राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : दो आईपीएस की दिल्ली की राह
23-Jun-2024 4:34 PM
राजपथ-जनपथ : दो आईपीएस की दिल्ली की राह

दो आईपीएस की दिल्ली की राह

बस्तर आईजी सुंदरराज पी और पीएचक्यू में डीआईजी डी श्रवण, केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं। सुंदरराज की पोस्टिंग हैदराबाद पुलिस अकादमी में हो सकती है। सुंदरराज करीब 7 साल से अधिक समय से बस्तर इलाके में पोस्टेड हैं। इससे पहले वो कांकेर में डीआईजी, और फिर बस्तर में आईजी बनाए गए।

सुंदरराज बस्तर में सबसे ज्यादा समय तक काम करने वाले अफसर हैं। उनके प्रयासों से बस्तर में नक्सल गतिविधियों में भारी कमी आई है।  राज्य पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षाबलों के बीच तालमेल बेहतर हुआ। उनकी काबिलियत को देखकर ही चुनाव आयोग ने उन्हें वहां बनाए रखने पर सहमति दी थी। जबकि एक ही जगह पर 3 साल से अधिक समय से जमे अफसरों को हटाने का आदेश दिया गया था।

इसी तरह पीएचक्यू में पोस्टेड डीआईजी डी श्रवण की प्रतिनियुक्ति को राज्य सरकार ने मंजूर कर लिया है। आईपीएस के 2008 बैच के अफसर श्रवण की पोस्टिंग आईबी में हो सकती है। इन सब वजहों से आईजी और एसपी स्तर के कुछ अफसरों को इधर से उधर किया जा सकता है।

24 वर्ष में पांच अवर सचिव 

छत्तीसगढ़ राज्य को बने 24 वर्ष हो गए। इस दौरान पांच मुख्य मंत्री, पांच गृह मंत्री, आधा दर्जन से अधिक मुख्य सचिव, एक दर्जन से अधिक एसीएस, पीएस गृह सचिव हुए, आधा दर्जन से अधिक डीजीपी बने। ये हम इसलिए गिना रहे कि सभी बड़े पदों पर बदलाव होता रहा। लेकिन नहीं बदले तो गृह विभाग में अवर सचिव। इन 24 वर्ष में मात्र पांच ही अवर सचिव हुए हैं। जो भी रहे अधिकांश रिटायर होकर ही निकले।  यह कुर्सी का महत्तम है या बैठने वाले की सेटिंग। एक बार बैठ गए तो उठे नहीं। इनमें एक रिटायर होने के कुछ पहले ही हटाये गए। तो दूसरे का तबादला किया गया लेकिन जिन हाथों से हुआ उन्ही ने निरस्त भी किया। इन अवर सचिव ने बने रहने एड़ी चोटी लगा दी। सफल रहे और अब कम से कम बारह वर्ष बाद 30 जून को रिटायर होने जा रहे हैं। ग्रेड वन से एसओ और अवर सचिव तक गृह विभाग में ही जमे रहे।अब इस कुर्सी के लिए नए दावेदार जोर लगा रहे। इसके विपरीत जीएडी के आईएएस सेक्शन में अवर सचिव बदलते ही रहे।

नॉर्थ ब्लॉक की लॉबी और छोटे राज्य

सेंट्रल डेपुटेशन में नार्थ, साउथ ब्लाक, शास्त्री भवन में टिके रहना छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य के अफसरों के लिए आसान नहीं। जो टिक गया वो दशक डेढ़ दशक रह जाता और नहीं तो वापसी की तैयारी करने लगता है। उत्तर और दक्षिण भारत के अफसरों की लॉबी, छोटे राज्यों के अफसरों की बड़ी पोस्टिंग पसंद नहीं करते। वे अड़ंगे लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्हें तो, अपने मातहत, संयुक्त सचिव, डायरेक्टर जैसे पदों पर असिस्टेंट चाहिए होते हैं । इसी सोच की वजह से नीट का मामला उजागर हुआ। एनटीए के डीजी सुबोध सिंह की वापसी नहीं तो, वहां से कल देर रात हटा दिए गए।

उनकी सेवाएं डीओपीटी को लौटा दी गई है। इससे पहले निधि छिब्बर के साथ भी लॉबी ने किया। वार्षिक परीक्षाओं से ठीक  पहले मैडम को सीबीएसई के चेयरमैन नीति आयोग में शिफ्ट कर दी गई। छिब्बर , पहले रक्षा विभाग फिर सीबीएसई चेयरमेन नियुक्त हुईं। चेयरमैन के पद पर तो सबसे कम अवधि रहीं।

जेसीसी में जान कौन फूंकेगा?

