए भीषण धमाके में 41 लोगों की करंट लगने से मौत और 21 अन्य बुरी तरह झुलसे।
- 1998 : अमेरिका के खाद्य और औषधि प्रशासन ने दवा बनाने वाली कंपनी फाइजर की दवा वियाग्रा को नपुंसकता के इलाज की दवा के तौर पर इस्तेमाल करने को मंजूरी दी। 2010 : भारत ने ओडिशा के चांदीपुर में परमाणु प्रौद्योगिकी से लैस प्रक्षेपास्त्र धनुष और पृथ्वी 2 का सफल परीक्षण किया।
- 2011 : जापान के फुकुशिमा में भूकंप के बाद क्षतिग्रस्त परमाणु ऊर्जा संयंत्र की एक इकाई में रेडियोधर्मी विकिरण सामान्य से एक करोड़ गुना अधिक पाया गया।
- 2022: बहरीन में हिजाब पहने महिला को प्रवेश नहीं देने के आरोप में अदलिया शहर में स्थित भारतीय रेस्तरां ‘लैंटर्न्स’ को बंद किया गया। (भाषा)
सुरेंद्र दाऊ की नाराजगी का राज
राजनांदगांव में कांग्रेस के कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुरेन्द्र दाऊ ने अपनी भड़ास निकाली, तो पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी सकते में आ गए। चर्चा है कि सुरेन्द्र दाऊ की नाराजगी स्थानीय नेता नवाज खान, और गिरीश देवांगन से रही है।
सुनते हैं कि दाऊ पीएचई के कॉन्ट्रेक्टर रहे हैं। कांग्रेस सरकार में उन्होंने काफी काम भी किया था। मगर उनका बिल अटक गया। चर्चा है कि बिल अटकाने में पूर्व सीएम के करीबी लोगों का हाथ रहा है। यही नहीं, सुरेन्द्र दाऊ सीएम से मिलने की कोशिश की, तो गिरीश देवांगन ने उन्हें मिलवाने में कोई रुचि नहीं दिखाई। इससे उनका गुस्सा फट पड़ा।
बताते हैं कि सरकार बदलने के बाद ही उनका बिल पास हुआ है। इसमें कितनी सच्चाई है यह तो पता नहीं, लेकिन भूपेश बघेल उनसे काफी खफा हैं। उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। चर्चा है कि सुरेन्द्र दाऊ को जल्द ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
नाराजगी, दोनों तरफ से
चर्चा है कि भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत नाराज चल रहे हैं। भगत पहले विधानसभा की टिकट चाह रहे थे, और टिकट नहीं मिलने के बाद उन्हें रायगढ़ से लोकसभा टिकट की आस थी। लेकिन पार्टी ने उनकी दावेदारी को नजर अंदाज कर दिया। इसके बाद से भगत पार्टी की कई महत्वपूर्ण बैठकों में नहीं गए।
कहा जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन पिछले चार दिन तक प्रदेश दौरे पर थे। एक अहम बैठक में रवि भगत को भी आना था, लेकिन वो नहीं पहुंच पाए। चर्चा है कि नितिन नबीन ने इस पर नाराजगी जताई है, और उन्हें सख्त हिदायत देने के लिए कह दिया है। नबीन की नाराजगी का क्या कुछ असर होता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
विधायक खिलाफ हो गए
कांग्रेस की चार टिकट की घोषणा अभी बाकी है। इनमें से कांकेर से पूर्व प्रत्याशी विरेश ठाकुर की टिकट पहले पक्की मानी जा रही थी, लेकिन पार्टी के विधायक किसी नए को टिकट देने पर जोर दे रहे हैं। विरेश पिछला लोकसभा चुनाव करीब साढ़े 6 हजार वोट से हारे थे। कम वोटों से हार की वजह से प्रदेश के प्रमुख नेताओं ने उनके नाम पर सहमति दे दी थी। मगर अब पेंच फंस गया है।
कांकेर लोकसभा में चार विधायक हैं। चर्चा है कि चार में से तीन विधायकों ने विरेश की जगह किसी नए को टिकट देने की मांग की है। इस कड़ी में पूर्व मंत्री अनिला भेडिय़ा का नाम भी शामिल हो गया है। अनिला ने पार्टी हाईकमान को बता दिया है कि पार्टी टिकट दे तो वो चुनाव लडऩे के लिए तैयार है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम भी दौड़ में शामिल हो गए हैं। ऐसे में विरेश की टिकट पचड़े में पड़ गई है।
दूसरी तरफ, सरगुजा से शशि सिंह का नाम तकरीबन तय माना जा रहा था। मगर अब अमरजीत भगत ने भी ताल ठोक दी है। पार्टी के रणनीतिकार भी मानते हैं कि अमरजीत भगत चुनाव लड़ते हैं, तो संसाधनों की कमी नहीं रहेगी। यही वजह है कि सरगुजा से अमरजीत के नाम पर पुनर्विचार हो रहा है।
होली पर जल संकट की खबरें..
