राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कांग्रेस अब तक उबरी नहीं
22-Jun-2024 4:51 PM
राजपथ-जनपथ : कांग्रेस अब तक उबरी नहीं

कांग्रेस अब तक उबरी नहीं

विधानसभा, और लोकसभा चुनाव में बुरी हार से कांग्रेस अब तक उबर नहीं पाई है। कई नेता तो लोकसभा चुनाव से पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। कुछ बड़े नेताओं ने पार्टी की गतिविधियों में हिस्सा लेना बंद कर दिया है। इसका नतीजा यह हुआ कि शुक्रवार को नीट परीक्षा में धांधली के विरोध में प्रदेश स्तरीय धरना-प्रदर्शन में कुल सवा सौ लोग ही जुट पाए।

इन सबके बीच चर्चा यह है कि चुनाव के बीच में ही कांग्रेस के एक बड़े नेता ने पार्टी छोडऩे का मन बना लिया था। कहा जा रहा है कि वो भाजपा सरकार के मुखिया के संपर्क में भी थे। मगर भाजपा के रणनीतिकारों ने नफा-नुकसान का आंकलन कर आगे बात नहीं बढ़ाई और नेताजी का भाजपा प्रवेश रह गया। कुछ इसी तरह विधानसभा लड़ चुके एक व्यक्ति को भी भाजपा में  लाने की तैयारी थी लेकिन भाजपा के अंदर खाने में इस पर सहमति नहीं बन पाई।  हालांकि कुछ लोगों का अंदाज है कि नगरीय निकाय चुनाव के पहले कांग्रेस में तोडफ़ोड़ हो सकती है। देखना है आगे क्या होता है।

दो कि़स्म के त्रिकोण 

भाजपा के तीन नेताओं की दोस्ती और तीन अन्य के बीच मनमुटाव की चर्चाएं पार्टी हलकों में चटखारे के साथ होने लगी हैं। हैं भी मजेदार । पहले बात दोस्ती की कर लें।इन तीन में से एक नेता दक्षिणी छोर,दूसरे मध्य क्षेत्र और तीसरे मध्य उत्तर-इलाके से आते हैं। तीनों नेता जब राजधानी में होते हैं तो रोजाना रात, किसी न किसी के घर जुटते हैं। किसी के घर के लॉन में साफ्ट बॉल से तीनों क्रिकेट खेलते हैं। अगले दिन दूसरे के घर जाने पर हल्के से म्यूजिक के साथ सिर पर प्याला रख बैलेंसिंग डांस कॉम्पिटिशन करते हैं ।

अब बात मनमुटाव वाले नेताओं की । ये लोग एक दूसरे पर शक करते हुए एक दूसरे की पोल खोलने में लगे रहते हैं। इनमें एक राजधानी के, दो पड़ोसी जिले के रहवासी हैं। एक ने दूसरे के स्कार्पियो पर उंगली उठाई तो ये, पहले वाले के रेत से तेल निकालने के कारोबार को प्रचारित करने कोई कसर नहीं छोड़ रहे। छ माह के भीतर  ही हो रहे ऐसे किस्सों से भाई साहब लोग हतप्रभ और परेशान हैं। देखना है कि क्या रास्ता निकालते हैं।

एसडीएम तक पहुंची एसीबी

एंटी करप्शन ब्यूरो ने सरगुजा जिले के उदयपुर में जिन चार लोगों को घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है, उनमें एसडीएम भागीरथी खांडे भी शामिल हैं। खांडे ने रिश्वत अपने हाथ में नहीं ली थी, एक को लेने कहा, जब उसने ले लिया तो दूसरे को रख लेने के लिए कहा। इस घटना ने 9 साल पुरानी एक घटना की याद दिला दी है। आईएएस रणबीर शर्मा को नौकरी में आए महज तीन साल हुए थे। उन्हें भानुप्रतापपुर में एसडीएम का पद सौंपा गया था। वहां उनके लिए स्टाफ ने 40 हजार रुपये रिश्वत ली। तब एसडीएम को सिर्फ तबादले की सजा मिली। एसीबी उनको कानूनी घेरे से बचा ले गई थी। वैसे ये अफसर तब भी बचा ले गए थे जब एसडीएम ही रहते मरवाही में भालू पर गोली चलवा दी थी और कोविड महामारी के दौरान सूरजपुर में कलेक्टर रहते एक बच्चे की बीच सडक़ में पिटाई कर दी थी।

बहरहाल, राजस्व, पुलिस और दूसरे विभागों में जो भी रिश्वत ली जाती है, उसमें लेने वाले बताते हैं कि अफसरों का भी इसमें हिस्सा जुड़ा हुआ है। पर, उन अधिकारियों तक एसीबी के हाथ नहीं पहुंचते। राजस्व विभाग में सिर्फ नीचे के कर्मचारियों पर कार्रवाई होने के कारण कार्यालय प्रमुख पाक-साफ नजर आते हैं। वे अपने हाथ में घूस की रकम सीधे नहीं लेते। एसीबी ने एसडीएम पर कार्रवाई कर बता दिया है कि हाथ रंगे न हों, मगर इस बात का सबूत मिलेगा कि उनका हिस्सा है तो अफसर के गिरेबान को भी पकड़ा जा सकता है। दो चार ऐसी और कार्रवाई रेवन्यू में फैले बेतहाशा भ्रष्टाचार को कम कर सकती है।

एक एसडीएम ने रेत बेच दी?

राजनांदगांव जिले में डोंगरगढ़ के एसडीएम भी दो दिन से चर्चा में हैं। इन पर जब्त रेत बेच देने का आरोप है। दरअसल, डोंगरगढ़ के मुड़पार इलाके में रेत का अवैध भंडार पकड़ा गया। करीब 800 हाईवा रेत एसडीएम उमेश पटेल ने जब्त कर ली। अब वह जब्त रेत गायब हो गई है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली है। वे कह रहे हैं कि भाजपा के दो तीन ठेकेदारों को एसडीएम ने रेत बेच दी और रातों-रात रेत गायब हो गई। खनिज विभाग को पता ही नहीं रेत कहां चली गई। बहरहाल, कलेक्टर ने एक एडीएम को जांच की जिम्मेदारी दी है। शायद सच सामने आ जाए। पर, इस घटना से पता चल रहा है कि बारिश से पहले रेत की कितनी मारामारी हो रही है। जो लोग अपना मकान बना रहे हैं, उनकी क्या हालत हो रही होगी।

हर दिन मदर्स डे

पिछले महीने मई में मदर्स डे मनाया गया, फिर जून में फादर्स डे आया। इस बात का पता इस तस्वीर में दिखाई गई मां को पता होगा, न उसके बच्चे को। छोटा सा बालक अपनी मां को लगेज सहित घर से दूसरे गांव ले जाते हुए। साइकिल की सीट ऊंची है, इसलिये वह कैंची चला रहा है। जितनी खुशी बच्चे को हो रही है, उससे ज्यादा खुश मां दिखाई दे रही है। यह तस्वीर बस्तर जिले के कल्चा गांव की है। ([email protected]

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