पूर्व विधायक अमित जोगी और उनकी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की एक बार फिर चर्चा निकल पड़ी है। एक सोशल मीडिया पोस्ट में अमित जोगी ने कहा है कि लोग यह भ्रम न पालें कि जोगी परिवार भाजपा सरकार का कृपा पात्र होगा। रायपुर का सागौन बंगला और बिलासपुर का मरवाही सदन दोनों ही खाली कर दिए गए हैं।

जोगी के निधन के बाद हुए मरवाही उप चुनाव में परिस्थितियां ऐसी बनीं कि जेसीसी ने भाजपा प्रत्याशी को समर्थन दे दिया। वे नहीं जीत पाए लेकिन उसके बाद 2023 के विधानसभा चुनाव में मरवाही में पार्टी की मौजूदगी का असर ऐसा रहा कि राज्य बनने के बाद पहली बार वहां से भाजपा के हाथ में सीट आ गई। लोकसभा चुनाव से पहले जब अमित जोगी केंद्रीय गृह मंत्री से ‘सौजन्य मुलाकात’ करके लौटे तब चर्चा थी कि भाजपा उनके जनाधार का कुछ फायदा उठाएगी, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस पोस्ट के बाद अब भाजपा से दूरी अधिक स्पष्ट हो गई है।

पोस्ट में कांग्रेस के प्रति थोड़ा झुकाव भी दिख रहा है। उन्होंने अपनी लड़ाई को कांग्रेस नहीं, इसे ‘प्राइवेट फर्म बनाने वाले नेता’ के खिलाफ बताया है। कहा है कि सांप्रदायिकता और खनिज संसाधनों को बेचने के विरोध में वे दोनों राष्ट्रीय दलों के खिलाफ 5 साल तक लड़ेंगे।

पार्टी के अधिकांश संस्थापक, सदस्य विधायक और पूर्व विधायक, स्व. जोगी के बाद एक-एक करके पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें से कुछ लोगों ने अमित जोगी के व्यवहार को पार्टी छोडऩे का कारण बताया। विधानसभा चुनाव से पहले एक चर्चा यह थी कांग्रेस और जोगी कांग्रेस के बीच कुछ मध्यस्थता कराई जा रही है। मगर, बात तब नहीं बनी, जब अमित जोगी को लेने पर कई लोगों ने ऐतराज जताया। बीते विधानसभा चुनाव में यह तय हो गया कि पार्टी का जनाधार तेजी से घट चुका है। पाटन सीट से अमित जोगी ने प्रत्याशी बदल दिया और खुद मैदान में उतरे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हराने के लिए, लेकिन अमित जोगी उम्मीद से काफी कम वोट ले पाए। सन् 2018 में बेहद कम मार्जिन से हारने वालीं ऋचा जोगी को भी 2023 में निराशा हाथ लगी।

ऐसी स्थिति में अमित जोगी ने घोषणा कर दी है कि वे पार्टी अध्यक्ष नहीं रहेंगे। जोगी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष बनेगा। कई लोग इस कदम को जिम्मेदारी से बच निकलने का एक सुविधाजनक रास्ता मान सकते हैं, पर हो सकता है कि पार्टी फिर खड़ी हो जाए। तब उन्हें कांग्रेस और बीजेपी वाले एक दूसरे की ‘बी’ टीम बताना बंद कर देंगे।

फसल और मौसम का अनुमान

धान बोने की शुरुआत हो रही है। ऐसे में आप किसी-किसी आंगन में ऐसी तैयारी देख सकते हैं।  किसान अच्छी फसल और मौसम का अनुमान लगाने के लिए तीन दिनों के लिए गोबर से पांच गोल कटोरे की आकृतियां बनाते हैं, जिसे ढाबा कहते हैं। इनमें से तीन को पानी और दो को बीज से भरा जाता है। पानी से भरे कटोरे आषाढ़, सावन, भादों के प्रतीक होते हैं। ताकि आने वाले तीन माह खेतों मे वर्षा अधिक हो और फसलों को पानी मिल सके। अगर इन तीनों कटोरे मे से किसी भी एक कटोरे मे इन तीन दिनों में पानी कम होता है तो यह माना जाता है के उस माह में पानी कम गिरेगा। बाकी दो कटोरे बीज से भरे होते हैं, जिन्हें कोठी का प्रतीक माना जाता है। कहीं-कहीं मिट्टी के नए घड़े में पानी भरकर उसे मिट्टी के ढेले पर भी रख दिया जाता है। ([email protected])

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