होली रंगों का त्योहार। बाल्टियों और ड्रमों में रंग घोल कर सराबोर हो जाने का का मौका। मगर रुकिए..। बेंगलुरु वह शहर है जहां देशभर के प्रतिभावान युवा आईटी सेक्टर में काम करते हैं। छत्तीसगढ़ से भी हजारों युवा वहां मौजूद हैं। अपना परिवार भी बसा चुके हैं। वहां पर होली की मस्ती फीकी पड़ गई है। होली पर होने वाले रेन डांस और पूल पार्टी पर रोक लगा दी गई है। गाडिय़ां धोने पर जुर्माना लगेगा। शहर भीषण जल संकट से जूझ रहा है। 10 बरस पहले जिन इलाकों में 200 फीट नीचे पानी मिल जाता था आज 1800 की खुदाई के बाद भी नहीं मिल रहा है। दक्षिण भारत के कई शहरों में पीने के लिए बोतल बंद पानी का इस्तेमाल हो रहा है। राजस्थान के कई शहरों का भी यही हाल है। वहां पर राजधानी जयपुर सहित कई बड़े शहरों में 200-300 किलोमीटर दूर की किसी नदी से पेयजल पहुंचाया जाता है।
अपने छत्तीसगढ़ की ही बात कर लें। बिलासपुर के बीचों-बीच अरपा नदी बहती है। जिस शहर की नदी ही उसकी सबसे बड़ी पहचान हो, वहां तो कोई जल संकट तो होना ही नहीं चाहिए। मगर, विडंबना है कि अरपा सूखी हुई है। इस वजह से अमृत मिशन योजना के तहत 40 किलोमीटर दूर खूंटाघाट बांध से पानी लाया जाएगा। इस बांध को खेतों में पानी पहुंचाने के लिए बनाया गया था। जल संसाधन विभाग और किसान लगातार बांध के पानी का बिलासपुर को पेयजल देने के लिए इस्तेमाल करने के फैसले के खिलाफ रहे। मगर सरकार के आदेशों के बाद लंबी पाइप लाइन बिछाकर यह व्यवस्था की जा रही है। आज ही की खबर है कि गंगरेल सहित प्रदेश के अधिकांश बांधों में जल भंडारण बेहद कम है। अभी मई, जून बाकी है और निस्तारी के लिए गांवों में अभी से पानी की मांग हो रही है। पानी हमारी बुनियादी जरूरत है। केवल होली मनाने में हो सकता है पानी बहुत कम खर्च होता हो लेकिन यह जल संकट के प्रति गंभीर होने का मौका है।
ताकि धर्मांतरण मुद्दा न बने..?
बस्तर संभाग की दो लोकसभा सीटों में काफी कशमकश के बाद कांग्रेस ने कोंटा के विधायक और पूर्व मंत्री कवासी लखमा को बस्तर से उम्मीदवार घोषित कर दिया है। कांकेर पर फैसला अभी भी रुका हुआ है।
दीपक बैज ने सन 2019 में करीब 4 दशकों से चल रही भाजपा की जीत का सिलसिला तोड़ा था। इस हिसाब से उनका दावा मजबूत था। यह जरूर है कि विधानसभा चुनाव में लडक़र उन्होंने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। वरना लखमा की दावेदारी को मजबूती नहीं मिलती। बैज की टिकट कटने के कारण को लेकर कुछ और अनुमान भी लगाए जा रहे हैं।
भाजपा ने काफी पहले बस्तर की दोनों ही सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। दोनों प्रत्याशी भोजराज नाग और महेश कश्यप हिंदुत्व की छवि वाले हैं और भाजपा के सहयोगी हिंदुत्व संगठनों से जुड़े रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने बस्तर में आदिवासियों के धर्मांतरण को एक बड़े मुद्दे के रूप में पेश किया था। नतीजे बताते हैं कि इसका उसे फायदा भी मिला। चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर कई भाजपा कार्यकर्ताओं के हैंडल पर दीपक बैज की ऐसी तस्वीर पोस्ट की गई जिसमें वे पादरी की वेशभूषा में दिख रहे थे। बैज की ओर से इसे तूल नहीं दिया गया। उन्होंने या कांग्रेस पार्टी ने कोई सफाई भी नहीं दी। कांग्रेस ने शायद यह सोचा हो कि भाजपा को फिर से धर्मांतरण को मुद्दा बनाने का मौका नहीं मिलना चाहिए।
महुआ बटोरने का मौसम..
महुआ वनों में बसे ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर साल करीब 200 करोड़ का महुआ फल संग्रहित किया जाता है। फ्रांस, यूके सहित कई देशों में भी यहां से महुआ का निर्यात होता है। जिस तरह जमीन जायदाद का परिवार में बंटवारा होता है ,वन क्षेत्र में ग्रामीण महुआ के पेड़ों को भी बांटते हैं। धार्मिक अनुष्ठानों में इसके फूलों का उपयोग होता है। कोई भी त्योहार या शुभ काम हो, महुआ के बिना अधूरा है। महुआ फूलों को चुनना सबसे कठिन काम है। रात में पेड़ों से महुआ फल या फूल झड़ते हैं और भोर से पहले पहुंचकर ग्रामीण इसे घंटों इक_ा करते हैं। मगर पिछले साल से एक तकनीक का इस्तेमाल भी कई जगहों पर होने लगा है। पेड़ के नीचे नेट बिछा दी जाती है। सुबह सारा महुआ एक साथ बटोर लिया जाता है। कुछ सरकारी योजनाओं के तहत नेट खरीदने के लिए अनुदान भी मिलता है। इसके बावजूद बहुत से परिवार पारंपरिक तरीके से ही महुआ बटोरना पसंद करते हैं।
गांधी के बाद की डायरियाँ
डायरी लेखन भी एक कला है,साहित्य लेखन की तरह। बेहतरीन डायरी लेखन के कई ख्याति प्राप्त उदाहरण है। कुछ डायरी तो जेल में भी लिखी गई। उसे देख, सुनकर कालांतर में कारोबारी, राजनेता भी डायरी मेंटेन करने लगे। लेकिन यह भी सच है कि नकल मारने भी अकल की जरूरत होती है। अकल न लगाया जाए तो डायरी के यही पन्ने जेल जाने का मार्ग प्रशस्त करते है। छत्तीसगढ़ के दो दर्जन से अधिक नेता, अफसर कारोबारी जेल जा चुके हैं और कई रास्ते में हैं। हम आज ऐसी दो डायरियों या उल्लेख कर रहे।
