कारोबार
रायपुर, 14 जून। अग्रसेन महाविद्यालय में कबीर जयंती के उपलक्ष्य में आज विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें मुख्य वक्ता के रूप में महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ वी.के. अग्रवाल ने कहा कि कबीर ने अपने समय में आडम्बर और भेद-भाव को दूर करने के लिए जो भी बातें दोहों के माध्यम से कही, वे सब आज भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने कुछ दोहों का उल्लेख करते हुए कहा कि, बुरा जो देखन मैं चला.... , पाहन पूजें हरि मिलें ... , या फिर, गुरु गोविन्द दोऊ खड़े ...- ये सभी दोहे हम सब अपने स्कूल की किताबों में पढ़ते रहे हैं. एक तरह से ये दोहे हमारे लिए प्रेरक और मार्गदर्शक दोनों रहे।
आज भी समाज में जो भेद भाव दिखाई देता हैं, उसे दूर करने के लिए कबीर के दोहे सबसे उपयुक्त हैं. पत्रकारिता संकाय के प्राध्यापक प्रो राहुल तिवारी ने कहा कि कबीर ने अपने समय में भेद-भाव को दूर करने के लिए सबसे ज्यादा प्रयास किया. उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने आप में ही सब कुछ है और पूरी तरह से सक्षम भी है. पत्रकारिता संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. विभाष कुमार झा ने कहा कि कबीर ने आज से सैकड़ों साल पहले दोहे में समेटकर अपनी बात को छोटे से छोटा रखने का प्रयास किया. और आज एस.एम.एस के जरिये दोहे और शायरी जिस तेजी से प्रेषित होती हैं, उससे यह स्पष्ट होता है, कि संक्षेप में बड़ी से बड़ी बात को कहने के प्रति कबीर की दूरदर्शिता कितनी सटीक थी. उन्होंने कहा कि, प्रेम गली अति सांकरी, जा में दो न समाहीं ...- इस दोहे से कबीर ने प्रेम के चरम को बहुत ही सरल तरीके से व्यक्त किया है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ युलेंद्र कुमार राजपूत तथा एडमिनिस्ट्रेटर प्रो. अमित अग्रवाल ने इस कार्यक्रम को विद्यार्थियों और सभी युवाओं के लिए प्रेरक बताया. कार्यक्रम का संयोजन पत्रकरिता संकाय के प्राध्यापक प्रो. कनिष्क दुबे ने किया. इसमें महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों के साथ ही पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।