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रायपुर, 1 फरवरी। सोवियत गणराज्य रूस में ब्रह्माकुमारी संस्थान की निदेशिका ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी ने कहा कि भारत देव भूमि है। यह सर्व आत्माओं के पिता परमात्मा की अवतरण भूमि है। इसलिए यहाँकी सनातन संस्कृति सभी के मन को लुभाती है।
ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी ब्रह्माकुमारी संस्थान के सदस्यों को रिफ्रेशर कोर्स कराने के लिए रूस से रायपुर आयी हुई हैं। वह विगत 34 वर्षों से रूस में अपनी सेवाएं दे रही हैं। विमानतल पर उनका स्वागत रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने किया।
संस्था ने बताया कि शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में तिलक और गुलदस्ता भेंटकर उनका स्वागत इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेेमलता दीदी और ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने किया। रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर में किया जा रहा है। विषय रखा है-निर्विघ्न योगी जीवन।
संस्था ने बताया कि उद्घाटन सत्र में बोलते हुए आदरणीय ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी ने कहा कि जीवन में श्रेष्ठता लाने के लिए हमें संस्कारों को परिवर्तन कर उसे श्रेष्ठ बनाना होगा। संस्कार परिवर्तन का आधार हमारा योगबल होता है। योगबल माना एक परमात्मा से प्रीत की लगन में मगन अवस्था। हमारा अविनाशी सम्बन्ध एक परमात्मा से है। बाकि सगे सम्बन्धियों से हमारा नाम मात्र तत्कालिक सम्बन्ध है। क्योंकि हर जन्म में हमारे रिश्तेदार बदल जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब तक हमें परमपिता परमात्मा शिवबाबा का परिचय नहीं मिला था तब तक हम जानते भी नहीं थे कि हम कौन हैं? हमें अपनी खुद की पहचान नहीं थी। इसी प्रकार शिवबाबा ने परमधाम से आकर बतलाया कि वापिस घर चलना है। घर जाने के लिए ज्ञानी और योगी बनना है। पवित्र बनना है। परमात्मा ने आकर हमें बतलाया कि तुम आत्मा हो, शरीर नहीं हो। जिस प्रकार जब हमें कहीं जाना होता है तब हम प्लानिंग करते हैं ताकि वहाँ पहुंचकर कोई कठिनाई न हो।