पहली कोल लेवी वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग और दूसरी सरगुजा के पुनर्वास पट्टे की। दोनों ही डायरियों में करोड़ों के लेनदेन का हिसाब लिखा गया है। लेखकों ने इतना बिंदास और सुस्पष्ट हिज्जों के साथ लिखा गया कि अनपढ़ भी पढ़ लें। फिर आयकर, ईडी अफसरों की क्या बिसात। कोल लेवी डायरी में तो तालिका बनाकर हिसाब लिखा गया। पन्ने के बाईं ओर देनदार का तो दाईं ओर देनदार का। यानी किससे लिया, किसको दिया साफ साफ।
सूची में अफसर, नेता, विधायक, कार्यकर्ता, पत्रकार और समाज के अन्य वर्ग के प्रमुख लेनदारों के नाम। दूसरी डायरी सरगुजा पुनर्वास पट्टा घोटाले की। किस बंगाली शरणार्थी की जमीन, किसके नाम से लिया, हल्का-खसरा, नामांकरण, बटांकन सब साफ-साफ। यही नहीं, एक सरकारी विभाग में भर्तियों में जो लेनदेन हुआ है उसका भी डायरी में हिसाब-किताब है। ये अलग बात है कि जांच के भय से पोस्टिंग ऑर्डर जारी नहीं हो पाए हैं। यानी डायरी से सीबीआई को काफी कुछ मसाला मिल सकता है, जो कि पीएससी घोटाले की जांच कर रही है। डायरियां अब राज उगल कर मुसीबत बन गई हैं।
बाकी सब नूरा कुश्ती
गीता पर हाथ रख कर लोग सच नहीं बोल पाते ऐसे लोगों से शराब सब सच बुलवा देती है। चाहे वह एक ही दल के नेता हे या परस्पर धुर दलीय विरोधी। वैसे राजनीति के कारोबार में कोई दुश्मन नहीं होता। इनके बीच मतभेद होते हैं मन भेद नहीं। सरकार किसी की भी रहे,ताली दोनों ही बजाते हैं। परसों रात राजधानी में जो देखा सुना उसका भी सार यही है। बी नाम से शुरू होने वाले जिले के एक निर्वाचित नेता जी सच बोल रहे थे। तरे गले की हालत में भगत सिंह चौक पर ये बताते हुए गर्व महसूस कर रहे थे कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय में भी उनकी हाउस में पूरी दखल थी। और आज तो अपनी ही सरकार है। इसी पिछले दरवाजे से अंदर जाते और छोडक़र बाहर आ जाते। इसलिए एक बात पुख्ता हो गई कि ये कारोबारी नेता एक ही राजनैतिक कारोबार के लोग है बाकी सब नूरा कुश्ती है।
महतारी और नारी के बीच टक्कर
इसके पहले हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 25 मार्च 2019 को कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि देश के 20 फीसदी गरीब परिवारों के खाते में 72 हजार रुपये हर वर्ष डाले जाएंगे। उन्होंने कहा था कि जब मोदी अमीरों के जेब में रुपये डाल सकते हैं तो कांग्रेस पार्टी भी गरीबों के खाते में डाल सकते हैं। यह आश्वासन छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के बाद का था, जिसमें किसानों की कर्ज माफी का वादा पूरा किया गया था।
कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान में यह घोषणा शामिल किया गया था। मगर, परिणाम आया तो इतिहास मे सबसे कम सीटें कांग्रेस को मिली। इसके बाद यह जरूर हुआ कि किसानों और गरीबों के खाते में भाजपा ने सीधे रकम डालने की योजना बनाई, जिसका किसान जन-धन योजना से लेकर महतारी वंदन योजना तक विस्तार हुआ। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस तरह की योजनाओं से परहेज रहा। उन्होंने अपने भाषणों में कई बार- मुफ्त की रेवड़ी का जिक्र किया।
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीपीएल परिवार की महिलाओं को एक-एक लाख रुपये सालाना देने का ऐलान किया है। इसे नारी न्याय योजना नाम दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव सचिन पायलट ने अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे घर-घर जाकर महिलाओं से इस योजना का फॉर्म भरवाएं। यह कार्यक्रम ठीक वैसा ही है, जैसा भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान चलाया था। भाजपा ने अपनी गारंटी की विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए घर-घर जाकर महतारी वंदन योजना के फॉर्म भरवाये। भाजपा ने महतारी वंदन का फॉर्म भरने का ऐलान नहीं किया था, पार्टी के निर्देश पर कार्यकर्ता खामोशी से काम कर रहे थे। उन्हें मालूम था कि यह प्रलोभन की श्रेणी में आता है। चुनाव आयोग में आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। ऐसा हुआ भी। कांग्रेस की शिकायतों के बाद कई जिलों में कार्रवाई हुई। फॉर्म भरने वाले कुछ भाजपा कार्यकर्ता गिरफ्तार भी किए गए।
कांग्रेस ने महतारी वंदन फॉर्म भरने की भाजपा की योजना को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना था। मगर अब वह खुले तौर पर नारी न्याय योजना का फॉर्म भरे जाने का ऐलान कर रही है। क्या भाजपा उसे ऐसा करने देगी?
