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संप्रग सरकार की तुलना में भाजपा शासन के दौरान ईडी की तलाशी, जब्ती, दोषसिद्धि में तेज वृद्धि हुई
17-Apr-2024 9:02 PM
संप्रग सरकार की तुलना में भाजपा शासन के दौरान ईडी की तलाशी, जब्ती, दोषसिद्धि में तेज वृद्धि हुई

(नीलाभ श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, 17 अप्रैल। धन शोधन रोधी कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के मामलों में 2014 से पहले के नौ वर्षों की तुलना में पिछले 10 साल में 86 गुना वृद्धि हुई है। पिछली समान अवधि की तुलना में गिरफ्तारी और संपत्तियों की जब्ती लगभग 25 गुना बढ़ गई है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

जुलाई 2005 से मार्च 2014 तक के नौ वर्षों के मुकाबले अप्रैल 2014 से मार्च 2024 के 10 वर्षों के आंकड़ों का ‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा विश्लेषण किया गया। यह विश्लेषण धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत संघीय एजेंसी की कार्रवाई में ‘तेजी’ की एक तस्वीर प्रस्तुत करता है।

पीएमएलए को 2002 में लाया गया था और कर चोरी, काले धन की उत्पत्ति और धन शोधन के गंभीर अपराधों की जांच के लिए एक जुलाई 2005 से लागू किया गया था।

विपक्षी दलों का आरोप है कि पिछले दशक के दौरान ईडी की कार्रवाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की अपने प्रतिद्वंद्वियों और अन्य के खिलाफ ‘‘दमनकारी’’ रणनीति का हिस्सा है। वहीं, केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ दल ने कहा है कि ईडी स्वतंत्र है, इसकी जांच तथ्यों पर आधारित है और उसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त है।

आंकड़ों से पता चलता है कि ईडी ने पिछले 10 वर्षों के दौरान पीएमएलए के 5,155 मामले दर्ज किए, जबकि पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल (2005-14) के दौरान कुल 1,797 शिकायतें या प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर या एफआईआर) दर्ज की गईं। इस तरह दोनों अवधि की तुलना करने पर पता चलता है कि मामलों में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है।

आंकड़ों से पता चलता है कि पहली बार 2014 के वित्तीय वर्ष में पीएमएलए के तहत किसी को दोषी ठहराया गया और अब तक 63 लोगों को धन शोधन रोधी कानून के तहत दंडित किया गया है।

ईडी ने 2014-2024 की अवधि के दौरान देश भर में धन शोधन मामलों में 7,264 छापे मारे, जबकि इससे पिछली अवधि में यह आंकड़ा केवल 84 था। इस तरह छापेमारी के मामलों में 86 गुना वृद्धि हुई।

आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले दशक के दौरान कुल 755 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 1,21,618 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई, जबकि पूर्व की तुलनात्मक अवधि के दौरान क्रमशः 29 गिरफ्तारियां और 5,086.43 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। गिरफ्तारियां 26 गुना ज्यादा हुई हैं, जबकि संपत्तियों की जब्ती से जुड़े आंकड़े 24 गुना ज्यादा हैं।

ईडी ने पिछले दशक के दौरान विभिन्न प्रकार की अचल और चल संपत्तियों के लिए 1,971 अनंतिम कुर्की आदेश जारी किए, जबकि पिछली तुलनात्मक अवधि में ऐसे 311 आदेश जारी किए गए थे।

पीएमएलए के निर्णायक प्राधिकरण से 2014-24 के दौरान लगभग 84 प्रतिशत कुर्की आदेशों की पुष्टि हुई, जबकि पिछली तुलनात्मक अवधि के दौरान उसी प्राधिकरण से 68 प्रतिशत मामलों को मंजूरी दी गई।

पिछले दशक में अदालतों के समक्ष 1,281 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि संप्रग सरकार की अवधि के दौरान यह संख्या 102 थी। इस तरह आरोप पत्र दाखिल करने की संख्या में 12 गुना वृद्धि हुई।

आंकड़ों से पता चलता है कि ईडी ने विभिन्न अदालतों से 36 मामलों में दोषसिद्धि के आदेश प्राप्त किए, जिससे 63 व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया और पिछले दशक के दौरान कुल 73 आरोप पत्रों का निपटारा किया गया।

आंकड़ों के मुताबिक, 2005-14 की अवधि के दौरान किसी भी आरोपी को दोषी करार नहीं दिया गया और न ही धन शोधन रोधी कानून के तहत किसी आरोप पत्र का निपटारा हो पाया।

एजेंसी को 15,710.96 करोड़ रुपये की संपत्ति को (पीएमएलए के तहत अपराध की आय के रूप में) जब्त करने की अदालत की अनुमति भी मिल गई और इसने 16,404.19 करोड़ रुपये (जब्ती के तहत कुल राशि में से) की संपत्ति (बैंक फंड सहित) को भी बहाल कर दिया।

ईडी को पीएमएलए के तहत नकदी जब्त करने का भी अधिकार है और आंकड़ों से पता चलता है कि एजेंसी ने पिछले 10 वर्षों के दौरान 2,310 करोड़ रुपये से अधिक की भारतीय और विदेशी मुद्रा जब्त की है, जबकि उससे पिछली अवधि के दौरान यह आंकड़ा 43 लाख रुपये था।

ईडी ने भारत से भागकर विदेशों में छिपने वाले विभिन्न आरोपियों की धरपकड़ के लिए कुल 24 इंटरपोल रेड नोटिस भी अधिसूचित किए और 2014-24 के दौरान 43 प्रत्यर्पण अनुरोध भेजे। पिछली अवधि के दौरान एजेंसी द्वारा ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

पिछले दस साल में चार लोगों को भारत प्रत्यर्पित किया गया, जबकि कारोबारी विजय माल्या, नीरव मोदी और संजय भंडारी के खिलाफ भी इसी तरह के आदेश प्राप्त किए गए। तीनों ब्रिटेन में हैं और ईडी उन्हें देश वापस लाने की कोशिश कर रही है क्योंकि सभी आरोपी अपने खिलाफ जारी आदेशों को चुनौती दे रहे हैं।

एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ये आंकड़े धन शोधन अपराधों की जांच के लिए ईडी द्वारा चलाए गए गहन अभियान को दर्शाते हैं।’’

प्रवर्तन निदेशालय विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के दीवानी प्रावधानों के अलावा दो आपराधिक कानूनों-धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) और भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के तहत वित्तीय अपराधों की जांच करता है।

एफईओए को 2018 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उन लोगों को कानून के दायरे में लाने के लिए लागू किया गया था जिन पर गंभीर आर्थिक धोखाधड़ी का आरोप है और वे कानून से बचने के लिए देश से फरार हैं।

आंकड़ों के अनुसार, ईडी ने देश में निर्दिष्ट विशेष पीएमएलए अदालतों के समक्ष ऐसी कुल 19 अर्जी दायर की, जिसके बाद 12 लोगों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। ईडी ने 31 मार्च को पिछले वित्तीय वर्ष के अंत तक उक्त कानून के तहत 906 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की है। (भाषा)

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