कुदरत की चित्रकारी
छत्तीसगढ़ में बहुतायत मिलने वाले पलाश फागुन के दिनों में खिल उठते हैं। मैकल पर्वत श्रेणियों के नीचे और अचानकमार अभयारण्य से लगे खोंगसरा की सडक़ से गुजरते हुए इसकी बादशाही देखी जा सकती है।
लोकसभा की कब कितनी थी सीटें..?
अतीत पर नजर डालें तो कुछ दिलचस्प आंकड़े हमारे सामने आ जाते हैं। सन् 1951 में छत्तीसगढ़ में कुल सात लोकसभा सीटें थीं। सरगुजा और रायगढ़ मिलाकर एक लोकसभा सीट होती थी। बिलासपुर अलग सीट थी, बिलासपुर के कुछ हिस्सों को दुर्ग और रायपुर से जोडक़र तीसरी लोकसभा सीट बनाई गई थी। चौथी सीट थी महासमुंद, पांचवी सीट दुर्ग, छठवीं सीट में दुर्ग का कुछ हिस्सा और बस्तर और सातवीं सीट केवल बस्तर।
इस तरह से 1951 में कुल सात लोकसभा सीटें थीं। 1957 में सीटें थीं, दुर्ग, बस्तर, रायपुर, बलौदाबाजार, सरगुजा, जांजगीर और बिलासपुर। यानि इस बार भी सीटें सात रहीं। 1962 में सरगुजा, रायगढ़, दुर्ग, बस्तर, रायपुर, जांजगीर, महासमुंद, कांकेर, बिलासपुर और राजनांदगांव लोकसभा सीटें थीं। यानि सीटों की संख्या बढक़र 10 हो गईं। 1977 में सारंगढ़ अलग सीट बना दी गई, जिसके बाद सीटों की संख्या बढक़र 11 हो गई। यह सिलसिला 2009 के पहले तक चला। सीटों की संख्या 11 ही रही लेकिन सारंगढ़ विलुप्त हो गई। सरगुजा, रायगढ़, दुर्ग, जांजगीर, बिलासपुर, कोरबा, रायपुर, राजनांदगांव, महासमुंद, बस्तर और कांकेर सीटें तब से अब तक हैं। लगे हाथ बता दें कि सन् 1952 के पहले विधानसभा चुनाव में सेंट्रल प्रोविंस को मिलाकर छत्तीसगढ़ में कुल 184 सीटें थीं, जिसमें 232 विधायक चुने गए थे। विधायकों की संख्या सीटों से ज्यादा थी, क्योंकि कुछ पर दो-दो विधायकों का चुनाव हुआ था। नया परिसीमन 2026 में प्रस्तावित है, तब विधानसभा और लोकसभा सीटों में फेरबदल देखा जा सकता है।
महतारी के मुकाबले नारी
प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए भाजपा के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। मसलन, विधानसभा चुनाव में जिस तरह भाजपा ने महतारी वंदन योजना का फार्म भरवाकर माहौल को अपने पक्ष में कर लिया था, कुछ इसी तरह का फार्मूला कांग्रेस भी अपना रही है। यानी नारी न्याय योजना का फार्म भरवाकर कांग्रेस चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है।
प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने सभी प्रत्याशियों को सलाह दी है कि अधिक से अधिक महिलाओं को नारी न्याय योजना का फार्म भरने के लिए प्रेरित किया जाए। सभी प्रत्याशियों ने फार्म छपवाना भी शुरू कर दिया है। इस योजना के माध्यम से महिलाओं को 8333 रूपए प्रतिमाह उनके खाते पर जमा होंगे। वैसे तो विधानसभा चुनाव में कर्ज माफी, और महतारी वंदन योजना से ज्यादा राशि देने का वादा किया गया था। तब भी सरकार नहीं बना पाई। अब नारी न्याय योजना से कितना फायदा मिल पाता है, यह देखना है।
- 23 मार्च : भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को फांसी
- नयी दिल्ली, 23 मार्च। देश और दुनिया के इतिहास में वैसे तो कई महत्वपूर्ण घटनाएं 23 मार्च की तारीख पर दर्ज हैं....लेकिन भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज इस दिन की सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वर्ष 1931 में क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च को फांसी दी गई थी।
- देश-दुनिया के इतिहास में 23 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1880 : भारतीय स्वतंत्रता सेनानी बसंती देवी का जन्म।
- 1910: स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक एवं समाजवादी राजनेता डॉ राममनोहर लोहिया का जन्म।
- 1931: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी दी।
- 1940 : मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान प्रस्ताव को मंजूरी दी।
- 1956 : पाकिस्तान दुनिया का पहला इस्लामिक गणतंत्र देश बना।
- 1965: नासा ने पहली बार अंतरिक्ष यान ‘जेमिनी 3’ से दो व्यक्तियों को अंतरिक्ष में भेजा।
- 1986 : केन्द्रीय आरक्षी पुलिस बल की पहली महिला कंपनी दुर्गापुर शिविर में गठित की गई।
- 1987: बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत का जन्म।
- 1996: ताइवान में पहला प्रत्यक्ष राष्ट्रपति चुनाव हुआ, जिसमें ली तेंग हुई राष्ट्रपति बने।
- 2020: भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या 433 हुई और देश के ज्यादातर हिस्सों में लॉकडाउन लगाया गया। (भाषा)
भाजपा में शामिल होने के मानदंड...
इस समय प्रदेश के कई कांग्रेस नेताओं ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा की सदस्यता ले ली। यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। भाजपा ने चुनाव अभियान की शुरूआत में ही घोषित कर दिया था, जो आना चाहे उसका स्वागत किया जाएगा। दो दिन पहले नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने आरोप लगाया था कि प्रदेश भर में कांग्रेस नेताओं को डराया जा रहा है। उन पर भाजपा में शामिल होने के फोन करके दबाव बनाया जा रहा है। कोरबा के पूर्व विधायक जयसिंह अग्रवाल पर भी दबाव डाला जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज भी ऐसा ही आरोप लगा चुके हैं।
कोरबा में मंत्री लखन लाल देवांगन ने मीडिया से ‘डामर चोरी’ और अन्य आपराधिक मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि हम जयसिंह जैसे लोगों को क्यों पार्टी में लेना चाहेंगे?
पिछले दिसंबर में कोरबा सहित 70 विधानसभा सीटों पर दूसरे चरण में मतदान हुआ था। इन सीटों पर 958 उम्मीदवार थे, जिनमें से 10 प्रतिशत यानि करीब 100 के खिलाफ कोई न कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज था। इनमें कांग्रेस के 13 और भाजपा के 12 उम्मीदवार शामिल थे। जेसीसी और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की संख्या कम थी, पर उनके प्रत्याशियों के भी आपराधिक मामले थे। कांग्रेस के भूपेश बघेल, विकास उपाध्याय, देवेंद्र यादव, जयसिंह अग्रवाल और अटल श्रीवास्तव तो भाजपा के राजेश मूणत, दयाल दास बघेल, सौरभ सिंह और ओपी चौधरी कुछ प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने नामांकन में अपने अपने खिलाफ दर्ज मामलों का उल्लेख किया था। जयसिंह अग्रवाल के खिलाफ सन् 2023 की घोषणा के मुताबिक 12 मामले हैं। सभी में जमानत मिली हुई है, किसी में भी सुनवाई पूरी नहीं हुई है, यानि सजा भी नहीं हुई है। तीन साल पहले उनको हाईकोर्ट से एट्रोसिटी एक्ट में राहत मिली थी। अधिकांश मामले तब के हैं जब प्रदेश में भाजपा का शासन था।
दोनों दलों के एफआईआर कुछ राजनीतिक आंदोलनों के हैं तो कुछ उनके व्यवसाय से संबंधित। मगर किसी कार्यकर्ता का जनाधार है तो कोई भी पार्टी हो, उसे अपने साथ रखती है, टिकट भी देती है और मंत्री भी बनाती है। इसलिये यह मानना कि केवल आपराधिक मामलों के कारण किसी दूसरे दल के नेता को भाजपा नहीं लेना चाहती, ऐसा नही हैं। प्राय: इसके कुछ दूसरे राजनीतिक कारण होते हैं।
बेटियों को शिवराज की बधाई
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्विटर पर कल एक पोस्ट कर छत्तीसगढ़ की बेटियों से हुई मुलाकात का जिक्र किया है। वे छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में गंजबसौदा से भोपाल वपास हो रहे थे तब उनकी मुलाकात वेटलिफ्टर सोनाली यदु और एकता बंजारे से हुई। दोनों ने हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में आयोजित खेलो इंडिया वेटलिफ्टिंग लीग से भाग लेकर लौट रही हैं। उन्होंने कहा- सोनाली ने स्वर्ण पदक और एकता ने कांस्य पदक जीतकर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया।
- देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आज ही के दिन लगाया गया था ‘जनता कर्फ्यू’
- नयी दिल्ली, 22 मार्च। इतिहास में 22 मार्च की तारीख पर कई महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2020 में इसी दिन कोविड-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए ‘जनता कर्फ्यू’ लगाने का ऐलान किया था।
- सदियों पहले इसी दिन मुगलों की राजधानी दिल्ली में फारस की सेना ने कत्लेआम किया था। दरअसल, मार्च 1739 में फारस (अब ईरान) के बादशाह नादिर शाह ने भारत पर हमला कर दिया और करनाल में हुई लड़ाई में मुगलिया सेना की बुरी तरह हार हुई थी।
- मुगलों की हार के बाद नादिर शाह का दिल्ली पर कब्जा हो गया। वह अपने लाव लश्कर के साथ लालकिले पर पहुंचा तो यहां दंगे भड़क गए और लोगों ने उसकी सेना के कई सिपाहियों को मार दिया। इससे गुस्साए नादिर शाह ने दिल्ली में ‘कत्लेआम’ का आदेश दिया और आज की पुरानी दिल्ली के कई इलाकों में उसकी फौज ने आम लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस घटना को इतिहास में ‘कत्ले आम’ के तौर पर जाना जाता है।
- देश-दुनिया के इतिहास में 22 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1739: ईरान के बादशाह नादिर शाह ने अपनी फौज को दिल्ली में नरसंहार का हुक्म दिया। इसे इतिहास में ‘कत्लेआम’ के नाम से जाना जाता है।
- 1890: रामचंद्र चटर्जी पैराशूट से उतरने वाले पहले भारतीय व्यक्ति बने।
- 1894: चटगांव विद्रोह का नेतृत्व करने वाले महान क्रांतिकारी सूर्य सेन का जन्म।
- 1942 : सर स्टैफर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में क्रिप्स मिशन भारत पहुंचा। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी नौसेना और वायुसेना ने पोर्ट ब्लेयर में कदम रखा।
- 1947: लॉर्ड माउंटबेटन आखिरी वायसराय के तौर पर भारत आए।
- 1964 : कलकत्ता में पहली विंटेज कार रैली का आयोजन।
- 1969: भारतीय पेट्रोकेमिकल्स निगम लिमिटेड का उद्घाटन।
- 1977 : आपातकाल के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त हार के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा।
- 1993: पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया।
- 2000: फ्रेंच गुयाना के कौरू से ‘इनसैट 3 बी’ का प्रक्षेपण।
- 2020: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए ‘जनता कर्फ्यू’ लगाने की घोषणा की। (भाषा)
राजीव भवन तक !!
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रभारी महामंत्री अरुण सिसोदिया की उस चि_ी से पार्टी में खलबली मची हुई है, जिसमें उन्होंने कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल पर प्रदेश अध्यक्ष की अनुमति के बिना विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी को 5 करोड़ 89 लाख भुगतान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसे गबन करार दिया है।
सिसोदिया के आरोप से कांग्रेस के दिग्गज चिंतित भी हैं। वजह यह है कि विनोद वर्मा पर महादेव ऑनलाईन सट्टा केस में संलिप्तता के आरोप हैं, और उन्हें सटोरियों से कथित तौर पर 5 करोड़ मिलने की बात भी ईडी की जांच में आई है। पार्टी संगठन के नेता इस बात से सशंकित हैं कि विनोद वर्मा के बहाने कहीं ईडी राजीव भवन में दाखिल न हो जाए।
वजह यह है कि रामगोपाल अग्रवाल मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे हुए हैं, और वो फरार हैं। ईडी धमतरी स्थित उनके निवास पर दस्तक भी दे चुके हैं। विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी से जुड़े करार भी सार्वजनिक हो चुके हैं। एक विज्ञापन एजेंसी पर भी ईडी का छापा पड़ चुका है, और कांग्रेस के विज्ञापन विनोद वर्मा से ही जुड़े हुए थे। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि जांच एजेंसियां कुछ कांग्रेस नेताओं को पूछताछ के लिए बुला सकती है। क्या वाकई ऐसा होगा, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
भाजपा में भी भडक़े कार्यकर्ता
नांदगांव में मंच पर भूपेश को खरी खरी के ताप से कांग्रेस झुलसी हुई है। और भाजपा में भी पूर्व विधायक को भी सुननी पड़ी। नेताजी जनसंपर्क की कड़ी में हाल ही में मस्तूरी गए थे। वहां एक जनपद सदस्य ने सबके सामने भड़ास निकाली। सदस्य का कहना था कि चुनाव के दौरान प्रत्याशी मदद मांगने आते हैं। पार्टी के सिपाही हैं, इसलिए काम भी करते हैं। इसके बाद कोई झांकने भी नहीं आता। जनपद सदस्य का इशारा पूर्व सांसद की ओर था। दरअसल, बिलासपुर क्षेत्र के दावेदारों ने इस बार पूरी कोशिश की कि टिकट उन्हें मिले, लेकिन फिर से मुंगेली को ही महत्व दिया गया। इधर भाजपा ने चौथी बार मुंगेली क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रत्याशी तय किया है।
मदद करने वालों के सम्मान में..
सडक़ दुर्घटना में घायल लोगों को बचाने की हर किसी को कोशिश करनी चाहिए। इससे पीडि़तों की कीमती जान बचाई जा सकती है। मगर ज्यादातर लोग भीड़ का हिस्सा होते हैं, या अनदेखी कर आगे बढ़ जाते हैं। पहले मददगार सामने इसलिये नहीं आते थे क्योंकि उन्हें बयान और गवाही के लिए पुलिस चक्कर लगवाएगी। मगर, अब यह प्रावधान यह है कि कोई व्यक्ति किसी घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसे कोई परेशान नहीं करेगा। पुलिस अब ऐसे लोगों को सम्मानित भी कर रही है। रायपुर पुलिस ने एक कदम आगे और बढ़ाते हुए नया प्रयोग किया है। बिलबोर्ड और होर्डिंग में इन मददगारों की फोटो लगाकर सम्मान दिया गया है ताकि दूसरे लोग प्रेरित हों।
त्यौहार के बाद प्रचार
पहले चरण में छत्तीसगढ़ की एकमात्र सीट बस्तर के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई है। पर पहले दिन किसी ने नामांकन पत्र नहीं खरीदा है। इस बीच होली आ रही है। इस बीच होली आ रही है। इसके पहले कुछ नामांकन पत्र जरूर खरीद लिए जाएं लेकिन दाखिला त्यौहार के बाद ही होने की उम्मीद है। पहले चरण में नामांकन 27 मार्च तक भरा जाना है और 30 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकते हैं। मतदान 19 अप्रैल को होगा। इसलिये प्रचार के लिए काफी वक्त मिलेगा। बस्तर, कांकेर दोनों सीटों पर पिछली बार कांटे का मुकाबला था, जिसमें से एक कांग्रेस के पास और दूसरी भाजपा के पास आई थी। इसलिये दोनों ही दलों के स्टार प्रचारक यहीं से छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर सकते हैं। उम्मीद की जा रही है मतदान के कुछ पहले यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा की ओर से और राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी कांग्रेस की ओर से प्रचार के लिए आ सकते हैं।
बहरहाल लोकसभा चुनाव का असर त्योहार पर दिखाई दे ही रहा है। बाजार में मोदी, राहुल गांधी, योगी आदित्यनाथ आदि के मुखौटे और तरह-तरह की पिचकारियां दिखने लगी हैं।
- 21 मार्च : आपातकाल का अंत
- नयी दिल्ली, 21 मार्च। 21 मार्च की तारीख इतिहास में एक बड़ी घटना की गवाह है। दरअसल 1977 में इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में लागू आपातकाल को हटाने का ऐलान किया था।
- वर्ष 1975 में 25 जून की आधी रात को आपातकाल की घोषणा कर दी गई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा गांधी के अनुरोध पर धारा 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी। इसे आजाद भारत का सबसे विवादास्पद दौर भी माना जाता है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने तो इसे भारतीय इतिहास की सबसे 'काली अवधि' की संज्ञा दी थी।
- इस दिन से जुड़ी अन्य घटनाओं की बात करें तो हिंदी सिनेमा के प्रतिष्ठित फिल्मफेयर पुरस्कार की शुरूआत भी 21 मार्च के दिन ही हुई थी। पहले पुरस्कार वितरण समारोह में सिर्फ पांच श्रेणी के पुरस्कार रखे गए थे, जिसमें फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता।
- देश-दुनिया के इतिहास में 21 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1413: हेनरी पंचम को इंग्लैंड का राजा बनाया गया।
- 1791: ब्रिटिश सेना ने बेंगलुरू को टीपू सुल्तान से छीन लिया।
- 1836: कोलकाता में पहले सार्वजनिक पुस्तकालय की शुरुआत, अब इसका नाम ‘नेशनल लाइब्रेरी’ है।
- 1857: जापान की राजधानी तोक्यो में आए विध्वंसक भूकंप में लगभग एक लाख सात हजार लोगों की मौत हो गई।
- 1858: लखनऊ में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की मशाल जलाने वाले सिपाहियों ने आत्मसमर्पण किया।
- 1954 : पहले फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह का आयोजन।
- 1916 : शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खां का जन्म।
- 1977 : जून 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल को समाप्त किया गया।
- 1978: बॉलीवुड अभिनेत्री रानी मुखर्जी का जन्मए।
- 2006 : ट्विटर के सह संस्थापक जैक डोर्सी ने पहला सार्वजनिक ट्वीट भेजा, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘‘जस्ट सेटिंग अप माई ट्विटर।’’
- 2020 : कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 283 पर पहुंची। (भाषा)
पहले प्रवेश, फिर इस्तीफा
चुनाव के बीच दलबदल का खेल भी चल रहा है। कांग्रेस के सरगुजा संभाग के वार रूम प्रभारी अमर गिदवानी, बृजमोहन अग्रवाल से किसी काम से मिलने गए, तो उन्हें गमछा पहनाकर भाजपा प्रवेश करा दिया। फिर गिदवानी ने भाजपा के चुनाव दफ्तर में बैठकर कांग्रेस से अपना इस्तीफा टाइप करवाया।
गिदवानी व्यापारी नेता हैं, और कैट के चेयरमैन भी हैं। यही वजह है कि उन्हें आसानी से भाजपा में प्रवेश मिल गया। मगर कई ऐसे नेता भी हैं जो भाजपा में आना चाहते हैं, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। इन्हीं में से झीरम घाटी नक्सल हमले में घायल एक नेता पिछले कुछ समय से भाजपा में आने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।
चर्चा है कि उक्त कांग्रेस नेता को भाजपा में शामिल करने के प्रस्ताव पर पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने आपत्ति की है। खास बात यह है कि चंद्राकर को दूसरे दलों से आने के इच्छुक नेताओं की छानबीन के लिए बनी कमेटी के चेयरमैन हैं। यानी अजय चंद्राकर समिति की अनुशंसा पर ही किसी को भाजपा में शामिल किया जा सकता है।
उक्त कांग्रेस नेता को लेकर अजय चंद्राकर की आपत्ति इस बात पर है कि वो कई बार दलबदल चुके हैं। ऐसे में उन्हें भाजपा में शामिल नहीं करना चाहिए। साफ है कि अब पार्टी के प्रति निष्ठा दिखने पर ही प्रवेश दिया जा सकता है।
बृहस्पति सिंह का क्या होगा
आखिरकार निलंबित पूर्व विधायक डॉ. विनय जायसवाल, और बिलासपुर मेयर रामशरण यादव की कांग्रेस में वापसी हो गई है, लेकिन बृहस्पति सिंह को पार्टी में प्रवेश देने का मामला पचड़े में पड़ गया है। बृहस्पति सिंह ने टीएस सिंहदेव, और सुश्री सैलजा पर गंभीर आरोप लगा दिए थे। वो सुलह सफाई के लिए तैयार हैं, और कांग्रेस वापसी चाहते हैं। मगर सिंहदेव इसके लिए तैयार नहीं है।
चर्चा है कि सिंहदेव ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि बृहस्पति सिंह की वापसी की दशा में वो अन्य विकल्प तलाश सकते हैं। सिंहदेव, बृहस्पति सिंह को माफ करने के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि बृहस्पति सिंह की वापसी रूक गई है। हालांकि कई और प्रमुख नेता, बृहस्पति सिंह के लिए कोशिशें कर रहे हैं। देखना है आगे क्या होता है।
अभी लंबा इंतजार
विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह था। बड़ी संख्या में ऐसे जुनूनी कार्यकर्ता थे, जो उम्मीद लगाए बैठे थे कि लोकसभा से पहले उन्हें कोई न कोई निगम मंडल मिल ही जाएगा।
लेकिन संगठन ने तो कुछ और ही सोच के रखा था। सब कार्यकर्ता-पदाधिकारियों को लोकसभा में लगा दिया। ठाकरे परिसर की एक बैठकी में कुछ नए कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा चल रही थी कि लोकसभा चुनाव के बाद निगम-मंडल का बंटवारा होगा। पास ही बैठे एक सियान नेता ने अपना अनुभव बताकर सबको मायूस कर दिया। नेता ने बताया कि लोकसभा के बाद नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव होंगे। इसके बाद ही कुछ हो सकता है। यानी अभी लंबा इंतजार करना होगा।
चुनाव के बाद फिर लौटेंगे
पुलिस अधिकारियों के तबादले में संशोधन को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही है। जिस पैमाने पर तबादले हुए हैं, उससे उन अधिकारियों की हिम्मत बंधी है, जो सुकमा, दंतेवाड़ा भेजे गए थे। इनमें कुछ के तबादले रद्द हो गए हैं, लेकिन कुछ के रद्द नहीं हुए हैं। तबादलों में संशोधन के बाद जो संदेश गया है, वह यह है कि चुनाव के बाद संशोधन की गुंजाइश बनी हुई है।
बघेल पर अपनों के हमले
लोकसभा चुनाव में राजनांदगांव के प्रत्याशी बनाए गए भूपेश बघेल के खिलाफ पिछले दो दिनों के भीतर पार्टी के भीतर ही दो बड़े हमले हो गए। रायपुर में पूर्व प्रभारी महामंत्री अरुण सिसोदिया ने बघेल के सलाहकार विनोद वर्मा पर कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के साथ मिलीभगत कर पार्टी फंड के करोड़ों रुपए की गड़बड़ी का आरोप लगाया। दूसरी तरफ राजनांदगांव में प्रचार के लिए पहुंचे बघेल के सामने ही मंच से जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुरेंद्र वैष्णव ने पिछली कांग्रेस सरकार और सीधे बघेल पर ही मंच से हमला बोल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यकर्ताओं का सीएम से मिलना मुश्किल था। उनका छोटा मोटा काम भी नहीं होता था।
ये दोनों हमले बीजेपी और जांच एजेंसियों की ओर से खड़ी की जा रही मुसीबतों से अलग है। कहा नहीं जा सकता कि यदि बघेल लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं होते तो क्या परिस्थितियां अलग होती। उनके लिए राहत की बात यह ज़रूर है कि संगठन और नेतृत्व उनके साथ खड़ा दिख रहा है। पर जिन कार्यकर्ताओं की बदौलत चुनाव जीता जाता हैए उनकी मन:स्थिति को टटोलना मुश्किल है।
कोरबा महापौर पर संकट
प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद कांग्रेस को नई.नई मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। ठीक लोकसभा चुनाव के पहले कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद का अन्य पिछड़ा वर्ग जाति प्रमाण पत्र जिला स्तरीय जाति छानबीन समिति ने निलंबित कर दिया है। उनके प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत कांग्रेस के शासन काल में की गई थीए मगर जांच रुकी हुई थी। अभी भी प्रमाण पत्र निरस्त नहीं किया गया है बल्कि निलंबित है। ओबीसी कोटे से किसी तरह का लाभ लेने से उन्हें मना कर दिया गया है। अब भाजपा पार्षद उनके निर्वाचन निरस्त करने की मांग उठा रहे हैं। महापौर पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के करीबी माने जाते हैं।
हाल के दिनों में जिला और प्रदेश स्तर के कई कांग्रेस नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं। ठीक लोकसभा चुनाव के दिनों में जाति छानबीन समिति का यह आदेश बहुत कुछ इशारे करता है।
- बैटरी बनाने की तकनीक पेश कर वोल्टा ने विज्ञान की दुनिया में मचाई धूम
- नयी दिल्ली, 20 मार्च। बैटरी के बिना आधुनिक जीवन की कल्पना संभव नहीं है। रोजमर्रा के काम में तरह-तरह की बैटरियों का इस्तेमाल किया जाता है। बैटरी से जुड़े इतिहास की बात करें तो इटली के महान वैज्ञानिक अलेसांद्रो वोल्टा ने 20 मार्च के दिन ही विश्व समुदाय को बैटरी के विकास से जुड़ी इस खोज के बारे में पहली बार बताया।
- वोल्टा ने तांबे और जिंक की छड़ों को कांच के दो मर्तबानों में रखकर उन्हें नमक के पानी से भीगे एक तार से जोड़कर साबित किया कि इस भौतिक तरीके से बिजली बन सकती है।
- देश दुनिया के इतिहास में 20 मार्च की तारीख पर दर्ज प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1351 : मोहम्मद तुगलक शाह द्वितीय का सूरत में निधन।
- 1602 : यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ नीदरलैंड की स्थापना।
- 1615 : मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज़ महल के सबसे बड़े पुत्र दारा शिकोह का जन्म।
- 1739 : नादिरशाह ने दिल्ली की सल्तनत पर कब्ज़ा किया। मयूर सिंहासन के गहने चोरी किये।
- 1800 : अलेसांद्रों वोल्टा ने इलेक्ट्रिक बैटरी की खोज के बारे में सूचना दी।
- 1916: अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत का प्रकाशन।
- 1952: टेनिस खिलाड़ी आनंद अमृतराज का जन्म।
- 1956: ट्यूनीशिया को फ्रांस से स्वतंत्रता मिली।
- 1970: संविधान सभा के सदस्य और प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी जयपाल सिंह मुंडा का निधन।
- 2006 : अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने दावा किया कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में है।
- 2014: लेखक पत्रकार खुशवंत सिंह का निधन।
- 2016: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा क्यूबा पहुंचे।
- 2021: भारतीय क्रिकेट टीम ने अहमदाबाद में इंग्लैंड को 36 रन से हराकर पांच मैच की टी-20 सीरीज़ पर 3-2 से कब्जा किया।
- 2022: वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय जनता दल में विलय किया। (भाषा)